निवेश के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित विकल्प समझे जाने वाले म्युचुअल फंड के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ा है। यही कारण है कि पिछले महीने यानी अगस्त में म्युचुअल फंडों के निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। इससे वैश्विक मंदी और मिडकैप एवं स्मॉलकैप श्रेणियों में अधिक मूल्यांकन को से चिंतित निवेशकों के रुझान में बदलाव का पता चलता है।
महीने के दौरान लार्जकैप, फ्लेक्सीकैप और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (बीएएफ) में कुल मिलाकर 9,363 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ। यह पिछले महीने के कुल निवेश के मुकाबले 70 फीसदी अधिक है।
देश के सबसे बड़े फंड हाउस एसबीआई एमएफ के उप प्रबंध निदेशक एवं संयुक्त मुख्य कार्याधिकारी डीपी सिंह ने कहा, ‘पिछले चार वर्षों के दौरान शेयरों के मूल्यांकन में जबरदस्त वृद्धि हुई है। खास तौर पर स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों के मूल्यांकन में उछाल आई है। ऐसे में निवेशक अपेक्षाकृत सुरक्षित विकल्प तलाश कर रहे हैं। इसी वजह से लार्जकैप और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश बढ़ा है।’
अगस्त के शुरुआती सत्रों में देसी शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव दिखा था। उस दौरान अमेरिका में रोजगार के आंकड़े उम्मीद से कमजोर रहने, बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दरों में इजाफा एवं अन्य वैश्विक कारकों के कारण वैश्विक स्तर पर बाजार में गिरावट आई थी। मगर महीने के दूसरे पखवाड़े में लगातार बाजार में तेजी दिखी।
अगस्त में नए फंड ऑफरिंग (एनएफओ) को छोड़कर सभी फ्लेक्सीकैप और बीएएफ श्रेणियों में निवेश पिछले कई वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
महीने के दौरान फ्लेक्सीकैप फंड में निवेश बढ़कर 3,513 करोड़ रुपये हो गया। दिसंबर 2020 में इस श्रेणी की शुरुआत के बाद का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। लार्जकैप फंड में 2,637 करोड़ रुपये का निवेश दर्ज किया गया जो मार्च 2022 के बाद सबसे अधिक है। इसी प्रकार अगस्त में बीएएफ श्रेणी का निवेश 12 महीनों में सबसे अधिक रहा। लार्जकैप और बीएएफ श्रेणियों में निवेश को एनएफओ से बल मिला।
फ्लेक्सीकैप फंड भी मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी निवेश करते हैं, मगर उसे लार्जकैप शेयरों पर केंद्रित माना जाता है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में उसका निवेश आम तौर पर 30 से 35 फीसदी तक सीमित होता है। इसमें फंड मैनेजर अपने विवेक से आवंटन को घटा सकता है, इसलिए फ्लेक्सीकैप फंड को कम जोखिम वाला इक्विटी फंड माना जाता है।
म्युचुअल फंड की इन तीनों श्रेणियों को पिछले दो साल तक निवेश आकर्षित करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। उस दौरान निवेशकों का रुझान स्मॉलकैप, मिडकैप और थीमैटिक फंड जैसे अधिक जोखिम वाली पेशकश की ओर था। पिछले 24 महीनों के दौरान लार्जकैप फंड में औसत मासिक निवेश महज 144 करोड़ रुपये रहा, जबकि इस अवधि के दौरान म्युचुअल फंड में शुद्ध निवेश दो बार 1,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया।