भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) केवल संस्थागत निवेशकों के लिए लाए जाने वाले आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) पर विचार कर रहा है ताकि छोटे निवेशकों को नए जमाने की तकनीक एवं ई-कॉमर्स कंपनियों की जोखिमप्रद पेशकशों से बचाया जा सके। नियामकीय एवं निवेश बैंकिंग के सूत्रों ने कहा कि नियामक इस बारे में विचार कर रहा है कि फूड डिलिवरी कंपनी जोमैटो जैसी घाटे वाली कंपनियों को सार्वजनिक बाजारों से पूंजी जुटाने की मंजूरी देने से पहले निवेशकों की सुरक्षा के लिए कुछ और कदम उठाने की जरूरत तो नहीं है। सूत्रों ने कहा कि सीधी खुदरा भागीदारी पर रोक और अनिवार्य ‘सेफ्टी नेट’ जैसी अवधारणाओं पर विचार चल रहा है।
आम तौर पर घरेलू आईपीओ में संस्थागत और गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए दो व्यापक समान कोटे होते हैं। फिर गैर-संस्थागत हिस्से को 70:30 में खुदरा (दो लाख रुपये तक निवेश करने वाले) और अति धनाढ्य व्यक्तियों (दो लाख रुपये से अधिक निवेश करने वाले) में बांटा जाता है। वर्ष 2012 में सेबी ने उन कंपनियों के मामले में खुदरा कोटा आईपीओ के आकार के 35 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था, जिनका मुनाफे का ट्रैक रिकॉर्ड नहीं रहा है। केवल संस्थागत निवेशक विशेष के आईपीओ का मतलब होगा कि छोटे निवेशकों को या तो म्युचुअल फंड के जरिये परोक्ष रास्ता चुनना होगा या उन्हें एचएनआई कोटे में निवेश करना होगा, जिसमें न्यूनतम निवेश राशि अधिक होगी।
निवेश बैंकरों की लॉबी एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टमेंट बैंकर्स ऑफ इंडिया (एआईबीआई) ने पहले सेबी से आग्रह किया था कि केवल संस्थागत निवेशक विशेष आईपीओ को मंजूरी दी जाए। इसका अमेरिका जैसे विकसित बाजारों में चलन है। बीते वर्षों में नियामक जनता के विरोध के डर से इस विचार से दूर रहे हैं। निवेश बैंकरों ने कहा कि निकट भविष्य में लाभ में नहीं आने के आसार वाली कंपनियां शेयर बाजार से पूंजी जुटाने के बारे में विचार कर रही हैं। ऐसे में सेबी इस विचार को अलग तरह से देख रहा है। इस बारे में सेबी को भेजे गए ईमेल का तत्काल कोई जवाब नहीं मिला। आईपीओ से खुदरा निवशकों को पूरी तरह दूर करने को लेकर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है।
डीएसके लीगल में एसोसिएट पार्टनर गौरव मिस्त्री ने कहा, ‘आज के युग में औसत खुदरा निवेशक ने खुद को जानकार, प्रगतिशील साबित किया है और अपनी अधिक जोखिम लेने की क्षमता दिखाई है। इस लिहाज से यह प्रस्ताव मौजूदा अर्थव्यवस्था की निवेश मांग के अनुकूल साबित नहीं होगा।’ एलऐंडएल पार्टनर्स में पार्टनर अमृता टोंक ने कहा, ‘सेबी उन कंपनियों से छोटे निवेेशकों को बचा रहा है, जिन्होंने बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है और निवेशकों को अच्छा प्रतिफल नहीं देती हैं।’
