एचडीएफसी बैंक केप्रबंध निदेशक आदित्य पुरी का मानना है कि वैश्विक वित्तीय संकट का भारत पर सीमित असर पड़ेगा क्योंकि भारत में नियामक की अहम भूमिका होती है और यहां के बैंक जटिल योजनाओं में निवेश करने से परहेज करते हैं।
अनिरूध्द लस्कर और सिध्दार्थ ने उनसे भारतीय वित्तीय प्रणाली और बैंकों पर वैश्विक वित्तीय संकट के असर पर बात की।
पिछले एक माह में स्थितियों में किस तरह से बदलाव आया है?
पूरे विश्व में जो कुछ भी हुआ उसका भारतीय बैंकिं ग प्रणाली पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। मोटे तौर पर हमें विदशों में निवेश की अनुमति नहीं दी गई है। विदेशों में अपनी शाखाओं की बात छोड़ दे तो विदेशों में हमारा कारोबार कोई खास नहीं रहा है। हमने कॉम्प्लेक्स डेरिवेटिव जैसे क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप में कारोबार नहीं किया है। यहां पर अधिकांश बैंक का यहां पर कॉल मार्केट पर मुश्किल से पांच प्रतिशत से कम निर्भरता है। अत: हमें इसके लिए नियामक, वित्तीय प्रणाली और ब्रोकर की सराहना करनी चाहिए।
इस माहौल में एचडीएफसी बैंक के लिए क्या बदला है?
बहुत कम। अगर आप 7 प्रतिशत के सकल घरेलू उत्पाद पर अगर आप तीन का क्रेडिट मल्टिप्लायर लेते हैं तो तो इस लिहाज से क्रेडिट की मांग 21 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगी। हमारी बाजार में हिस्सेदारी हमेशा से बढ़ती रही है और इसमें रुकावट का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है।
हमने हमेशा अपने आप को मध्यम और उच्च मध्यम स्तर के ग्राहकों तक सीमित रखा है। किसी ऐसे व्यक्ति को ऋण देना जोकि कर्ज का भुगतान करने में सक्षम नहीं है,यह उसकी मदद करना नहीं बल्कि सेवा में रुकावट डालना है।
वैश्विक क्रेडिट संकट के बाद भारतीय कंपनियों की मांग का रुख भी भारत की ओर होगा और इसका सिस्टम पर दबाव पड़ेगा?
निश्चित तौर पर। सिर्फ विदेशों से की जा रही मांगों का स्थानांतरण भारत की तरफ करना ही काफी नहीं है।
हमें बदले हुए परिदृश्य के बारे में सोचना होगा जोकि एक अवधि के बाद बनेगा और समय समय पर बैंकिंग प्रणाली में तरलता का समावेश करना होगा। इसका कारण यह है कि ईसीबी केद्वारा जो भी फंड दिया गया था सिर्फ उसी का रुख भारत की तरफ नहीं हो रहा है बल्कि खरीददारों की क्रेडिट पर उपलब्ध नहीं है।
लोग मौजूदा मूल्य पर इक्विटी इश्यू को खरीदने केलिए तैयार नहीं है, इधर तेल कंपनियों और उर्वरक कंपनियों की तरफ से मांग तेज है और जैसे कि महंगाई मुनाफे को कम करती है वैसे ही डिपॉजिट केस्तर में गिरावट आती है।
आपके करेंट और सेंविंग एकाउंट बेहतर स्थिति में हैं, आपके प्रतिद्वंदी बैंक इन खातों में बढ़ोतरी की बात कर रहें हैं?
वे लोग इसके बारे में पिछले 10 वर्षों से बात कर रहें हैं। इस देश में कारोबार और मांग की कोई कमी नहीं है। हम करेंट और सेविंग एकाउंट को अभीष्ठ स्तर पर कायम रखने में सफल होंगे । हमारी शाखाएं तेजी से फैल रही हैं। अत: हमारा औसतन सेविंग एकाउंट बैलेंस कम से कम 25 प्रतिशत ज्यादा है।