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वित्त वर्ष 2027 तक कॉरपोरेट आय में तेजी की उम्मीद, बाजार में स्थिरता बनी रहेगी

नीलेश सुराणा के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन आय के रुझान के अनुरूप रहेगा, वित्त वर्ष 2027 में लार्जकैप और मिडकैप कंपनियों की आय क्रमशः 11-12% और 17-18% तक बढ़ सकती ह

Last Updated- December 22, 2025 | 8:56 AM IST
Neelesh Surana
Neelesh Surana

मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स इंडिया के मुख्य निवेश अधिकारी नीलेश सुराणा का कहना है कि बाजार न तो इतने सस्ते हैं कि उनमें तेजी से रेटिंग संबंधित बदलाव हो और न ही इतने महंगे हैं कि तुरंत गिरावट का जोखिम हो। मुंबई में समी मोडक को दिए इंटरव्यू में सुराणा ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार का प्रदर्शन आय के मौजूदा रुझान जैसा ही बने रहने की संभावना है। उनसे बातचीत के अंश:

पिछले 14-15 महीनों के दौरान बाजार के प्रदर्शन को लेकर आपका क्या आकलन है? कौन से कारकों ने इस ठहराव की स्थिति को बढ़ावा दिया?

भारतीय बाजार ने सीमित रिटर्न दिया है और एनएसई 500 का माध्य प्रदर्शन नकारात्मक हो गया है। इस समय को कंसोलिडेशन या टाइम करेक्शन कहना सही रहेगा। फिर भी, कैलेंडर वर्ष 2025 निफ्टी 50 के लिए लगातार सकारात्मक रिटर्न वाला 10वां साल रहेगा, जो वैश्विक बाजार में दुर्लभ बात है। तीन बड़े बदलावों ने इस दौर को नया आकार दिया है। पहला, अर्थव्यवस्था और कॉरपोरेट कमाई में मंदी आई। हालांकि अब इसमें सुधार शुरू हो रहा है। दूसरा, अन्य उभरते बाजारों की तुलना में भारत का मूल्यांकन प्रीमियम कम हुआ है। तीसरा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) लगातार बिकवाली कर रहे हैं। पिछले दो ट्रेंड पर वैश्विक बाजार में एआई-आधारित शेयरों की तेजी का काफी असर पड़ा है।

क्या आपको अब मूल्यांकन सस्ते दिख रहे हैं?

मूल्यांकन काफी उचित दिख रहे हैं। ये इतने सस्ते नहीं हैं कि उनसे जबरदस्त री-रेटिंग हो और न ही बहुत ज्यादा महंगे लग रहे हैं। नतीजतन, बाजार प्रदर्शन शायद मौजूदा आय को ट्रैक करेगा, जिसके अगले कुछ वर्षों में 10-15 फीसदी के दायरे में बढ़ने की उम्मीद है।

आय वृद्धि की तस्वीर कैसी नजर आ रही है?

पिछले 15 महीनों में कई डाउनग्रेड के बाद वित्त वर्ष 2026 के लिए आय वृद्धि लगभग 8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। लेकिन वित्त वर्ष 2027 में अच्छी रिकवरी देखने को मिल सकती है, जिसमें लार्जकैप के लिए आय लगभग 11-12 प्रतिशत और मिडकैप के लिए 17-18 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। इसे वित्त वर्ष 2026 के अनुकूल आधार और बढ़ती मांग से सहारा मिलेगा। राजकोषीय पक्ष की बात करें तो जीएसटी 2.0, आयकर व्यवस्था में बदलाव, राज्य-स्तर पर समर्थन और 8वें वेतन आयोग को लागू करने की संभावना जैसे उपाय सुधारों को बढ़ावा देंगे।

क्या बाजार के लिए कोई अन्य सहायक या बाधक कारक हैं?

खपत में सुधार आय के लिए महत्त्वपूर्ण संभावित सहायक कारक बना हुआ है। पूंजी प्रवाह स्थिर हो गया है और विदेशी पूंजी की निकासी की तीव्रता कम हो गई है। हालांकि, वैश्विक व्यापार मुद्दे और भू-राजनीतिक जोखिम विपरीत कारक बने हुए हैं।

क्या रुपये का 90 के पार जाना चिंता की बात है?

अगर हम लंबे समय के नजरिए से देखें तो यह कोई चिंता की बात नहीं है, क्योंकि भारत के दीर्घावधि बुनियादी आधार मजबूत हैं। राजकोषीय हालात प्रबंधन योग्य हैं, चालू खाता घाटा नियंत्रण में है और विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत है। हाल में रुपये की गिरावट मुख्य रूप से अल्पावधि निर्यात संबंधित चुनौतियों, पूंजीगत प्रवाह परिदृश्य और निर्यात प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के प्रयासों के कारण आई है।

आप किन सेक्टर को लेकर सकारात्मक या सतर्क हैं?

हम रिटेल, बिल्डिंग मैटेरियल जैसी कई खपत श्रेणियों को लेकर सकारात्मक हैं, जिनमें कई वर्षों से आय कमजोर रही है और अब इसमें सुधार हो सकता है। वित्तीय सेवाओं, हेल्थकेयर और चुनिंदा निर्यात-केंद्रित उद्योगों में भी अवसर मौजूद हैं। दूसरी ओर, हम पूंजीगत वस्तु क्षेत्र पर सतर्क हैं, जिसमें ऊंची कमाई की उम्मीदों के बावजूद मूल्यांकन महंगा बना हुआ है।

First Published - December 22, 2025 | 7:50 AM IST

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