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कैश और डेरिवेटिव ब्रोकरेज पर सेबी की कैंची, ब्रोकर्स अब क्या करेंगे?

SEBI के नए नियमों से ब्रोकर्स की कमाई पर दबाव बढ़ा है, जबकि म्यूचुअल फंड कंपनियों पर असर सीमित रहने की उम्मीद है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- December 18, 2025 | 11:20 AM IST

SEBI ने उन म्युचुअल फंड स्कीमों पर मिलने वाली अतिरिक्त 5 बेसिस पॉइंट TER की छूट खत्म कर दी है, जिनमें एग्जिट लोड लगता है। इससे इक्विटी फंड की TER घटेगी और AMC की कमाई पर असर पड़ सकता है। हालांकि PL कैपिटल की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2025 में चर्चा पत्र आने के बाद AMC शेयरों में जो गिरावट आई थी, उसमें यह असर पहले ही शामिल हो चुका है और कंपनियां इसका कुछ हिस्सा निवेशकों पर डाल सकती हैं।

GST से जुड़े खर्च को लेकर TER में पहले 15 बेसिस पॉइंट की कटौती का प्रस्ताव था, लेकिन अंतिम नियमों में इसे 10 बेसिस पॉइंट कर दिया गया है। इससे बड़ी AMC कंपनियों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, जबकि छोटी AMC कंपनियों को थोड़ी राहत मिल सकती है।

ब्रोकर्स की ब्रोकरेज पर क्या असर पड़ेगा?

निवेशकों से एक ही खर्च दो बार न वसूला जाए, इसके लिए SEBI ने ब्रोकरेज की ऊपरी सीमा घटा दी है। कैश सेगमेंट में ब्रोकरेज की अधिकतम सीमा 8.6 बेसिस पॉइंट से घटाकर 6 बेसिस पॉइंट और डेरिवेटिव सेगमेंट में 4 बेसिस पॉइंट से घटाकर 2 बेसिस पॉइंट कर दी गई है। PL कैपिटल का अनुमान है कि इससे कैश कारोबार में ब्रोकर्स की कमाई 15 से 20 फीसदी तक घट सकती है, जबकि डेरिवेटिव कारोबार में 3 से 5 फीसदी तक असर पड़ सकता है।

निवेशकों के लिए रिपोर्ट का क्या मतलब है?

रिपोर्ट के मुताबिक SEBI के ये फैसले निवेशकों के हित में हैं। ब्रोकर्स के लिए यह नकारात्मक खबर है, जबकि AMC सेक्टर के लिए असर सीमित रहने की उम्मीद है और बड़ी कमाई में भारी गिरावट की आशंका कम है।

First Published : December 18, 2025 | 11:20 AM IST