म्युचुअल फंड

NSE की लिस्टेट कंपनियों में घरेलू म्युचुअल फंड्स की हिस्सेदारी रिकॉर्ड 10.4%, SIP इनफ्लो से पैसिव फंड्स नई ऊंचाई पर

खास बात यह रही कि पहली बार घरेलू म्युचुअल फंड्स की हिस्सेदारी दो अंकों (डबल डिजिट) में पहुंच गई और व्यक्तिगत निवेशकों (individual investors) की हिस्सेदारी को भी पार कर गई।

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अंशु   
Last Updated- May 31, 2025 | 12:56 PM IST

Mutual Fund Holding In NSE At Record High: मार्च 2025 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में लिस्टेड कंपनियों में घरेलू म्युचुअल फंड्स (DMFs) की हिस्सेदारी बढ़कर रिकॉर्ड 10.4% हो गई। यह लगातार 7वीं तिमाही है जब हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई है। इस तिमाही में इसमें 42 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी हुई। पूरे वित्त वर्ष (FY25) के दौरान घरेलू म्युचुअल फंड्स की हिस्सेदारी 1.4% अंक बढ़ी है। खास बात यह रही कि पहली बार घरेलू म्युचुअल फंड्स की हिस्सेदारी दो अंकों (डबल डिजिट) में पहुंच गई और व्यक्तिगत निवेशकों (individual investors) की हिस्सेदारी को भी पार कर गई। NSE की मार्केट प्लस रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

घरेलू म्युचुअल फंड्स की होल्डिंग ₹42.4 लाख करोड़ रही

वैल्यू के हिसाब से देखें तो घरेलू म्युचुअल फंड्स (DMFs) की होल्डिंग मार्च 2025 तक ₹42.4 लाख करोड़ रही। यह पिछली तिमाही की तुलना में केवल 2.4% कम रही, जबकि कुल बाजार पूंजीकरण (MCap) में गिरावट ज्यादा थी। यह दर्शाता है कि इक्विटी में शुद्ध निवेश लगातार बना रहा। घरेलू म्युचुअल फंड्स ने चौथी तिमाही (Q4FY25) में इक्विटी बाजार में ₹1.9 लाख करोड़ का निवेश किया, जिससे पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में कुल शुद्ध निवेश ₹6.1 लाख करोड़ तक पहुंच गया—जो अब तक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया कि इस मजबूत इन्वेस्टमेंट फ्लो के पीछे खुदरा निवेशकों की SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के माध्यम से निरंतर भागीदारी एक अहम वजह रही। FY25 में औसत मासिक एसआईपी (SIP) इनफ्लो सालाना आधार पर 45.2% बढ़कर ₹24,112 करोड़ पहुंच गया। यह FY17 से अब तक 27% की सालाना ग्रोथ को दर्शाता है।

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2014 के बाद SIP निवेश में तेजी से बढ़ी DMF की हिस्सेदारी

FY21 को छोड़कर, पिछले आठ वर्षों (FY15–FY25) में घरेलू म्युचुअल फंड्स की हिस्सेदारी में तेज बढ़ोतरी देखी गई है। यह इक्विटी म्युचुअल फंड्स, खासकर SIP के जरिए, खुदरा निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है।

FY21 में हिस्सेदारी में गिरावट मुख्य रूप से कमजोर SIP इनफ्लो और हाई रिडेम्प्शन दबाव के कारण हुई थी। उस समय व्यापक आर्थिक मंदी और कोविड-19 संकट ने लोगों की खर्च करने योग्य आय को प्रभावित किया था। हालांकि, इस अवधि के दौरान कुछ पूंजी सीधे इक्विटी निवेश की ओर शिफ्ट हो गई, जिसका संकेत उस समय डायरेक्ट रिटेल हिस्सेदारी में आई बढ़ोतरी से मिलता है। जून 2021 से, SIP के जरिए निवेश में तेज बढ़ोतरी के साथ, NSE में लिस्टेड कंपनियों में घरेलू म्युचुअल फंड्स की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती रही है और अब यह अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है।

पैसिव फंड्स की हिस्सेदारी रिकॉर्ड 2% पर, एक्टिव फंड्स भी बढ़कर 8.4% पर पहुंचे

NSE में लिस्टेड कंपनियों में ETF और इंडेक्स फंड्स (index funds) के जरिए घरेलू म्युचुअल फंड्स की पैसिव होल्डिंग्स हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं। पिछले एक दशक में पैसिव फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 59% की मजबूत CAGR से बढ़ा है, जो एक्टिवली मैनेज्ड इक्विटी फंड्स की 24% सालाना ग्रोथ के मुकाबले काफी ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस ग्रोथ के पीछे दो प्रमुख कारण रहे—कम शुरुआती आधार और पैसिव निवेश स्ट्रैटेजियों में खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी।

Q4FY25 में पैसिव फंड्स का AUM तिमाही आधार पर 1.9% बढ़कर ₹8.2 लाख करोड़ हो गया। यह पिछले तिमाही की मामूली गिरावट से रिकवरी दिखाता है। FY25 में पैसिव फंड्स का AUM 25.8% की मजबूत वृद्धि दर्ज करता है। इसके विपरीत, मार्च तिमाही में एक्टिवली मैनेज्ड इक्विटी फंड्स का AUM तिमाही आधार पर 3.4% घटकर ₹34.2 लाख करोड़ रह गया। हालांकि FY25 के दौरान इसमें 23.6% की अच्छी वृद्धि देखी गई।

NSE में लिस्टेड कंपनियों के कुल मार्केट कैप में से 10.4% हिस्सेदारी घरेलू म्युचुअल फंड्स के पास है। इसमें से पैसिव फंड्स की हिस्सेदारी तिमाही आधार पर 16 बेसिस प्वाइंट्स बढ़कर 2.0% के नए शिखर पर पहुंच गई—जो पिछले आठ तिमाहियों में देखे गए 1.7–1.8% रेंज से बाहर निकल गई है। वहीं, एक्टिव फंड्स की हिस्सेदारी भी 25 बेसिस प्वाइंट्स बढ़कर रिकॉर्ड 8.4% हो गई है।

फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से देखें तो तिमाही आधार पर पैसिव फंड्स की हिस्सेदारी 30 बेसिस प्वाइंट्स बढ़कर अब तक के उच्चतम स्तर 4.0% पर पहुंच गई। वहीं, एक्टिव फंड्स की हिस्सेदारी लगातार 7वीं तिमाही में बढ़ते हुए 42 बेसिस प्वाइंट्स की वृद्धि के साथ 16.8% पर पहुंच गई।

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व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी पहली बार घरेलू म्युचुअल फंड्स से कम

मार्च 2025 तिमाही में NSE में लिस्टेड कंपनियों में व्यक्तिगत निवेशकों की गैर-प्रवर्तक हिस्सेदारी (non-promoter ownership) घटकर 9.5% रह गई, जो सात तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है। यह निवेशकों की ओर से कम निवेश को दिखाता है। मार्च में व्यक्तिगत निवेशकों ने कैश मार्केट से लगभग ₹15,300 करोड़ की शुद्ध निकासी की, जो अब तक की सबसे बड़ी मासिक निकासी है। निफ्टी 50 कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी 7.9% पर स्थिर रही, लेकिन निफ्टी 500 में यह घटकर 8.6% रह गई, जो नौ तिमाहियों में सबसे कम है। इसकी वजह मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन को माना जा रहा है।

आज की तारीख में व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी (प्रत्यक्ष और म्युचुअल फंड्स के जरिए अप्रत्यक्ष) बढ़कर कुल बाजार पूंजीकरण का रिकॉर्ड 18.2% हो गई है। यह आंकड़ा पिछले तिमाही के बराबर है और करीब ₹74.5 लाख करोड़ के बराबर है। पिछले 5 साल में इसमें 35.7% और 10 साल में 16.9% की औसत सालाना बढ़ोतरी हुई है।

First Published : May 31, 2025 | 12:47 PM IST