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Hybrid Funds: जून 2025 को समाप्त तिमाही में ओपन-एंडेड हाइब्रिड स्कीम्स में निवेशकों की प्राथमिकताओं में एक अहम बदलाव देखने को मिला है। वेंचुरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ग्रोथ के लिहाज से आर्बिट्राज फंड्स (Arbitrage Funds) और मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स (Multi Asset Allocation Funds) टॉप पर रहे। आर्बिट्राज फंड्स का AUM मार्च 2025 की तुलना में जून 2025 में समाप्त तिमाही में 22.2% बढ़ा, जबकि मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स में 15.4% की बढ़त दर्ज की गई। यह उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाती है कि निवेशक स्पष्ट रूप से कम जोखिम वाली और डायवर्स इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी को अपनाना चाहते हैं।
बैलेंस्ड हाइब्रिड/एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स में भी 8.9% की अच्छी वृद्धि दर्ज की गई, जबकि इक्विटी सेविंग्स और डायनेमिक एसेट एलोकेशन/बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स में क्रमशः 8.2% और 8.1% की बढ़ोतरी हुई। इसके विपरीत, कंजरवेटिव हाइब्रिड फंड्स ने सभी कैटेगरी में सबसे कम 3.4% की मामूली वृद्धि दर्ज की।
यह रुझान दिखाता है कि अब ज्यादा से ज्यादा निवेशक ऐसे हाइब्रिड स्कीम्स को पसंद कर रहे हैं जो स्थिरता और रिटर्न के बीच संतुलन प्रदान करती हैं। अस्थिर बाजार में यह संतुलन निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। आर्बिट्राज और मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स का प्रदर्शन बताता है कि वे पैसे को सुरक्षित रखते हुए अच्छा रिटर्न दे सकते हैं।
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वेंचुरा के अध्ययन से पता चलता है कि म्युचुअल फंड्स द्वारा की गई सेक्टोरल एलोकेशन इक्विटी और डेट दोनों बाजारों में निवेशकों की धारणा की स्पष्ट तस्वीर पेश करती है। टॉप-10 सेक्टर होल्डिंग्स से पिछले रुझानों की निरंतरता दिखती है, जबकि कुछ सेक्टरों में एलोकेशन में उल्लेखनीय वृद्धि या कमी दर्ज की गई है।
जून 2025 में समाप्त तिमाही में, प्राइवेट बैंकों ने ₹94,029 करोड़ के होल्डिंग्स के साथ अपनी मजबूत बढ़त बनाए रखी। आईटी सेक्टर दूसरे नंबर पर रहा। इनके पास ₹41,397 करोड़ की होल्डिंग्स थी। इन दोनों सेक्टर्स के बीच का अंतर काफी ज्यादा है। इक्विटी सेगमेंट में टॉप-5 सेक्टर प्राइवेट बैंक, आईटी, रिफाइनरी, फार्मास्यूटिकल्स और टेलीकॉम रहे, जिनकी रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ। यह इन प्रमुख सेक्टर्स में निवेशकों के लगातार भरोसे को दर्शाता है।
टॉप- 10 सेक्टरों में, रिफाइनरी ने 15% की सबसे ज्यादा मार्केट वैल्यू ग्रोथ दर्ज की। यह एनर्जी और कमोडिटी आधारित सेक्टरों में फिर से बढ़ती दिलचस्पी को दिखाता है। इंजीनियरिंग- कंस्ट्रक्शन सेक्टर की रैंकिंग भी ऊपर गई है, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च और कैपिटल एक्सपेंडिचर साइकिल से जुड़ी बढ़ती एलोकेशन का संकेत देती है। वहीं, पावर जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर की मार्केट वैल्यू में 3% की गिरावट आई और इसकी रैंकिंग 6 से घटकर 8 हो गई, जो इस सेक्टर में निवेशकों की रुचि कम होने का संकेत है।
हालांकि टॉप-10 की लिस्ट में निचले स्तर पर बने रहने के बावजूद, फाइनेंस–एनबीएफसी ने अपनी स्थिति बनाए रखी। यह दर्शाता है कि नियामकीय निगरानी और पूंजी लागत बढ़ने की चिंताओं के बीच भी इसमें स्थिर रुचि बनी हुई है। इसी तरह, ऑटोमोबाइल–पैसेंजर कार सेक्टर भी टॉप-10 में स्थिर रहा, जिसका कारण खपत और मांग में सुधार माना जा सकता है।
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डेट सेगमेंट में, सरकारी प्रतिभूतियां (G-Secs) ₹57,312 करोड़ के होल्डिंग्स के साथ नंबर-वन पर बनी रहीं। हालांकि इनके बाजार मूल्य में 11% की गिरावट दर्ज की गई। यह दर्शाता है कि सरकारी प्रतिभूतियां अभी भी फिक्स्ड-इनकम पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा हैं, लेकिन ब्याज दरों को लेकर बदलती उम्मीदों के बीच फंड मैनेजर्स संभवतः इनका एक्सपोजर चुनिंदा रूप से घटा रहे हैं।
सरकारी बैंक ₹36,218 करोड़ की होल्डिंग्स के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि डेट सेगमेंट में एनबीएफसी (NBFCs) ने सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की। इनका मूल्य 24% बढ़कर ₹27,616 करोड़ पर पहुंच गया। इस वृद्धि ने एनबीएफसी को डेट होल्डिंग्स में तीसरे स्थान पर बनाए रखा, जो हाई यील्ड वाले कॉरपोरेट डेट इंस्ट्रूमेंट्स के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
इसके विपरीत, प्राइवेट बैंकों की डेट होल्डिंग में 31% की भारी गिरावट आई और वे चौथे से सातवें स्थान पर आ गए। यह बड़ी कमी इस ओर इशारा करती है कि निवेशक प्राइवेट बैंक बॉन्ड्स से पैसा निकाल रहे हैं। इसकी वजह कम स्प्रेड, क्रेडिट से जुड़ी चिंताएं या कहीं और बेहतर अवसर हो सकते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि डेट सेगमेंट के 10 में से 7 सेक्टर ने पिछली तिमाही की अपनी रैंकिंग बरकरार रखी। यह दर्शाता है कि डेट सेगमेंट में फंड एलोकेशन पैटर्न लगभग स्थिर रहा। इंजीनियरिंग – कंस्ट्रक्शन और पावर सेक्टर अपेक्षाकृत कम एलोकेशन के साथ लिस्ट में सबसे नीचे रहे। यह बताता है कि इन सेक्टरों में क्रेडिट को लेकर फंड मैनेजर सतर्क हैं।