सक्रिय रूप से प्रबंधित वैश्विक उभरते बाजार (जीईएम) फंड पिछले आठ वर्षों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने जा रहे हैं। स्मार्टकर्मा पर प्रकाशित कोपले फंड रिसर्च के स्टीवन होल्डन के विश्लेषण के अनुसार 2025 में अब तक करीब 26 फीसदी के औसत रिटर्न के साथ ये फंड अपने सबसे मजबूत प्रदर्शन की ओर अग्रसर हैं जो 2017 के बाद से किसी कैलेंडर वर्ष में सबसे अच्छा होगा। हालांकि, इनमें से 40 फीसदी से भी कम फंडों ने अपने बेंचमार्क एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स (ईएम) इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया है, जो इस वर्ष करीब 28 प्रतिशत बढ़ा है। इसकी वजह मोटे तौर पर दक्षिण कोरिया और चीन में हुई बढ़त है।
होल्डन ने कहा, शैली और क्षेत्रीय स्थिति ने प्रसार को बढ़ावा दिया। वैल्यू मैनेजरों और दक्षिण कोरिया में निवेश ने लाभ को मदद दी। लेकिन आक्रामक वृद्धि शैली और भारत में ज्यादा आवंटन रिटर्न पर भारी पड़े। हाई ऐक्टिव शेयर रणनीतियां भी पिछड़ गईं। भारत और दक्षिण कोरिया (एमएससीआई ईएम सूचकांक के तीसरे और चौथे सबसे बड़े घटक) ने फंड प्रदर्शन को निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाई है।
दक्षिण कोरिया में ज्यादा निवेश के साथ रिटर्न का सकारात्मक संबंध रहा है जहां मैक्वेरी इमर्जिंग मार्केट्स और ऑर्बिस ईएम जैसे शीर्ष प्रदर्शन करने वाले फंडों की उल्लेखनीय रूप से बड़ी पोजीशन है। इसके विपरीत जिन फंडों की भारत में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है, जैसे फर्स्ट सेंटियर ग्लोबल ईएम सस्टेनेबल और पहले उच्च स्तरीय जीक्यूजी पार्टनर्स ईएम इक्विटी, का प्रदर्शन इस साल कमजोर रहा है।
कोपले फंड रिसर्च के अनुसार औसतन 2025 तक वैल्यू मैनेजर दक्षिण कोरिया के प्रति अधिक और भारत के प्रति कम आशावादी रहे हैं जबकि ‘एग्रेसिव ग्रोथ’ फंडों ने विपरीत रुख अपनाया है। डॉलर के लिहाज से दक्षिण कोरिया का बेंचमार्क इंडेक्स कोस्पी 67 फीसदी ऊपर है जबकि निफ्टी 7 फीसदी से भी कम चढ़ा है। इस बीच, चीनी और हॉन्गकॉन्ग के शेयरों ने क्रमशः 20 फीसदी और 30 फीसदी का रिटर्न दिया है।
हाल के मिले-जुले नतीजों के बावजूद दीर्घकालिक आंकड़े उभरते बाजारों में सक्रिय प्रबंधन के पक्ष में बने हुए हैं। पिछले 22 कैलेंडर वर्षों में ऐक्टिव जीईएम फंडों ने औसतन 14 वर्षों में एमएससीआई ईएम ईटीएफ से बेहतर प्रदर्शन किया है। भारत के हालिया कमजोर प्रदर्शन ने कई वैश्विक फंडों को अपना निवेश कम करने के लिए मजबूर किया है।
जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने पिछले दिनों अपने नवीनतम ग्रीड ऐंड फियर नोट में लिखा था कि ब्रोकरेज ने अपने एशिया प्रशांत (जापान को छोड़कर) पोर्टफोलियो में भारत का भारांश दो फीसदी घटाकर 15.2 फीसदी कर दिया है जबकि ताइवान के आवंटन में भी इतनी ही वृद्धि की है।
एमएससीआई ईएम सूचकांक में भारत का भारांश सितंबर के अंत में घटकर 15.22 फीसदी रह गया जो दो वर्षों में सबसे कम है और जुलाई 2024 के 20 फीसदी के शिखर से भी काफी नीचे है। तब यह बेंचमार्क दिग्गज चीन के 4.5 फीसदी के करीब आ गया था।
मॉर्गन स्टेनली ने हाल ही में एक नोट में कहा था कि वैश्विक ईएम फंडों में भारत का सापेक्ष भारांश सबसे कमजोर है। ब्रोकरेज ने कहा कि लॉन्ग बॉन्ड्स, ईएम समकक्षों और सोने की तुलना में भारतीय इक्विटी की रेटिंग कम हुई है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि दोबारा मूल्यांकन की संभावना है क्योंकि मूल्यांकन में अभी तक व्यापक आर्थिक फंडामेंटल और कंपनियों की आय में संभावित सुधार जाहिर नहीं हो रहा है।