भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्युचुअल फंड फोलियो (mutual fund folios) खोलने और पहली बार निवेश करने की प्रक्रिया को मानकीकृत (standardised) बनाने का प्रस्ताव रखा है। इस कदम का मकसद निवेशकों और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) दोनों के सामने आने वाली “अपने ग्राहक को जानें” (KYC) अनुपालन और लेनदेन संबंधी बाधाओं को दूर करना है।
प्रस्ताव के अनुसार, नए बनाए गए म्युचुअल फंड फोलियो में पहली बार निवेश केवल तभी किया जा सकेगा जब KYC रजिस्ट्रेशन एजेंसी (KRA) द्वारा KYC वेरिफिकेशन पूरा हो जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि लेन-देन शुरू होने से पहले निवेशक के रिकॉर्ड पूरी तरह से अनुपालन में हों।
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AMCs को अपने इंटरनल सिस्टम और वर्कफ्लो को नई प्रक्रिया के अनुरूप अपडेट करना होगा। निवेशकों को KYC प्रक्रिया के हर चरण पर ईमेल और मोबाइल अलर्ट भी भेजे जाएंगे, जिससे प्रक्रिया और पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल बनेगी।
केवाईसी अनुपालन न करने वाले फोलियो के मामलों में अक्सर लेनदेन रुक जाते हैं, भुगतान में देरी होती है और डिविडेंड अनक्लेम्ड रह जाते हैं। ऐसे मामलों ने इस प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को बढ़ा दिया है।
प्रस्तावित नियमों में यह अनिवार्य किया गया है कि AMCs पूरी तरह से KYC जांच के बाद ही फोलियो बनाएं, अंतिम वेरिफिकेशन के लिए KRA को दस्तावेज भेजें, और KRA की मंजूरी के बाद ही पहले निवेश की अनुमति दें। इससे निवेशकों में भ्रम और परिचालन संबंधी देरी को रोकने में मदद मिलेगी।
ड्राफ्ट प्रक्रिया पर सार्वजनिक टिप्पणियां 14 नवंबर तक आमंत्रित की गई हैं।