बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी लगातार दूसरे दिन आज 1 फीसदी से अधिक चढ़कर बंद हुए। इस तरह सेंसेक्स ने अगस्त, 2021 और निफ्टी ने नवंबर, 2020 के बाद जुलाई में ही सबसे अच्छी मासिक बढ़ोतरी दर्ज की है। बेलगाम महंगाई पर काबू के लिए फेडरल रिजर्व द्वारा लगातार दूसरे महीने ब्याज दरों में 75 आधार अंक की बढ़ोतरी की फिर भी दोनों सूचकांक दूसरे दिन चढ़ गए। फेड का रुख अब नरम रहने की उम्मीद में बाजार का माहौल सुधरा है। फेड ने मुद्रास्फीति को नीचे लाने का संकल्प दोहराते हुए कहा है कि आगे के कदम आंकड़ों पर निर्भर करेंगे।
सेंसेक्स 712.46 अंक या 1.25 फीसदी चढ़कर 57,570 पर बंद हुआ और निफ्टी 229 अंक या 1.4 फीसदी बढ़त के साथ 17,158 पर बंद हुआ। दोनों सूचकांक 2 मई के बाद अपने सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। जुलाई में निफ्टी 8.7 फीसदी चढ़ा है, जो नवंबर, 2020 के बाद से सबसे अधिक उछाल है। उस महीने में यह 11.4 फीसदी चढ़ा था। सेंसेक्स भी जुलाई में 8.6 फीसदी उछला है, जो अगस्त, 2021 के बाद सबसे अधिक उछाल है। उस समय यह 9.44 फीसदी चढ़ा था।
विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी के बीच पिछले तीन महीने गिरावट रहने के बाद यह बढ़ोतरी हुई है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) से निवेश की आवक बढ़ने, जिंसों की कीमतें गिरने, आकर्षक मूल्यांकन और ब्याज दर बढ़ोतरी पर फेडरल रिजर्व के नरम रुख की उम्मीद का असर जुलाई में दिखा।
एफपीआई ने आज 1,046 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे उनकी मासिक खरीद बढ़कर करीब 6,000 करोड़ रुपये हो गई है। यह सितंबर, 2021 के बाद उनकी पहली शुद्ध मासिक आवक है। उन्होंने अक्टूबर, 2021 से जून, 2021 के बीच 2.54 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है।
विशेषज्ञों ने कहा कि लगातार तीन महीने तक गिरावट के बाद कई अच्छे शेयरों का भाव आकर्षक हो गया है। कच्चे तेल की कीमतों में नरमी ने महंगाई के मोर्चे पर कुछ राहत दी है। ब्रेंट क्रूड जुलाई के पहले सप्ताह की अपनी कीमत से 11.5 फीसदी लुढ़क गया है और 107.4 बैरल प्रति बैरल पर है।
मार्सिलस इन्वेस्टमेंट्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने कहा, ‘निवेशकों को छह महीने से मंदी आने का डर था। भारत में पहली तिमाही के नतीजों ने साबित किया है कि न तो देसी कंपनियों के लिए और न ही निर्यात केंद्रित भारतीय कंपनियों के लिए यह डर सही है। देसी-विदेशी निवेशकों ने महसूस किया है कि भारत में मंदी की चिंता बेबुनियाद है। हमने उच्च गुणवत्ता के शेयरों में भारी लिवाली देखी है।’
इस बीच अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों से लगा है कि फेडरल रिजर्व दरें उतनी नहीं बढ़ाएगा, जितनी मानी जा रही थी। अमेरिकी वाणिज्य विभाग की रिपोर्ट से पता चलता है कि इस साल अप्रैल से जून के बीच अमेरिका का जीडीपी पिछले साल अप्रैल-जून के मुकाबले 0.9 फीसदी गिरा है।
