नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की सूचकांक प्रशासन शाखा एनएसई इंडिसिज ने अपनी गणना पद्धति को संशोधित किया है, जिससे व्यापक रूप से ट्रैक किए जाने वाले निफ्टी बैंक सूचकांक में एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के भार में भारी कमी आई है। इस फेरबदल से दोनों प्रमुख बैंकिंग कंपनियों से करीब 67 करोड़ डॉलर (6,000 करोड़ रुपये) का संचयी पैसिव निकासी की आशंका है। मंगलवार को एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में 1.25-1.25 फीसदी की गिरावट आई, जिसने बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी में हुई गिरावट में करीब आधे का योगदान किया।
कार्यप्रणाली में यह बदलाव भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा मई में गैर-बेंचमार्क सूचकांकों के लिए जारी एक परिपत्र के बाद किया गया है। सेबी ने शीर्ष घटक का भार 20 फीसदी और तीन अग्रणी का संयुक्त भार 45 फीसदी पर सीमित कर दिया है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि डेरिवेटिव अनुबंधों में अंतर्निहित सूचकांक व्यापक आधार वाले हों और कुछ ही शेयरों तक सीमित न हों।
वर्तमान में, निफ्टी बैंक में एचडीएफसी बैंक का भारांश 27.5 फीसदी है जबकि आईसीआईसीआई बैंक का भारांश 23.1 फीसदी है, जो नई सीमा से कहीं अधिक है। इसलिए, ईटीएफ निवेशकों और डेरिवेटिव व्यापारियों के बीच लोकप्रिय इस सूचकांक में महत्वपूर्ण पुनर्संतुलन होगा।
सेबी ने यह भी अनिवार्य किया है कि ऐसे सूचकांकों में कम से कम 14 शेयर शामिल होने चाहिए जबकि निफ्टी बैंक सूचकांक में अभी 12 शेयर हैं। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए एनएसई सूचकांक 31 दिसंबर से नए घटकों के रूप में येस बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को जोड़ेगा।
नुवामा ऑल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के अनुमानों के अनुसार, येस बैंक का भारांश चार चरणों में बढ़कर 3.9 फीसदी हो जाएगा, जिससे 14 करोड़ डॉलर (1,250 करोड़ रुपये) का निवेश होगा। यूनियन बैंक में 10.9 करोड़ डॉलर (980 करोड़ रुपये) का निवेश होने की उम्मीद है क्योंकि इसका भारांश बढ़कर 2.6 फीसदी हो जाएगा। मंगलवार को दोनों बैंकों के शेयरों में एक फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई।
इस बीच, नुवामा को एचडीएफसी बैंक से 32.2 करोड़ डॉलर (2,900 करोड़ रुपये) और आईसीआईसीआई बैंक से लगभग 34.8 करोड़ डॉलर (3,130 करोड़ रुपये) की निकासी की आशंका है क्योंकि उनका भारांक कम हो गया है। ऐक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक में भी मामूली निकासी होगी, जबकि सूचकांक के बाकी आठ घटकों में मध्यम निवेश आने की संभावना है।
इसके अलावा, एनएसई इंडेक्स ने निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज इंडेक्स के लिए संशोधित सीमा की घोषणा की है, जिसके तहत अब तीन अग्रणी शेयरों की हिस्सेदारी क्रमशः 19 फीसदी, 14 फीसदी और 10 फीसदी तक सीमित होगी। वर्तमान में, तीन अग्रणी शेयरों की हिस्सेदारी 62 फीसदी तक है जबकि एक शेयर को 33 फीसदी तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति है। विश्लेषकों का कहना है कि निफ्टी बैंक इंडेक्स पर नई कार्यप्रणाली का प्रभाव नगण्य होगा।
नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट में ऑल्टरनेटिव व क्वांटिटेटिव शोध प्रमुख अभिलाष पगारिया ने कहा, यह एक रचनात्मक कदम है जो कार्यप्रणाली ढांचे को मजबूत करता है और बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा सूचकांकों में व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
अक्टूबर में, सेबी ने इस तरह के पुनर्संतुलन अभ्यासों के लिए एक ग्लाइड पाथ का प्रस्ताव रखा था, जिससे भार समायोजन एक बार में लागू करने के बजाय कई चरणों में लागू किया जा सके। यह कदम एक्सचेंजों और फंड मैनेजरों की इस चिंता के बाद उठाया गया था कि तत्काल बदलाव से बड़े घटकों में अत्यधिक उथल-पुथल हो सकती है, अस्थिरता बढ़ सकती है और इंडेक्स फंड और ईटीएफ के लिए ट्रैकिंग त्रुटियां बढ़ सकती हैं।