बीमा कंपनियों के शेयरों में गुरुवार को कमजोरी देखी गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) बीमा कंपनियों के कुल बैंक बीमा व्यवसाय (bancassurance) में उनके पेरेंट बैंकों की हिस्सेदारी को 50% तक सीमित करने पर विचार कर सकता है। CNBC-TV18 ने यह जानकारी सूत्रों के हवाले से दी है।
हाल ही में आयोजित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) इकोनॉमिस्ट कॉन्क्लेव में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकासुरेंस ने भले ही बीमा की पहुंच बढ़ाई है, लेकिन इसके कारण गलत तरीके से पॉलिसियां बेचे जाने (मिस-सेलिंग) के मामलों में भी इजाफा हुआ है। IRDAI के चेयरमैन देबाशीष पांडा ने भी बीमा उत्पादों की गलत बिक्री को लेकर बढ़ती चिंताओं पर जोर दिया।
आंकड़ों के अनुसार, एचडीएफसी लाइफ अपने 65% बीमा पॉलिसियां बैंकिंग चैनल के जरिए बेचती है। इसके बाद एसबीआई लाइफ (60%), मैक्स लाइफ (52%), आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल (29%) और एलआईसी (4%) का स्थान है।
SBI लाइफ और मैक्स फाइनेंशियल के शेयरों में भारी गिरावट, एचडीएफसी लाइफ भी दबाव में
गुरुवार को बीएसई पर एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस और मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयर 7% तक गिरे। एसबीआई लाइफ का शेयर ₹1,407.50 और मैक्स फाइनेंशियल का ₹1,100 पर कारोबार कर रहा था। वहीं, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस का शेयर 5.5% गिरकर ₹643.50 पर पहुंच गया। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 1.53% गिरकर 79,003 पर था।
एसबीआई लाइफ का शेयर अपने 52 सप्ताह के हाई ₹1,935 (3 सितंबर 2024) से 27% गिर चुका है। यह गिरावट सितंबर तिमाही (Q2FY25) में कम राजस्व वृद्धि के कारण हुई। वहीं, मैक्स फाइनेंशियल और एचडीएफसी लाइफ के शेयर क्रमश: 16% और 15% गिरे हैं।
तिमाही प्रदर्शन और अनुमान
एलारा कैपिटल के विश्लेषकों के अनुसार, अक्टूबर 2024 में एचडीएफसी लाइफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और मैक्स लाइफ ने अनुमान से बेहतर वार्षिक प्रीमियम वृद्धि (APE ग्रोथ) दर्ज की। इसके चलते H2FY25 के लिए सेक्टर की ग्रोथ 14% सालाना आधार पर बढ़ने का अनुमान है।
हालांकि, गैर-लिंक्ड सेविंग प्रोडक्ट्स पर डिस्ट्रीब्यूटर के साथ कमीशन को लेकर बातचीत जारी रहने के बावजूद, अक्टूबर 2024 में APE ग्रोथ अच्छी रही। विश्लेषकों का मानना है कि H2FY25 में वैल्यू ऑफ न्यू बिजनेस (VNB) ग्रोथ 8% रह सकती है। लेकिन ULIP के बढ़ते योगदान के कारण VNB मार्जिन पर दबाव रहेगा। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि ULIP के कम परसिस्टेंसी रेट के कारण एम्बेडेड वैल्यू (EV) में नेगेटिव वेरिएशन देखने को मिल सकता है, जिससे FY25 में ROEV पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।