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गिरावट की गिरफ्त में बाजार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:36 AM IST

वैश्विक बाजारों में भारी लिवाली के बीच भारतीय बाजार भी आज गिर गए। कोविड-19 संक्रमण के मामले में फिर तेजी और कुछ अंतरराष्ट्रीय बैंकों में संदेहास्पद लेनदेन की खबरों से दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट की हवा बही, जिसके असर से देसी बाजार भी नहीं बच सके। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 254 अंक (2.5 प्रतिशत) फिसलकर 11,250 पर बंद हुआ। पिछले तीन महीनों में निफ्टी में आई यह सबसे बड़ी गिरावट रही। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) भी 812 अंक (2 प्रतिशत) लुढ़क गया और 38,034 पर बंद हुआ।
इस बीच, इंटरनैशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कुछ ताकतवर और खतरनाक लोगों के कारण पिछले दो दशकों के दौरान पूरी दुनिया में बैंकरों को लाभ पहुंचा है। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका द्वारा जुर्माना लगाए जाने के बाद भी ऐसे लेनदेन पर रोक नहीं लग पाई।  इस रिपोर्ट के बाद अमेरिकी डाऊ जोंस करीब 900 से अधिक अंकों की गिरावट के साथ खुला। आईसीआईजे ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दुनियाभर में 2 लाख करोड़ डॉलर मूल्य के संदेहास्पद लेनदेन या सस्पिशियस एक्टिविटी रिपोट्र्स (एसएआर) का पता चला था।
अमेरिकी अधिकारियों ने इन लेनदेन को संदेहास्पद करार दिया था। यूरोप में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों और पिछले कुछ दिनों में वहां लगाई गई पाबंदी ने निवेशकों की चिंताएं बढ़ा दीं। डेनमार्क, ग्रीस और स्पेन सहित कई यूरोपीय देशों ने कोविड-19 के बढ़ते मामले रोकने के लिए नई पाबंदी लगाई है। यूनाइटेड किंगडम ने भी नए मामलों के मद्देनजर दोबारा पाबंदी लगाने की बात से इनकार नहीं किया है। वैलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवद्र्धन ने कहा,’बाजार काफी बढ़त हासिल कर चुका था, इसलिए गिरावट तो स्वाभाविक थी। यूरोप के कई हिस्सों में दोबारा लॉकडाउन की आशंका और आईसीआईजे रिपोर्ट के बाद निवेशकों का उत्साह कमजोर पड़ गया।’
अमेरिका में सरकारी वित्तीय मदद रोकने से चिंताएं बढ़ गईं और वहां डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के बीच उच्चतम न्यायालय के अगले न्यायाधीश की नियुक्ति पर तनातनी बढऩे से भी बाजार में कारोबार पर नकारात्मक असर हुआ। वैश्विक बाजारों में बैंकिंग शेयरों पर सबसे अधिक मार पड़ी और एचएसबीसी का शेयर पिछले 25 वर्षों के निचले स्तर पर आ गया। 10 वर्ष की अवधि के अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर प्रतिफल कम होकर 0.66 प्रतिशत रह गया। ट्रेजरी प्रतिफल में गिरावट इस बात का संकेत है कि निवेशक शेयरों से निकलकर सुरक्षित परिसंपत्तियों में निवेश कर रहे हैं।
बाजार में गिरावट पर जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेस के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘बाजार में इस समय मूल्यांकन ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका है और इस बात की चिंता है कि इसका आय के साथ तालमेल नहीं दिख रहा है। ऐसे में फिलहाल बाजार में अनिश्चितता बनी रह सकती है। ऐसे में निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है।’ बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आने वाले दिनों में कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए नई पाबंदी लगाई जाती है तो इसका बाजार पर सीधा असर हो सकता है।

First Published : September 21, 2020 | 11:58 PM IST