B30 AUM growth mutual funds
B30 AUM Growth Outpaced T30 AUM Growth in the past 5 years: भारतीय म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में अब छोटे शहरों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। मेट्रो शहरों के मुकाबले गांव, कस्बों और छोटे शहरों में म्युचुअल फंड निवेश का क्रेज बढ़ा है। फ्रैंकलिन टेम्पलटन इंडिया म्युचुअल फंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, B30 (यानी टॉप 30 शहरों से बाहर के) शहरों से एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) का हिस्सा पिछले पांच वर्षों में T30 शहरों की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ा है। T30 का मतलब भारत के टॉप 30 शहरों से है। इंडस्ट्री के कुल AUM में B30 शहरों की हिस्सेदारी दिसंबर 2020 में 16% थी, जो अप्रैल 2025 में बढ़कर 18% हो गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इक्विटी में निवेश का रुझान और संपत्तियों का वित्तीयकरण अब तेजी से बढ़ रहा है। यह बात आंकड़ों से साफ झलकती है, क्योंकि म्युचुअल फंड अब टॉप 15 शहरों से बाहर भी तेजी से फैल रहे हैं। मार्च 2020 में B15 (टॉप 15 शहरों के बाहर) शहरों की हिस्सेदारी 25% थी, जो मार्च 2025 में बढ़कर 35% हो गई है। बीते एक साल में औसत एसेट अंडर मैनेजमेंट (AAUM) में योगदान देने वाले टॉप 10 राज्यों में तेलंगाना (33.05%) और हरियाणा (27.86%) भी शामिल रहे।
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पिछले 12 महीनों में सेक्टोरल/थीमैटिक फंड्स कैटेगरी ने सबसे ज्यादा ग्रॉस और नेट सेल्स दर्ज की है। इक्विटी म्युचुअल फंड कैटेगरी में फ्लेक्सी कैप फंड्स को सबसे ज्यादा इनफ्लो मिला है और इसका AUM ₹1 लाख करोड़ से भी ज्यादा बढ़ा है। इसके विपरीत, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS) ने अप्रैल 2025 में सबसे ज्यादा नेट आउटफ्लो दर्ज किया, जिससे यह इकलौती इक्विटी कैटेगरी बन गई जिसमें नेट सेल्स निगेटिव रही।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पैसिव इनवेस्टिंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। पिछले पांच वर्षों में पैसिव फंड फोलियो लगभग 16 गुना बढ़े हैं और दिसंबर 2021 से अब तक इनकी संख्या दोगुनी हो चुकी है। अप्रैल 2025 में पैसिव फंड का AUM 24% बढ़कर रिकॉर्ड ₹11.67 लाख करोड़ के स्तर पर पहुंच गया। एक साल पहले यानी अप्रैल 2024 में यह ₹9.38 लाख करोड़ पर था। कुल इंडस्ट्री AUM में इनकी हिस्सेदारी अप्रैल 2021 के 10% से बढ़कर अप्रैल 2025 में 17% हो गई है।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के लगातार मजबूत फ्लो के दम पर घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) अब भारतीय बाजारों में एक बड़ी ताकत बन चुके हैं। पिछले 12 महीनों (अप्रैल 2025 तक) में DIIs ने ₹5.9 लाख करोड़ का नेट इनफ्लो दर्ज किया है, जिससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के ₹3.6 लाख करोड़ के नेट आउटफ्लो का असर काफी हद तक संतुलित हो गया है।