बीमा कंपनियों को अपना व्यवसाय आईएफआरएस 17 (इंटरनैशनल फाइनैंशियल रिपोर्टिंग स्टैंडड्र्स-2017) के अनुरूप बनाने के तरीकों पर पुनिर्वचार करना होगा। आईएफआरएस-19 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होगा। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के पूर्व बोर्ड सदस्य नीलेश साठे ने कहा, ‘बीमा कंपनियां विशेष एवं बाह्य जोखिमों को ध्यान में रखकर नीतियां तैयार करती हैं। यह माना गया है कि वे जोखिम का भी अच्दी तरह से प्रबंधन कर सकती हैं। आईएफआरएस-17 के साथ, उन्हें इस संबंध में बदलाव लाना होगा।’
साठे का मानना है कि लेखा मानकों को अनुबंधों की अवधि के मुकाबले मुनाफे की पहचान के साथ आगामी नकदी प्रवाह के मौजूदा मानकों से जोडऩा होगा। इसमें बीमा सेवाओं के परिणाम की पेशकश का आह्वान किया गया है, जिसमें बीमा राजस्व की पेशकश शामिल है, और यह बीमा वित्त आय या खर्च से अलग है। बीमा कंपनियों को इसे लेकर एक विकल्प अपनाना होगा कि क्या उन्हें सभी बीमा वित्तीय आय या मुनाफे या नुकसान से संबंधित खर्च की पहचान करनी होगा, या अन्य समग्र आय में से कुछ की पहचान करनी होगी।
साठे ‘आईएफआरएस 17: अनुपालन से लेकर व्यावसायिक परिचालन’ विषय पर एसएएस के साथ आयोजित बिजनेस स्टैंडर्ड के वेबिनार में पैनल परिचर्चा का हिस्सा थे। पैनल में मौजूद अन्य लोग थे आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस में एक्चुअरी आशा मुरली, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस में मुख्य वित्तीय अधिकारी नीरज शाह, बजाज आलियांज लाइफ में नियुक्त एक्चुअरी और डेटा साइंस के प्रमुख अवधेश गुप्ता, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस में कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं उप सीएफओ मंदीप मेहता, एडलवाइस टोकियो लाइफ इंश्योरेंस में कार्यकारी निदेशक सुभ्रजीत मुखोपाध्याय, और एसएएस में वरिष्ठ समाधान सलाहकार (रिस्क रिसर्च एवं क्वांटीटेटिव सॉल्युशंस) जोशुआ तेंग। यह परिचर्चा बिजनेस स्टैंडर्ड के कंसल्टिंग एडिटर तमल बंद्योपाध्याय द्वारा संचालित की गई थी। मुरली ने कहा, ‘यह बदलाव (आईएफआरएस 17 से संबंधित) बेहद जटिल था और इसमें कई जटिलताएं थीं। यह आपको व्यवसाय में और ज्यादा अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।’
शाह ने कहा, ‘ग्राहकों और शेयरधारकों तथा निदेशक मंडल को डेटा संग्रह एवं प्रसंस्करण प्रक्रिया के बारे में बेहतर ढंग से शिक्षित एवं परिचित कराने की जरूरत होगी।’ उन्होंने महसूस किया कि आईएफआरएस संबंधित बदलावों की जरूरत को देखते हुए इसके लिए पर्याप्त समय सीमा और नए ढांचे के पूर्वाभ्यास की जरूरत होगी। और इसका मतलब होगा कि डेटा क्षेत्र में मानव संसाधन और निवेश पर भारी पूंजी दबाव पडऩा। ऐसी प्रतिभाओं की तलाश गैर-वित्तीय क्षेत्र से भी जुड़ी होगी। आईएफआरएस 17 का इतिहास इस प्रकार है। इंटरनैशनल अकाउंटिंग स्टैंडड्र्स बोर्ड (आईएएसबी) ने मार्च 2004 में आईएफआरएस-4 इंश्योरेंस कॉन्ट्रैक्ट्स को अंतरिम मानक के तौर पर जारी किया था। इसे आईएएसबी द्वारा बीमा अनुबंधों पर अपनी परियोजना पूरी करने तक पेश किया जाना था। मई 2017 में, आईएएसबी को आईएफआरएस 17 के साथ पेश किया गया जिसे आईएफआरएस 4 के साथ बदला गया था। पिछले साल जून में बीमा कंपनियों के कामकाज को प्रभावित किए बगैर बीमा कंपनियों की मदद के लिए आईएफआरएस 17 में संशोधन किया गया था।
गुप्ता ने कहा, ‘हम सामान्य व्यवसाय भाषा की बात कर रहे हैं। डेटा का उदाहरण ले लीजिए। यह महज इस बारे में सवाल नहीं है कि डेटा को कैसे समेकित किया जाए, बल्कि इसे तैयार करने से भी जुड़ा है।’ उन्होंने कहा कि इससे बाजार जोखिमों के बेहतर प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा। यह स्पष्ट संकेत है कि बीमा कंपनियों को आने वाले दिनों में कर्मचारियों के कौशल को अपग्रेड करने के लिए निवेश करना होगा। बीमा कंपनियों को लंबे समय तक अलग थलग नहीं रखा जा सकता। मुखोपाध्याय ने कहा, ‘आईएफआरएस 17 उन लोगों को करीब लाने का भी काम करेगा जो जिम्मेदारियों और परिसंपत्ति व्यवसायों का संचालन करते हैं। यह संसाधनों के जनिये से व्यवसाय में निवेश और बेहतर तालमेल में भी मददगार होगा।’