भारत की प्रमुख वाहन कलपुर्जा निर्माता कंपनियों में से एक सोना कॉमस्टार ने भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) द्वारा प्रस्तावित उत्पादन-से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत तैयार होने वाले दुर्लभ मैग्नेट (आरईपीएम) की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं।
कंपनी के प्रबंध निदेशक विवेक विक्रम सिंह ने कुछ सप्ताह पहले मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ आयोजित बैठक में सरकार से अनुरोध किया था कि प्रस्तावित योजना के तहत देश में बने दुर्लभ मैग्नेट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी टेस्टिंगके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जाए।
जानकार सूत्र ने बताया, ‘बैठक के दौरान सिंह ने इस योजना के तहत भारत में उत्पादित होने वाले मैग्नेट की गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई।’सोना कॉमस्टार, एमएचआई और डीएई ने इस मामले में बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया है।
सिंह की यह टिप्पणी इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (आईआरईएल) के एक अधिकारी द्वारा बैठक के दौरान यह बताए जाने के बाद आई है कि भारत में उपलब्ध दुर्लभ धातुओं की गुणवत्ता और ग्रेड चीन जैसे देशों की तुलना में कमजोर है। एक अन्य सूत्र के अनुसार, आईआरईएल अधिकारी ने कहा कि इसलिए इन धातुओं को रेयर अर्थ ऑक्साइड में बदलने के लिए तीन अतिरिक्त शोधन चरण की आवश्यकता होगी जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाएगी।
बैठक के दौरान, सोना कॉमस्टार के प्रबंध निदेशक ने एमएचआई और डीएई से भारत में एक मजबूत परीक्षण बुनियादी ढांचा स्थापित करने का आग्रह किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रस्तावित योजना के तहत उत्पादित दुर्लभ मैग्नेट दुनिया में कहीं भी निर्मित दुर्लभ मैग्नेट की गुणवत्ता के अनुरूप हो।