facebookmetapixel
विश्व हृदय दिवस 2025: अब सिर्फ बुजुर्गों को नहीं, युवाओं को भी हार्ट अटैक का खतराIRCTC Ticket Booking: दिवाली पर घर जानें की तैयारी? जानें एक महीने में कितनी बार बुक कर सकते हैं ट्रेन टिकट₹30,000 करोड़ के बंपर ऑर्डर से चमकेगा Defence PSU स्टॉक, मोतीलाल ओसवाल ने कहा- ₹490 तक भरेगा उड़ानएयरपोर्ट फ्रेमवर्क को उड़ान से पहले झटकाOctober Bank Holidays List: त्योहारी मौसम में बैंक बंद! जानें कब-कब रहेगी छुट्टी; देखें RBI की हॉलिडे लिस्टकेबल एंड वायर सेक्टर के इन 2 स्टॉक्स पर रखें नजर, दमदार ग्रोथ आउटलुक पर मोतीलाल ओसवाल बुलिशउत्तर प्रदेश में 34,000 करोड़ रुपये के रक्षा और एयरोस्पेस निवेश दर्जकेंद्र ने संसदीय समितियों का कार्यकाल दो साल करने का दिया संकेतशैलेश चंद्रा होंगे टाटा मोटर्स के नए एमडी-सीईओ, अक्टूबर 2025 से संभालेंगे कमानदिल्ली बीजेपी का नया कार्यालय तैयार, PM Modi आज करेंगे उद्घाटन; जानें 5 मंजिला बिल्डिंग की खास बातें

विदेशों में भारतीय कंपनियों का निवेश बढ़ा

Last Updated- December 05, 2022 | 9:42 PM IST

भारतीय कार्पोरेट हाउस अधिग्रहण के जरिए विदेशों में निवेश करता रहा है ये बात तो जाहिर है लेकिन वो ये सब करने के लिए ऐसे देशों को चुनते हैं जहां या तो टैक्स की दर बहुत कम होती है या फिर उन पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगता।


रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से दिसंबर 2007 के बीच भारतीय कंपनियों का बाहर लगाया जाने वाला पैसा सिंगापुर, नीदरलैंड्स और ब्रिटिश वर्जीनिया आईलैंड्स को गया है। ऐसा नहीं कि ये पैसा इन देशों में लगाया जाता है, बल्कि इस निवेश की मंजिल कोई और देश होती है। सिंगापुर एशिया पैसिफिक का फाइनेंशियल हब माना जाता है और इस तरह के एफडीआई का 37 फीसदी हिस्सा इस देश में किया, इसके बाद आता है नीदरलैंड्स जहां 26 फीसदी एफडीआई गया और ब्रिटिश वर्जीनिया आईलैंड्स में 8 फीसदी गया।


बैंक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-दिसंबर 2007 के बीच यह आउटवर्ड एफडीआई 13 फीसदी बढ़कर 10.11 अरब डॉलर का हुआ जब कि 2006 में इस दौरान 8.97 अरब डॉलर का निवेश किया गया था। अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान कुल 19.74 अरब डॉलर का एफडीआई इनफ्लो रहा यानी जो विदेशी निवेश भारत आया। इसका मतलब यह कि इस दौरान नेट इनफ्लो केवल 9.63 अरब डॉलर का ही रहा है ।


प्राइस वाटरहाउस कूपर्स के ईडी जयराज पुरांदरे के मुताबिक भारतीय कंपनियां ये निवेश इसलिए भी करती हैं कि इस निवेश पर होने वाली कमाई पर या तो बहुत कम टैक्स लगता है या फिर कोई टैक्स नहीं लगता। इससे कंपनियां टैक्स देने के बजाए उस पैसे को वापस कारोबार में लगा पाती हैं। ये देश वैसे ही इंटरमीडियरी डेस्टिनेशन का काम करते हैं जैसे विदेशी निवेशक या फिर कई एमएनसी मॉरीशस के जरिए भारत में निवेश करते हैं। भारतीय निवेशक जो विदेशों में निवेश करते हैं उन्हे नए बाजार , नई तकनीक और नए कस्टमर का फायदा तो मिलता ही है, कारोबारी मुनाफा भी खासा होता है।



 

First Published - April 16, 2008 | 12:28 AM IST

संबंधित पोस्ट