मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों ने कैलेंडर वर्ष 2021 की पहली छमाही में सेंसेक्स (करीब 10 प्रतिशत तक की तेजी) और निफ्टी-50 (12 प्रतिशत) के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया और 26 प्रतिशत तथा 39 प्रतिशत की तेजी दर्ज की। विश्लेषकों का मानना है कि यह रुझान दूसरी छमाही में भी बरकरार रहने की संभावना है।
कैलेंडर वर्ष 2021 की पहली छमाही में शानदार प्रदर्शन को भारतीय बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) से मजबूत पूंजी निवेश से मदद मिली। हालांकि अब तक अच्छे मॉनसून, अर्थव्यवस्था के खुलने, और टीकाकरण की रफ्तार सुधरने से भी बाजार को मदद मिली है।
विश्लेषकों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों के दौरान इन दो सेगमेंट के अन्य मुख्य तेजी वाले घटक खुदरा निवेशक रहे, जिन्होंने 2020 में अपने निवेश की सफलता के बाद इन दो बाजार सेगमेंटों की ओर ध्यान बढ़ाया है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘छोटे निवेशक शेयरों में गिरावट से आकर्षित हुए थे, और साथ ही देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से उन्हें शेयर बाजार पर ध्यान देने के लिए अतिरिक्त समय मिला था।’
उन्होंने कहा कि जहां छोटे निवेशकों की भागीदारी से अल्पावधि से मध्यावधि में भारतीय इक्विटी बाजारों को लाभ मिलेगा, क्योंकि महामारी की चिंताओं के बीच अनुकूल वित्तीय एवं मौद्रिक नीतियां बरकरार रहने की संभावना है, वहीं उनकी कारोबारी गतिविधि की निरंतरता वैश्विक बाजारों में मुनाफा बनाए रखने की उनकी क्षमता पर निर्भर करेगी।
कैलेंडर वर्ष 2020 की पहली छमाही में, स्मॉल-कैप और मिड-कैप सूचकांकों में 9.6 प्रतिशत और 12.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि कैलेंडर वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में तस्वीर पूरी तरह अलग थी और इन सूचकांकों में 46 तथा 37 प्रतिशत की तेजी आई, और उन्हें पहली छमाही में हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली।
जियोजित के नायर ने प्रमुख बाजार में इस तेजी के लिए प्रगतिशील वैश्विक बाजार को जिम्मेदार करार दिया है, क्योंकि आसान मौद्रिक नीति से इक्विटी परिसंपत्तियों की वैल्यू को बढ़ावा मिला और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली।
नायर ने कहा, ‘कुछ क्षेत्रों को महामारी से मजबूती मिली, चाहे यह टेक्नोलॉजी, दवा और खपत पर आधारित उत्पादों और सेवाओं की ऊंची मांग हो या आपूर्ति में किल्लत की वजह से कीमतों में वृद्घि।’
क्षेत्रों में, धातु सूचकांक ने शानदार प्रदर्शन किया। कैलेंडर वर्ष 2021 की पहली छमाही में बीएसई मेटल और निफ्टी मेटल सूचकांकों में करीब 60 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई।
निफ्टी पीएसयू बैंक सूचकांक सरकारी बैंकों से संबंधित विनिवेश और परिसंपत्ति गुणवत्ता सुधार की उम्मीदों से 44 प्रतिशत चढ़ गया। बिजली, इन्फ्रास्ट्रक्चर, आईटी और पूंजीगत वस्तु सूचकांकों ने भी बेंचमार्क सूचकांकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया।
हालांकि फार्मा, दूरसंचार, निजी बैंकों, और एफएमसीजी का प्रदर्शन पहली छमाही में कमजोर रहा।
शेयरखान में पूंजी बाजार रणनीति प्रमुख गौरव दुआ का कहना है, ‘हमें उम्मीद है कि बाजार एक दायरे में समेकित रहेगा और 2021 के अंत तक निफ्टी के 16,500-17,000 के दायरे में पहुंचने की संभावना है। हालांकि हमें बैंकों, वाहन, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, और पीएसयू शेयरों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।’
बीएसई ऑलकैप इंडेक्स के करीब 80 शेयरों की बाजार वैल्यू पिछले 6 महीनों में 100 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है। बीएसई पर सूचीबद्घ कंपनियों (सेंसेक्स, मिडकैप, और स्मॉलकैप कंपनियां शामिल) के बाजार पूंजीकरण में इस इंडेक्स का 96 प्रतिशत योगदान है।
कई विश्लेषकों का मानना है कि बाजार कैलेंडर वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में अस्थिर बना रहेगा और उसकी रफ्तार वैश्विक और घरेलू कारकों, दोनों पर निर्भर करेगी।
