प्रतीकात्मक तस्वीर
इस साल बॉक्स ऑफिस का प्रदर्शन अचरज भरा रहा है। मध्यम बजट की फिल्मों ने अपनी क्षमता से कहीं आगे बढ़कर प्रदर्शन किया है। सबसे पहले यशराज की सैयारा ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया। उसके बाद होम्बले फिल्म्स की महावतार नरसिम्हा ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। अब डोमिनिक अरुण की लोका चैप्टर 1: चंद्रा सुर्खियां बटोर रही है। फिल्म पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली मलयालम भाषा की फिल्म बनकर रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है। 28 अगस्त को रिलीज हुई फिल्म का कुल बजट 30 करोड़ रुपये था। मगर एक महिला सुपरहीरो के ईर्द-गिर्द घूमने वाली इस फैंटसी एडवेंटर फिल्म ने सिर्फ 6 हफ्तों में दुनिया भर में 300 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर ली है। फिल्म व्यापार विश्लेषक गिरीश वानखेड़े बताते हैं कि इस सफलता के साथ दुलकर सलमान प्रोडक्शन की यह फिल्म इस साल रिलीज होने वाली सबसे बड़ी भारतीय फिल्म बन गई है।
आईएमडीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मलयालम की तीसरी सबसे जल्दी 100 करोड़ के क्लब में शामिल होने वाली फिल्म बन गई है। यह फिल्म रिलीज होने के 7 दिनों के भीतर ही 100 करोड़ रुपये की कमाई कर ली थी। पीवीआर आईनॉक्स, मिराज एंटरटेनमेंट और मुक्ता ए2 जैसी मल्टीप्लेक्स श्रृंखलाओं में औसत से अधिक दर्शक की संख्या रही। दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा दर्शक फिल्म देखने के लिए पहुंचे। वानखेड़े और मुक्ता ए2 सिनेमा के मुख्य परिचालन अधिकारी सात्विक लेले ने बताया कि कैसे फिल्म की कहानी और भावनात्मक गहराई ने अलग-अलग इलाकों के दर्शकों को प्रभावित किया है। लेल ने कहा कि जबरदस्त प्रचार, तकनीकी कुशलता और सिनेमाई पैमाने ने इस फिल्म को बड़े पर्दे पर एक बार जरूर देखने के लायक बनाया है।
पीवीआर आईनॉक्स के मुख्य कार्य अधिकारी गौतम दत्त ने कहा, ‘लोका चैप्टर 1: चंद्रा का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन किसी रहस्य से कम नहीं रहा है और देश भर के पीवीआर आईनॉक्स में करीब 50 फीसदी ऑक्यूपेंसी दर्ज की है।’ उन्होंने कहा, ‘इसने न केवल केरल और दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में दमदार प्रदर्शन किया है, बल्कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलूरु और हैदराबाद जैसे महानगरों में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है। इन शहरों में किसी मलयालम फिल्म के लिए ऐसा प्रदर्शन करना अपने आप में बड़ी बात है। पौराणिक कथाओं, दर्शन, आधुनिक दृश्यों वाली इसकी जमीनी, लेकिन भविष्य की कहानी ने जेन-जी और मिलेनियल दर्शकों को अपने साथ जोड़ा है, जिससे मौलिक, सांस्कृतिक रूप से जुड़ी सिनेमा के लिए बढ़ती दिलचस्पी का पता चलता है।’
उल्लेखनीय है कि लोका चैप्टर1: चंद्रा को सिनेमाघरों में रिलीज होने के अगले ही दिन सिद्धार्थ मल्होत्रा और जाह्नवी कपूर अभिनीत उत्तर-दक्षिण प्रेम कहानी पर आधारित एक रोमांटिक कॉमेडी परम सुंदरी से कड़ी प्रतिस्पर्धा का भी सामना करना पड़ा। वानखेड़े ने कहा कि पहले हफ्ते के बॉक्स ऑफिस के प्रदर्शन ने दिखाया कि कैसे मौलिकता, मजबूत निष्पादन और स्पष्ट स्थिति किसी बड़े सितारे को भी मात दे सकती है और अब तक मजबूत प्रदर्शन करने वाले रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों का प्रदर्शन फीका कर सकती है।
लेले ने भी वानखेड़े की बातों पर सहमति जताते हुई कहा, ‘इसी दौरान आने वाली अन्य फिल्मों के मुकाबले इस फिल्म को देखने वाले दर्शकों की संख्या करीब 2.5 से 3 गुना ज्यादा रही और सप्ताहांत में भी दर्शकों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली। इसके प्रदर्शन से यह पता चल गया कि दर्शकों के लिए भाषा कोई बड़ी बात नहीं है। अगर कहानी अच्छी है तो वह फिल्म देखने के लिए भी उत्सुक हैं।’
मिराज एंटरटेनमेंट के प्रबंध निदेशक भुवनेश मेंदीरत्ता ने बताया कि केरल में इस फिल्म के सभी शो करीब करीब हाउसफुल ही रहे और तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों में पहले हफ्ते के दौरान सिनेमाघरों में करीब 80 से 90 फीसदी दर्शक पहुंचे। इस दमदार प्रदर्शन ने भारत में फिल्म की कुल बॉक्स ऑफिस कमाई को और मजबूत कर दिया। अगले हफ्ते भी दक्षिण भारत के सिनेमाघरों में करीब 50 फीसदी लोग फिल्म देखने के लिए पहुंचे थे।
दत्ता ने यह भी बताया कि फिल्म की सफलता बॉक्स ऑफिस पर क्षेत्रीय और विषय-वस्तु से प्रेरित हिट फिल्मों की एक मजबूत श्रृंखला का भी नतीजा है, जिसमें पूरे देश में शीर्ष स्थान पर बरकरार कंटारा: ए लीजेंड चैप्टर 1 और दीवाली पर रिलीज होने वाली थम्मा भी शामिल है। लेले ने बताया कि यह साल क्षेत्रीय सिनेमा के लिए असाधारण रहा है, जहां गुजराती, मलयालम और तमिल उद्योग रिकॉर्ड तोड़ फिल्में दे रहे हैं और वे फिल्में अक्सर हिंदी फिल्मों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करती हैं।
वानखेड़े ने बताया, ‘गुजराती फिल्में भी अब करीब 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर रही हैं। लोका चैप्टर 1: चंद्रा अब तक 300 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर चुकी है। मराठी फिल्म दशावतार ने भी करीब 50 करोड़ रुपये कमा लिए हैं और तमिल की ब्लॉकबस्टर फिल्म कुली 250 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी है। ये सफलताएं दर्शाती हैं कि क्षेत्रीय सिनेमा अब किसी खास वर्ग तक सीमित नहीं रहा।’
वानखेड़े ने कहा, ‘बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक रूप से निहित कहानियां अब देश और दुनिया भर के दर्शकों तक पहुंच रही हैं। लोग ऐसी फिल्मों की ओर आकर्षित हो रहे हैं जो स्थानीय भाषाओं, परंपराओं और अनुभवों को दर्शाती हैं। इसके अलावा, आधुनिक तरीके से बनी, आत्मविश्वास से भरी कहानी, स्मार्ट मार्केटिंग और डब संस्करणों और स्ट्रीमिंग सहित व्यापक वितरण भी इन फिल्मों को उनके गृह राज्यों से आगे तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं। इसका परिणाम एक समृद्ध और अधिक विविध भारतीय सिनेमा परिदृश्य है, जहां देसी कहानियां अंततः मुख्यधारा का ध्यान खींच रही हैं और कारोबारी लिहाज से भी दमदार प्रदर्शन कर रही हैं।’