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H-1B वीजा पर निर्भर नहीं है TCS, AI और डेटा सेंटर पर फोकस: के कृत्तिवासन

TCS पिछले तीन महीनों से चर्चा में है। पहले लगभग 12,000 कर्मचारियों की छंटनी के फैसले और अब एच-1 बी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी से वह सुर्खियों में है

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शिवानी शिंदे   
Last Updated- October 12, 2025 | 10:28 PM IST

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) पिछले तीन महीनों से चर्चा में है। पहले लगभग 12,000 कर्मचारियों की छंटनी के फैसले और अब एच-1 बी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी से वह सुर्खियों में है। टीसीएस के सीईओ के कृ​त्तिवासन ने ​​शिवानी ​शिंदे के साथ बातचीत में छंटनी, वीजा संबंधी मुद्दों, एआई रणनीति और डेटा सेंटर पर कंपनी के अगले बड़े दांव पर विस्तार से बात की। सं​क्षिप्त अंश:

आपने कहा कि चुनौतियों के बावजूद दूसरी तिमाही में टीसीएस का प्रदर्शन अच्छा रहा। मगर आपने यह कहा कि अनिश्चितता बनी हुई है। आगे की तिमाही के बारे में आपकी क्या राय है?

आने वाली तिमाहियों का रुझान सकारात्मक है क्योंकि परियोजनाओं की देरी में थोड़ी कमी आई है। उपभोक्ता कारोबार को छोड़कर लगभग सभी क्षेत्रों में अच्छा रुझान देखने को मिला है। ब्रिटेन को छोड़कर सभी भौगोलिक क्षेत्रों में प्रदर्शन अच्छा रहा है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और डेटा भी विकास को गति दे रहे हैं।

अमेरिकी सरकार के एच-1बी वीजा पर ​हालिया फैसलों ने आईटी उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस पूरे माहौल पर आपकी क्या राय है और सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी के लिए इसके क्या मायने हैं?

टीसीएस के लिए एच-1बी कोई मुद्दा नहीं है। अमेरिका में हमारे लगभग 31,000-32,000 लोग हैं। इनमें से तकरीबन 11,000-12,000 ही एच-1बी पर हैं, बाकी अलग-अलग तरह के वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं। इसके अलावा हम स्थानीय श्रमबल की भागीदारी लगातार बढ़ा रहे हैं जो आगे भी जारी रहेगी क्योंकि नई तरह की परियोजनाएं और एआई के आने से काम करने का तरीका बदल गया है।

इसमें आपको ग्राहकों के साथ मिलकर काम करना होता है और अलग तरह के कौशल की जरूरत होती है। आपको केवल इंजीनियरिंग कौशल की ही जरूरत नहीं है बल्कि ज्यादा रचनात्मक सोच और तेज इंजीनियरिंग कौशल वाले लोगों की भी दरकार है। वित्त वर्ष 2026 में हमने भारत से एच-1 बी वीजा पर केवल 500 लोगों को अमेरिका भेजा था। इसका मतलब है कि हम इसके बिना भी काम चला सकते हैं और टीसीएस एच-1बी पर निर्भर नहीं है।

लेकिन लंबे समय तक एच-1बी वीजा लागत कम करने की नीति और कर्मियों को अपने साथ जोड़े रखने की रणनीति भी थी…

एक समय था जब एच-1 बी वीजा कर्मचारियों को अपने साथ बनाए रखने की कारगर नीति हुआ करती थी लेकिन पिछले 4-5 वर्षों से इसमें कमी आ रही है। इसलिए हमें आज के परिदृश्य को बहते समय के नजरिये से नहीं देखना चाहिए।

क्या आप अमेरिकी सीनेटरों चक ग्रासली और डिक डर्बिन से प्राप्त पत्र पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं, जिसमें उन्होंने टीसीएस पर दुनिया भर में 12,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी करने और उसी समय 5,500 से अधिक एच-1बी वीजा कर्मचारियों की नियुक्ति करने पर सवाल उठाया है?

इससे मुझे अपनी स्थिति को और स्पष्ट करने और सीनेटरों को एच-1बी के मुद्दे पर बताने का मौका मिला। सबसे पहले, हमने इस 5,500 की संख्या पर बात की। ये नई मंजू​रियां नहीं हैं। नई मंजूरियां बहुत कम हैं, शायद 2,500 के आसपास। हालांकि सब कुछ एक आवेदन और याचिका के रूप में होता है, इसलिए लोग इसे लेकर भ्रमित हो जाते हैं। इसने मुझे यह बताने का भी मौका दिया कि हम क्या कर रहे हैं। हम अमेरिका में स्थानीय शिक्षा जगत के साथ काम कर रहे हैं क्योंकि हम वहां गहराई से जुड़े हुए हैं। अमेरिका में हम लोगों को प्रशिक्षित करते हैं और उनकी भर्ती करते हैं।

टीसीएस एआई-आधारित सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी सेवा कंपनी बनने का लक्ष्य रख रही है। इसका क्या मतलब है?

हम पिछले कुछ समय से इस पर काम कर रहे हैं। इसलिए हमने बताया कि हम अपने सभी सहयोगियों को किस प्रकार प्रशिक्षित कर रहे हैं। हमने उन प्लेटफॉर्म के बारे में बात की जिन्हें हम ग्राहकों की मांग के लिहाज से तैयार कर रहे हैं। अगले मोर्चे के लिए हम एमआईटी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

हमारी रणनीति मुख्य रूप से 5 स्तंभों- आंतरिक बदलाव, परिवर्तनकारी सेवाएं, कार्यबल में सुधार, मूल्य श्रृंखला में बदलाव और परिवेश- पर आधारित है। इसलिए हमने अपने नेतृत्व को बेहतर करते हुए सभी तरह की सेवाओं को रफ्तार देने के लिए आरती को लाया। हमने अमित कपूर को एआई यूनिट का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया। हमने आंतरिक सांस्कृतिक बदलाव का नेतृत्व करने के लिए जनार्दन संथानम को बतौर सीआईओ नियुक्त किया और मंगेश साठे को विलय-अधिग्रहण के लिए समग्र रणनीति अधिकारी बनाया है।

आप डेटा सेंटर पर क्यों ध्यान केंद्रित कर रहे हैं?

इससे हमें एंड-टु-एंड सेवा प्रदान करने का अवसर मिलता है। भारत में हम सॉवरिन क्लाउड की पेशकश कर रहे हैं। कुछ ग्राहकों को हम निजी क्लाउड सेवा भी उपलब्ध करा रहे हैं। भारत में हम तमाम ग्राहकों के साथ महत्त्वपूर्ण एआई कार्य कर रहे हैं। डेटा सेंटर होने से मुझे उनके लिए निजी क्लाउड तैयार करने और उसे सेवा के रूप में पेश करने की क्षमता मिलती है। एआई और डीप टेक कंपनियां ऐसा चाहती हैं। कुछ हाइपरस्केलर्स हमारे साथ सहयोग करने के इच्छुक हैं। हमने उन्हें बताया है कि इसमें डेट और इक्विटी दोनों होंगे। करीब 150 मेगावॉट के लिए 1 अरब डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी। इसकी योजना 5 से 7 वर्षों के लिए बनाई गई है।

कई कर्मचारियों ने कहा है कि टाटा समूह को देखते हुए उन्हें छंटनी की उम्मीद नहीं थी। इस पर आप क्या कहेंगे?

इससे दो तरह के लोग प्रभावित हुए हैं। पहला, जो 3 से 6 महीने से बेकार बैठे हैं और दूसरा, जिनका प्रदर्शन कमजोर रहा है। मुझे नहीं लगता कि टाटा समूह प्रदर्शन संबंधी समस्याओं वाले लोगों के साथ खड़ा नहीं होता। इसके अलावा हमने उन लोगों की छंटनी की है जहां हमें लगता है कि भविष्य के लिए कौशल की कमी है। कंपनी भविष्य के लिए तैयार होने और एआई परिवेश में अग्रणी कंपनी बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है। अगर कोई हमारी योजना में फिट नहीं बैठता तो हमें उसे शालीनता से बाहर कर देना चाहिए। इसलिए मुझे नहीं लगता कि इसका हमारे सिद्धांतों से कोई टकराव है।

आशंका जताई जा रही है कि उन लोगों की जांच हो रही है जो किसी परियोजना से नहीं जुड़े हैं। ऐसे में आंकड़ा 2 फीसदी से बड़ा हो सकता है?

हमने जब अनुमान लगाया था तो यह आंकड़ा 2 फीसदी का था। मैं उन लोगों के बीच अंतर करना चाहता हूं जो फिलहाल किसी परियोजना से नहीं जुड़े हैं और जो कौशल एवं क्षमता में अंतर होने के कारण भविष्य के लिए अनुकूल नहीं हो सकते हैं। इसलिए मैं कह सकता हूं कि किसी परियोजना पर तैनात होने के योग्य होना और ग्राहक के साथ जुड़े रहना स्पष्ट तौर पर प्रदर्शन का मामला है।

First Published : October 12, 2025 | 10:02 PM IST