म्युचुअल फंड

सिर्फ एक फंड से टाटा-बिड़ला से लेकर अंबानी-अदाणी तक के शेयरों में करें निवेश, जानें कैसे काम करते हैं कांग्लोमरेट फंड

बिजनेस कॉन्ग्लोमरेट फंड ऐसे फंड्स है, जिसमें पैसा उन बड़ी कंपनियों या कॉर्पोरेट ग्रुप्स में लगाया जाता है, जो अलग–अलग तरह के बिजनेस एक साथ चलाते हैं।

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अंशु   
Last Updated- September 14, 2025 | 6:45 PM IST

Business Conglomerate Funds: अगर आप टाटा, बिड़ला, अंबानी, अदाणी, बजाज, महिंद्रा या गोदरेज जैसे बड़े भारतीय कारोबारी घरानों में हिस्सेदारी लेने का सपना देखते हैं, तो यह आसान नहीं रहा है। इन ग्रुप्स की कई लिस्टेड कंपनियों में निवेश करने के लिए बड़ी पूंजी चाहिए और यह तय करना भी मुश्किल होता है कि अलग-अलग इंडस्ट्रीज में से कौन-सा बिजनेस भविष्य में सबसे ज्यादा चमकेगा। यही वजह है कि आम निवेशक अक्सर पीछे रह जाते हैं। लेकिन अब इस चुनौती से निपटने का एक आसाना रास्ता — बिजनेस कांग्लोमरेट फंड है, जहां एक ही फंड के जरिए आप भारत के सबसे बड़े और डाइवर्सिफाइड कारोबारी घरानों में निवेश का मौका पा सकते हैं। हाल ही में, बड़ौदा बीएनपी परिबा म्युचुअल फंड ने इस थीम पर एक नया फंड (NFO) भी उतारा है। आने वाले महीने में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड भी इस थीम पर एक नया फंड लॉन्च करने वाला है। टाटा और बिड़ला के कांग्लोमरेट फंड पहले से बाजार में चल रहे हैं।

बिजनेस कांग्लोमरेट फंड्स क्या है?

बिजनेस कॉन्ग्लोमरेट फंड ऐसे फंड्स है, जिसमें पैसा उन बड़ी कंपनियों या कॉर्पोरेट ग्रुप्स में लगाया जाता है, जो अलग–अलग तरह के बिजनेस एक साथ चलाते हैं। ये फंड एक ही ग्रुप की कई इंडस्ट्रीज जैसे टेक्नोलॉजी, फाइनेंस, एनर्जी, रिटेल या मैन्युफैक्चरिंग में निवेश फैलाकर रिस्क को कम करते हैं। आसान भाषा में कहें तो, यह फंड टाटा, अंबनी, अदाणी और आदित्य बिड़ला जैसे मल्टी-बिजनेस ग्रुप्स में निवेश करने का मौका देता है, जिससे निवेशक एक ही निवेश के जरिए कई उद्योगों से जुड़ पाते हैं।

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बिजनेस कांग्लोमरेट फंड्स क्यों हो रहे है पॉपुलर?

बड़ौदा बीएनपी परिबा म्युचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर – इक्विटी, जितेंद्र श्रीराम बताते हैं, “इसकी बड़ी वजह डिमर्जर (कंपनी को हिस्सों में बांटना) और रीस्ट्रक्चरिंग से जुड़ा मूल्य बढ़ना है। उन्होंने समझाया कि जब बड़ी कंपनियां अपने अलग-अलग बिजनेस यूनिट को अलग से लिस्ट कराती हैं या बेचती हैं, तो अक्सर उन हिस्सों का वैल्यूएशन पूरी कंपनी से भी ज्यादा हो जाता है।

हाल के कुछ उदाहरण:

  • आईटीसी ने अपने होटल कारोबार को अलग कंपनी में डिमर्ज किया।
  • रेमंड ने अपनी लाइफस्टाइल डिविजन को अलग किया।
  • हिंदुस्तान यूनिलीवर ने क्वालिटी वॉल्स आइसक्रीम बिजनेस को अलग किया।

परिवारिक समझौतों और रणनीतिक बंटवारे की वजह से कारोबारों में मालिकाना हक और साफ हो गया है, बिजनेस पर ज्यादा फोकस हुआ है और ग्रोथ की रफ्तार भी तेज हुई है। इसके अलावा, गैर-जरूरी संपत्तियां बेचकर कंपनियों के पास नकदी (cash) आता है, जिसे वे नए और तेजी से बढ़ते सेक्टर्स जैसे रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और डिजिटल प्लेटफॉर्म में निवेश करने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं।

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एक्टिव या पैसिव कौन सा कांग्लोमरेट फंड्स बेहतर?

बाजार में एक्टिव और पैसिव दोनों इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी पर चलने वाले बिजनेस कांग्लोमरेट फंड्स उपलब्ध है। उदाहरण के लिए, टाटा बीएसई सेलेक्ट बिजनेस ग्रुप्स इंडेक्स फंड एक पैसिव फंड है। वहीं, दूसरी तरफ आदित्य बिड़ला सन लाइफ कॉन्ग्लोमेरेट फंड एक एक्टिव फंड है।

  • यह फंड्स बीएसई सेलेक्ट बिजनेस ग्रुप्स इंडेक्स (BSE Select Business Groups Index) को ट्रैक करते है।
  • बीएसई सेलेक्ट बिजनेस ग्रुप्स इंडेक्स 8 अक्टूबर 2024 को लॉन्च किया गया।
  • इस इंडेक्स में भारत के 7 सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप्स की टॉप 30 लिस्टेड कंपनियां शामिल हैं।
  • इसमें वेट कैप (सीमा) तय की गई है — प्रति ग्रुप अधिकतम 23% और प्रति स्टॉक अधिकतम 15%।

मनीफ्रंट के को-फाउंडर और सीईओ मोहित गांग कहते हैं, “यह एक नई थीम है और इसमें एक्टिव फंड्स के जरिए निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। एक्टिव फंड्स चुनिंदा कॉन्ग्लोमरेट्स (बड़े बिज़नेस ग्रुप्स) में निवेश करेंगे और इसके लिए वे प्रमोटर्स से एक्टिवली जुड़े रहेंगे। फंड मैनेजर्स अपनी विशेषज्ञता के आधार पर ऐसे शेयरों में ज्यादा निवेश करने से बच सकते हैं, जो किसी कॉन्ग्लोमरेट के भीतर कमजोर प्रदर्शन कर रहे हों।”

उन्होंने आगे कहा, चूंकि यह कैटेगरी काफी हद तक व्यक्तिगत प्रमोटर्स और मैनेजमेंट टीम पर निर्भर करती है, इसलिए एक्टिव मैनेजमेंट बेहतर माना जाता है। कई बार इसके लिए फाउंडर्स और प्रमोटर्स के साथ लंबी मीटिंग्स करनी पड़ती हैं ताकि उनके बिजनेस विजन को और गहराई से समझा जा सके। यह काम केवल नियमित और सक्रिय सहभागिता से ही संभव है।

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इन फंड्स में निवेश के फायदे

इन फंड्स को आमतौर पर अनुभवी फंड मैनेजर और रिसर्च एनालिस्ट संभालते हैं। वे किसी कारोबारी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों में से सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली कंपनियों को चुनते हैं। इससे एक ऐसा पोर्टफोलियो बनता है जो केंद्रित भी होता है और डाइवर्सिफाइड भी। इस तरह बड़े कॉरपोरेट घरानों की वेल्थ क्रिएशन क्षमता का फायदा आम निवेशकों तक भी पहुंचता है।

  • जाने माने ब्रांड तक पहुंच – भारत की सबसे सम्मानित और पहचानी जाने वाली कंपनियों में हिस्सा पाने का मौका।
  • सेक्टर्स की विविधता – एक ही निवेश से कई अलग-अलग इंडस्ट्री में एक्सपोजर।
  • प्रोफेशनल मैनेजमेंट – विशेषज्ञ हर ग्रुप में से सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बिजनेस चुनते हैं।
  • विकास और पुनर्गठन में भागीदारी – कंपनियों के विस्तार और वैल्‍यू-अनलॉकिंग, दोनों से लाभ।

बिजनेस कांग्लोमरेट फंड्स में किसे करना चाहिए निवेश?

बिजनेस कांग्लोमरेट फंड्स छोटे निवेशकों को बिना किसी परेशानी या बिना बड़ी लागत के, भारत के सबसे बड़े और डाइवर्सिफाइड बिजनेस घरानों में निवेश करने का आसान मौका देते हैं, वह भी बिना किसी परेशानी और बिना अलग-अलग शेयर खरीदने का खर्च उठाए। बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर ए के निगम उन संभावित निवेशकों के बारे में बताते है जो इन फंड्स में निवेश कर सकते हैं…

  • लॉन्ग-टर्म निवेशक: जो 3-5 साल या उससे ज्यादा समय के लिए निवेश करना चाहते हैं और कांग्लोमरेट की ग्रोथ से फायदा उठाना चाहते हैं।
  • रिस्क उठाने वाले निवेशक: जिनको मध्यम से ज्यादा जोखिम लेने में दिक्कत नहीं है, क्योंकि ये फंड इक्विटी और इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं।
  • डाइवर्सिफिकेशन चाहने वाले निवेशक: जो अलग-अलग सेक्टर और इंडस्ट्री में काम करने वाले कांग्लोमरेट में निवेश करके अपने पोर्टफोलियो को फैलाना चाहते हैं, ताकि रिस्क कम हो और रिटर्न बढ़ सके।
  • ग्रोथ चाहने वाले निवेशक: जो लंबे समय में पूंजी बढ़ाना चाहते हैं और मजबूत तथा स्थापित कांग्लोमरेट्स की ग्रोथ स्टोरी से जुड़ना चाहते हैं।

(डिस्क्लेमर: यहां आर्टिकल में बिजनेस कांग्लोमरेट फंड्स के बारे में जानकारी दी गई है। ये निवेश की सलाह नहीं है। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)

First Published : September 14, 2025 | 4:54 PM IST