जीक्यूजी पार्टनर्स (GQG Partners) भारत में छठी सबसे बड़ी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) बन गई है। प्राइम डेटाबेस के मुताबिक अमेरिका की बुटिक इन्वेस्टमेंट फर्म के पास 13 कंपनियों की हिस्सेदारी है (कम से कम 1 फीसदी) और उसके निवेश की वैल्यू सितंबर के आखिर में 46,050 करोड़ रुपये थी।
एफपीआई रैंकिंग में अग्रणी हैं सॉविरन वेल्थ फंड्स ऑफ सिंगापुर (जीआईसी) और नॉर्वे (नॉर्जेज)। जीआईसी के पास 685 कंपनियों की 2.7 लाख करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है जबकि नॉर्जेज ने 95 कंपनियों में निवेश कर रखा है जिसका मूल्य 1.42 लाख करोड़ रुपये है।
जीक्यूजी पार्टनर्स की बढ़ोतरी की मुख्य वजह अदाणी समूह (Adani group) के शेयरों में उसका रणनीतिक दांव है जिसने उसके इमर्जिंग मार्केट्स इक्विटी फंड को खास तौर से उन अमेरिकी निवेशकों के बीच लोकप्रिय बना दिया है जो भारतीय बाजार में निवेश करना चाहते हैं।
रिकॉर्ड ऊंचाई से काफी नीचे निफ्टी
बेंचमार्क नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 पिछले छह हफ्तों में से पांच में लाल निशान के साथ बंद हुआ और इस तरह से अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से 8 फीसदी नीचे आया है। ऐतिहासिक तौर पर ऐसी तेज गिरावट को खरीदारी के मौके के रूप में देखा जाता है। लेकिन विशेषज्ञ ऐसे निचले स्तर पर खरीदारी के खिलाफ आगाह कर रहे हैं क्योंकि रुझान कमजोर बना हुआ है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि निफ्टी के लिए अल्पावधि का रुझान अस्थिर बना हुआ है और अल्पावधि के लिहाज से और कमजोर उसके एक दायरे में ही रहने का अनुमान है। निचले स्तर पर अगला समर्थन स्तर करीब 23,800 होगा जबकि तात्कालिक प्रतिरोध का स्तर 24,537।
आईपीओ वाली फर्में रणनीति पर कर रहीं फिर से विचार
द्वितीयक बाजार में बिकवाली और आईपीओ की निराशाजनक सूचीबद्धता ने आईपीओ की योजना बना रही कंपनियों को अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
उद्योग के अंदरुनी सूत्रों ने खुलासा किया कि इश्यू करने वाले और निवेश बैंकर अपने आईपीओ को संशोधित कर रहे हैं ताकि उसे बाजार के बदलते समीकरणों के अनुसार ढाला जा सके। सूचीबद्धता पर संभावनाएं बढ़ाने के लिए द्वितीयक हिस्सेदारी में कमी और मूल्यांकन घटाना शामिल है।