इक्विटी योजनाओं से अगस्त में करीब 4,000 करोड़ रुपये की निवेश निकासी हुई, जो एक दशक का सर्वोच्च स्तर है। यह निकासी लार्ज व मल्टीकैप योजनाओं की अगुआई में हुई। निवेशकों ने मुनाफावसूली की या फिर ऐसे महीने में अपनी नकदी की जरूरतें पूरी करने के लिए निवेश निकासी की, जब बेंचमार्क सूचकांक 2.7 फीसदी चढ़ गया।
10 में से सात इक्विटी योजनाओं से कुल 4,402 करोड़ रुपये की निकासी हुई। एक महीने पहले के मुकाबले निवेश निकासी 11.6 फीसदी बढ़कर 18,558 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। एसआईपी के जरिए निवेश लगातार पांचवें महीने घटा। अगस्त में कुल योगदान 7,792 करोड़ रुपये का रहा, जो एक महीने पहले के मुकाबले आधा फीसदी कम है।
शेयरखान के निदेशक जे सी गोगॉन ने कहा, यह स्पष्ट है कि कोविड के कारण पैदा हुआ मौजूदा आर्थिक माहौल से खुदरा निवेशक प्रभावित हुए हैं। ऐसे माहौल में इक्विटी एमएफ बेचकर निवेशक अपने पोर्टफोलियो का जोखिम घटाना चाहते हैं। म्युचुअल फंडों में लंबी अवधि के लिहाज से बेहतरी बनी हुई है, लेकिन अल्पावधि की मुश्किलें जल्द समाप्त नहीं होने वाली है।
बाजार के प्रतिभागियों को हालांकि यह निकासी चिंताजनक नहीं दिख रही और उन्हें उम्मीद है कि एक या दो तिमाही में चीजें स्थिर हो जाएंगी। मौजूदा स्थिति साल 2009 की तरह है जब बाजारों में वैश्श्विक आर्थिक संकट के बाद रिकवरी हुई थी।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के सहायक निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, खातोंं की संख्या और महीने के दौरान जुटाई गई रकम जुलाई से थोड़ी ज्यादा रही। लेकिन इसके साथ ही निवेश निकासी की रफ्तार भी तेज रही। यह बताता है कि ज्यादा निवेशकों ने मुनाफावसूली को तरजीह दी क्योंंकि इकिक्वटी बाजारों में तेजी रही।
विशेषज्ञों ने कहा, उद्योग ने 4.65 लाख खाते जोड़े, जिसमें 3.43 एसआईपी खाते शामिल हैं। यह बताता है कि खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी म्युचुअल फंडों में बनी हुई है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के मुख्य कार्याधिकारी एन एस वेंकटेश ने कहा, उतारचढ़ाव और चुनौतीपूर्ण आर्थिक माहौल के बावजूद निवेशक लगातार परिपक्व की तरह व्यवहार कर रहे हैं और ये चीजें रिकॉर्ड खुदरा एयूएम, एसआईपी एयूएम में इजाफा, एसआईपी खाते में बढ़ोतरी और माह के दौरान मल्टी ऐसेट एलोकेशन स्कीम में ज्यादा निवेश से परिलक्षित हुआ है।
अगस्त के आखिर में एमएफ उद्योग का कुल एयूएम 27.8 लाख करोड़ रुपये रहा, जो एक महीने पहले के 27.3 लाख करोड़ ररुपये के मुकाबले मामूली ज्यादा है।
वैक्सीन बनाने वाली फर्मों के शेयरों में तेजी
कोविड-19 महामारी के लिए वैक्सीन बनाने में मदद करने वाली वैश्विक सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में साल 2020 के निचले स्तर से काफी तेजी दर्ज हुई है। कुछ कंपनियों के शेयर 4,000 फीसदी तक चढ़े हैं। इनमें वेक्सार्ट और नोवावैक्स शामिल हैं। मोडरना के शेयर में जनवरी के निचले स्तर से 433 फीसदी से ज्यादा की तेजी दर्ज हुई है।
भारतीय दवा क्षेत्र में भी तेजी देखने को मिली है। निफ्टी फार्मा इंडेक्स मार्च 2020 के निचले स्तर से 80 फीसदी चढ़ा है। भारत व वैश्विक कंपनियों के बीच मूल्यांकन का अंतर भी बदल गया है। कंपनी के मुनाफे से शेयर कीमत की माप करने वाला प्राइस टु अर्निंग अनुपात औसत आधार पर वैश्श्विक कंपनियों का गिरा है। दिसंबर 2019 में यह करीब 2.1 था। मौजूदा समय मेंं यह करीब 15 है। यह अनुपात जितना ज्यादा होता है, कंपनी को उसकी आय के सापेक्ष उतना ही महंगा माना जाता है। निफ्टी फार्मा इंडेक्स की राह वैश्विक वैक्सीन कंपनियों के मुकाबले अलग है। दिसंबर 2019 में प्राइस अर्निंग अनुपात 25.5 था और अभी यह 47.1 है। दोनों के बीच मूल्यांकन का अंतर साल 2019 के आखिर और महामारी की शुरुआत के बाद से बढ़ा है। बीएस