एक्सपर्ट मानते हैं कि प्रॉफिट बुकिंग में टारगेट-बेस्ड अप्रोच रखें। Representational Image
Mutual Funds Profit Booking: बाजार में उतार-चढ़ाव और बदलते ग्लोबल सेंटीमेंट्स के बीच म्युचुअल फंड्स में निवेशकों का इनफ्लो बना हुआ है। हालांकि, अप्रैल 2025 में इक्विटी म्युचुअल फंड्स में निवेश 3.24 फीसदी घटा। जबकि, डेट फंड्स में अच्छी खरीदारी आई और पिछले महीने 2.19 लाख करोड़ का तगड़ा निवेश आया। खास बात यह है कि बाजार में उतार-चढ़ाव और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बावजूद निवेशकों का भरोसा बना रहा। म्युचुअल फंड में निवेश के बदलते आंकड़ों के बीच अकसर यह सवाल उठता है कि प्रॉफिट बुकिंग (Mutual Funds Profit Booking) कब की जाए। साथ ही फंड की कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे कम की जाए। एक्सपर्ट मानते हैं कि म्युचुअल फंड में मुनाफावसूली का सही समय व्यक्तिगत फाइनैंशयल गोल, रिस्क उठाने की क्षमता और और बाजार के हालातों पर निर्भर करता है।
BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम कहते हैं, म्युचुअल फंड में प्रॉफिट बुकिंग का सामान्य तरीका यह है कि जब भी आपका निवेश लक्ष्य जैसेकि वेल्थ क्रिएशन या इनकम जेनरेशन, हासिल हो जाए, आप पैसे निकाल सकते हैं। इसके अलावा, जब मार्केट वैल्यूएशन बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ या ओवरवैल्यूड लगे, तो प्रॉफिट बुक करने का यह सही समय हो सकता है। वहीं, अगर फंड की परफॉर्मेंस अपने बेंचमार्क या पीयर ग्रुप से अलग होता है, तो अपने इन्वेस्टमेंट का दोबारा से मूल्यांकन करने पर विचार करें।
PersonalCFO के सीईओ सुशील जैन का कहना है, जैसाकि हमेशा सुझाव रहता है कि म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट लॉन्ग टर्म के लिए है, इसलिए किसी भी निवेशक को अपने पोर्टफोलियो की पहली बार समीक्षा निवेश के 3 साल बाद और उसके बाद कम से कम हर साल एक बार करनी चाहिए। अगर आपको पैसे की जरूरत है, तो आपको मुनाफा बुक करना चाहिए और फंड को रिडीम करना चाहिए, नहीं तो आपको अपने एसेट एलोकेशन का पालन करना चाहिए।
एके निगम कहते हैं, एकमुश्त रिडम्प्शन की बजाए आंशिक रूप से करें। बेहतर तरीका यह रहता है कि निवेश को बनाए रखते हुए मुनाफा निकालें। उनका कहना है कि प्रॉफिट बुकिंग में टारगेट-बेस्ड अप्रोच रखें। पहले रिटर्न का एक टारगेट तय करें और जब वह हासिल जाए तो प्रॉफिट बुक कर लें। इसके अलावा, रेगुलर पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग जरूरी है। समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें और ज्यादा से ज्यादा एसेट एलोकेशन बनाए रखने के लिए उसे रीबैलेंस करें।
निगम का कहना है, प्रॉफिट बुकिंग करते समय टैक्स देनदारियों को कम करने की प्लानिंग भी करनी चाहिए। जैसेकि, लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स बेनिफिट्स के लिए एक साल से ज्यादा समय तक इन्वेस्टमेंट होल्ड करें। टैक्स देनदारी घटाने के लिए अंडरपरफॉर्मिंग इन्वेस्टमेंट बेचकर और नुकसान को कैरी फॉर्वर्ड कर कैपिटल गेन्स सेटऑफ करें। इसके अलावा, कम टैक्स इंप्लीकेशंस वाले टैक्स-एफिशिएंट अकाउंट्स या इन्वेस्टमेंट से विथड्रॉ करने पर विचार करें।
सुशील जैन कहते हैं, प्रॉफिट बुकिंग करते समय मैक्सिमम बेनेफिट और मिनिमम टैक्स पाने के लिए कुछ स्ट्रैटजी अपनानी चाहिए। जैसेकि, आपको अपने रिस्क प्रोफाइल और अपने फाइनैंशल गोल के टाइम होराइजन के मुताबिक अपने एसेट एलोकेशन का पालन करना चाहिए। रीबैलेंसिंग से पहले आपको एग्जिट लोड की जांच जरूर करनी चाहिए।
जैन का कहना है, रीबैलेंसिंग करते समय इक्विटी से होने वाले प्रॉफिट की जांच कर लें, यह 1.25 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए, जोकि टैक्स फ्री लिमिट है। इसके अलावा, अगर कोई नुकसान है तो सेट ऑफ करने के लिए कैरी फॉरवर्ड लॉस जान समझ लें। वहीं, कम परफॉर्म करने वाले फंड या बेंचमार्क के मुताबिक परफॉर्म नहीं करने वाले फंड की जांच करें, अगर जरूरी हो तो सेट ऑफ या कैरी फॉरवर्ड करने के लिए लॉस बुक करें।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2025 में म्यूचुअल फंड में निवेश का रुझान मिला-जुला रहा। इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 3.24 फीसदी घटकर 24,269 करोड़ रुपये रहा। ये लगातार चौथा महीना है जब इक्विटी फंड में निवेश कम हुआ है। फिर भी, ये 50वां महीना है जब इक्विटी फंड में लगातार निवेश आ रहा है।
AMFI के मुताबिक, डेट फंड में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। मार्च में जहां 2.02 लाख करोड़ रुपये की निकासी हुई थी, वहीं अप्रैल में 2.19 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया। कुल मिलाकर, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में अप्रैल में 2.77 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जबकि मार्च में 1.64 लाख करोड़ रुपये की निकासी देखी गई थी। इस निवेश की बदौलत इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 65.74 लाख करोड़ से बढ़कर 70 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
(डिस्क्लेमर: म्युचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)