लगभग 30 से कम शेयरों के पोर्टफोलियो का संचालन करने वाले फोकस्ड फंडों ने पिछले आठ में से सात महीनों में निकासी दर्ज की है और इन फंडों से कुल 2,700 करोड़ रुपये निकले हैं। विश्लेषकों के अनुसार इस निकासी के पीछे कई कारण हो सकते हैं जिनमें ऊंचे रिटर्न की उम्मीदों के बीच कुछ बड़े फंडों का कमजोर प्रदर्शन भी शामिल है।
रुपी विद ऋषभ के संस्थापक ऋषभ देसाई ने कहा, ‘कई फोकस्ड फंड वृद्धि की रणनीति पर अमल करते हैं और हो सकता है कि इसलिए उन्होंने हाल के वर्षों में बेहतर प्रदर्शन नहीं किया हो। इस अवधि में मिडकैप, स्मॉलकैप और कुछ सेक्टोरल एवं थीमेटिक फंडों के मजबूत प्रदर्शन के बीच रिटर्न की उम्मीदें काफी बढ़ गई है। इस वजह से फोकस्ड फंडों से पैसा अन्य श्रेणियों में गया हो सकता है।’
वैल्यू रिसर्च के आंकड़ो से पता चलता है कि जहां करीब 50 प्रतिशत फंडों ने एक वर्षीय और तीन वर्षीय समय-सीमा में बेंचमार्क (बीएसई 500) से बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं इनमें से सिर्फ 41 प्रतिशत फंड ही पांच वर्षीय अवधि में बेंचमार्क रिटर्न को मात देने में कामयाब रहे। इन फंडों ने एक वर्ष की अवधि में 33.7 प्रतिशत का औसत रिटर्न दिया जबकि बीएसई-500 में इस दौरान 35.8 प्रतिशत की तेजी आई।
डिजर्व के सह-संस्थापक वैभव पोरवाल ने कहा, ‘फोकस्ड फंडों में निवेशकों की दिलचस्पी उनके कमजोर प्रदर्शन की वजह से घटी है। ये फंड अक्सर ऐसे समय में ज्यादा सफल साबित होते हैं जब सटीक शेयर चयन और सक्रिय प्रबंधन से रिटर्न मिलता हो, लेकिन हाल में बाजार में तेजी ने ऐसी रणनीतियों के प्रदर्शन को प्रभावित किया है। इस परिवेश में फोकस्ड फंडों की केंद्रित प्रवृत्ति नुकसानदायक साबित होती है और इससे कमजोर रिटर्न को बढ़ावा मिलता है।’
कमजोर प्रदर्शन करने वाले फंडों में ऐक्सिस, मिरई ऐसेट और एसबीआई जैसे फंडों की कुछ योजनाएं शामिल हैं। ये फंड फोकस्ड फंडों से जुड़ी 1.5 लाख करोड़ रुपये की एयूएम का करीब 40 प्रतिशत का प्रबंध करते हैं।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया में विश्लेषक (शोध प्रबंधक) मेलविन सांतारिटा के अनुसार फोकस्ड फंडों में कमजोर प्रदर्शन करने की ज्यादा आशंका है क्योंकि संबंधित पोर्टफोलियो में हरेक शेयर का औसत भारांक फ्लेक्सीकैप जैसे फंडों की तुलना में ज्यादा होता है।
उन्होंने कहा, ‘पोर्टफोलियो में कई शेयरों का भारांक (वेटेज) 5-6 प्रतिशत है। इसलिए यदि कुछ दांव गलत साबित होता है तो प्रदर्शन पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है।’ विश्लेषकों का कहना है कि अन्य कारण यह है कि फोकस्ड फंडों को ज्यादा जोखिम वाली श्रेणी के तौर पर देखा जाता है।
डीएसपी ऐसेट मैनेजर्स में अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय के वैश्विक प्रमुख जय कोठारी ने कहा, ‘फोकस्ड फंडों को अधिक संकेंद्रित माना जाता है और इसलिए वितरण साझेदार यह विचार कर रहे हो सकते हैं कि जब मूल्यांकन औसत से अधिक हो तो निवेश के लिए ज्यादा विविध दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।’