भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के लिहाज से मिडकैप और स्मॉलकैप का बाजार पूंजीकरण रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषण के मुताबिक, मिडकैप व स्मॉलकैप शेयरों का एमकैप व जीडीपी अनुपात क्रमश: 27 फीसदी व 29 फीसदी है। ये आंकड़े मिडकैप व स्मॉलकैप के 20 साल के औसत 13 फीसदी व 11 फीसदी के पार निकल गए हैं।
महामारी प्रभावित वर्ष 2019-20 में मिडकैप व स्मॉलकैप शेयरों का एमकैप-जीडीपी अनुपात क्रमश: 9 फीसदी व 5 फीसदी रहा था। इन क्षेत्रों के शेयरों में काफी बढ़ोतरी दर्ज की है, जिससे इनमें संभावित बुलबुले को लेकर चिंता बढ़ी है।
सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कुल बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात 146 फीसदी है, जो लंबी अवधि के औसत 85 फीसदी से ज्यादा है। मूल्यांकन के ये मानक हाांकि चिंता पैदा करते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि इसके दम पर बाजार में गिरावट आए।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (संस्थागत इक्विटीज) गौतम दुग्गड़ ने कहा, इसका अनुमान लगाना कठिन है कि क्या जीडीपी के प्रतिशत के तौर पर मिडकैप का पूंजीकरण घटेगा। यह लिक्विडिटी और अंतर्निहित आय वृद्धि पर निर्भर करेगा।