facebookmetapixel
ट्रंप के टैरिफ और H-1B दबाव के बीच भारतीय बाजारों पर अनिश्चितता, 2026 से फिर तेजी की उम्मीदधान के रकबे को पाम में बदलने की सिफारिश, 2047 तक 50% आत्मनिर्भरता का लक्ष्यNICDC बना रहा 20 इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी, विदेशी निवेशकों की बढ़ती रुचिWaaree Energies के शेयरों में अमेरिका की जांच के चलते 7 फीसदी की भारी गिरावटSME IPO का पहले दिन का जोश ठंडा, 37 फीसदी कंपनियों के शेयर इश्यू प्राइस से नीचे बंदसभी तटीय बंदरगाहों को जोड़ने के लिए 2030 तक 1 लाख करोड़ रुपये का होगा निवेश: नितिन गडकरीछह दशक की सेवा के बाद मिग-21 ने भरी अपनी अंतिम उड़ान, भारतीय आकाश में हुई भव्य विदाईIndian IT Stocks: एक्सेंचर के सतर्क अनुमान ने भारतीय आईटी शेयरों में अल्पकालिक चिंता बढ़ाईGST अधिकारियों ने देशभर के होटलों पर रेस्टोरेंट सेवाओं में कम कर भुगतान पर कसा शिकंजाPM मोदी ने बिहार की महिलाओं को 10-10 हजार रुपये की आर्थिक मदद के साथ सशक्त बनाने का किया ऐलान

Debt Funds: मई में डेट फंड्स को लगा ₹15,908 करोड़ का झटका, जानें क्यों निवेशकों ने निकाले पैसे और कहां लगा रहे हैं नया दांव

Debt mutual funds: डेट म्युचुअल फंड्स में यह निकासी मुख्य रूप से लिक्विड (liquid fund) और ओवरनाइट फंड (overnight fund) में बड़े रिडेम्पशन (पैसे निकालने) के कारण हुई।

Last Updated- June 10, 2025 | 6:43 PM IST
Jio BlackRock Mutual Fund

Debt Funds: डेट म्युचुअल फंड्स मई में निवेशकों का भरोसा बनाए रखने में कामयाब नहीं रहे। बीत महीने इन फंड्स में ₹15,908 करोड़ का नेट आउटफ्लो (पैसे की निकासी) देखा गया। यह अप्रैल में हुई 2.19 लाख करोड़ रुपये की मजबूत इनफ्लो (पैसे का निवेश) के बिल्कुल उलट है। डेट म्युचुअल फंड्स में यह निकासी मुख्य रूप से लिक्विड (liquid fund) और ओवरनाइट फंड (overnight fund) में बड़े रिडेम्पशन (पैसे निकालने) के कारण हुई। गिरावट के बावजूद, कई डेट फंड कैटेगरी में निवेशकों की दिलचस्पी फिर से बढ़ी। कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स ने ₹11,983 करोड़ के इनफ्लो के साथ बढ़त हासिल की।

लिक्विड और ओवरनाइट फंड्स से हुई भारी निकासी

AMFI के आंकड़ों के अनुसार, मई में निवेशकों ने अकेले लिक्विड फंड्स से 40,205 करोड़ रुपये निकाले। जबकि अप्रैल में इस कैटेगरी में 1,18,656 करोड़ का निवेश आया था। वहीं, बीत महीने ओवरनाइट फंड्स में 8,120 करोड़ रुपये का नेट आउटफ्लो दर्ज किया गया। जबकि अप्रैल में इस कैटेगरी में 23,899 करोड़ का इनफ्लो आया था। ये दोनों कैटेगरी, आमतौर पर बड़े संस्थागत निवेशों को आकर्षित करती हैं। ये फंड्स शॉर्ट टर्म में लिक्विडिटी की जरूरतों और ट्रेजरी निर्णयों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।

Also read: SIP Inflow: निवेशकों का रुझान बरकरार, मई में इनफ्लो ₹26,688 करोड़ के ऑल टाइम हाई पर

क्यों निवेशकों ने डेट फंड्स से निकाले पैसे?

मिरे असेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) की डिस्ट्रीब्यूशन और स्ट्रेटेजिक अलायंस की प्रमुख सुरंजना बोरठाकुर कहती हैं, “मई 2025 में डेट म्युचुअल फंड्स से 15,908 करोड़ रुपये की निकासी का एक कारण एडवांस टैक्स भुगतान के लिए मौसमी रिडेम्प्शन दबाव भी हो सकता है। 15 जून एडवांस टैक्स भुगतान की एक बड़ी समय-सीमा होती है, खासकर कंपनियों के लिए। कंपनियां अक्सर इन भुगतानों की तैयारी के लिए मई में अपने लिक्विड और अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म डेट फंड्स से निवेश निकाल लेती हैं।”

बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम ने कहा, “निवेशक अब डेट (debt) से इक्विटी (शेयर बाजार) की ओर जा रहे हैं। वे उम्मीद कर रहे हैं कि ब्याज दरों में कटौती से उन्हें इक्विटी में बेहतर रिटर्न मिलेगा। यह रुझान दर्शाता है कि निवेशक यह मान रहे हैं कि कम ब्याज दरें आर्थिक विकास और कंपनियों के मुनाफे को बढ़ाएंगी, जिससे शेयर बाजार अधिक आकर्षक हो जाएगा।”

मुख्य कारण

ब्याज दरों में कटौती: कम ब्याज दरें आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं, कंपनियों के मुनाफे को बढ़ा सकती हैं और शेयर बाजारों को मजबूत कर सकती हैं।

हाई रिटर्न: कम ब्याज दर वाले माहौल में इक्विटी से डेट की तुलना में बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद है।

आर्थिक विकास: निवेशकों को उम्मीद है कि कम ब्याज दरों से आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, जिससे इक्विटी को फायदा होगा।

निगम कहते हैं कि यह बदलाव निवेश के फैसलों की गतिशील प्रकृति को दर्शाता है, जो व्यापक आर्थिक कारकों और बाजार की उम्मीदों से प्रभावित होते हैं।

Also read: Equity Mutual Fund में निवेश की रफ्तार हुई धीमी, मई में निवेश 22% घटा; AUM ₹72 लाख करोड़ के पार

इन डेट फंड्स में बढ़ी निवेशकों की रुचि

कुल मिलाकर गिरावट के बावजूद, कई डेट फंड कैटेगरी में निवेशकों की दिलचस्पी फिर से बढ़ी। कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स ने ₹11,983 करोड़ के इनफ्लो के साथ बढ़त हासिल की। विश्लेषकों का मानना है कि यह आकर्षक यील्ड और स्थिर क्रेडिट आउटलुक के कारण हुआ।

मनी मार्केट फंड्स भी पीछे नहीं रहे, उन्होंने ₹11,223 करोड़ का नेट इनफ्लो दर्ज किया। लो ड्यूरेशन और अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स ने भी अपना सकारात्मक रुझान जारी रखा। लो ड्यूरेशन फंड्स में ₹3,133 करोड़ का इनफ्लो हुआ, जबकि अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स में ₹1,847 करोड़ का इनफ्लो आया।

First Published - June 10, 2025 | 6:36 PM IST

संबंधित पोस्ट