बाजार नियामक सेबी और स्टॉक एक्सचेंजों ने दिवालिया समाधान प्रक्रिया वाली कंपनियों के शेयरों के छोटे निवेशकों के संरक्षण और उनके शेयर कीमतों को जोड़ तोड़ से बचाने के लिए उपायों की घोषणा की है।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज और बीएसई ने कहा कि दिवालिया संहिता के तहत कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया वाली सूचीबद्ध कंपनियों के संबंध में सूचनाओं की विषमता व भ्रम दूर करने के लिे कई कदम उठाए हैं।
मौजूदा इक्विटी होल्डर्स की किस्मत को लेकर स्पष्टता के आभाव के बीच विगत में कई शेयरधारक दीवान हाउसिंग, जेट एयरवेज और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के शेयरों में फंस चुके हैं। निवेशकों को बेहतर सूचना सुनिश्चित करने के लिए एक्सचेंजों ने कहा है कि वे ऐसा कुछ कहेंगे, जिससे सदस्यों व बाजार के भागीदारों को यह समझना आसान हो जाएगा कि प्रतिभूति अभी आईबीसी की कार्यवाही के दायरे में है।
इसके अलावा एक्सचेंज सभी ब्रोकरों को निर्देश देंगे कि कॉरपोरेट दिवालिया प्रक्रिया के दायरे वाली कंपनियों के शेयरों के ऑर्डर के समय वे अपने क्लाइंटों को सचेत करेंगे। एनएसई ने शुक्रवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, चूंकि यह अलर्ट सीआईआरपी में शामिल होने के दिन से लेकर कंपनी के निलंबन/एनसीएलटी के आदेश के मुताबिक सीआईआरपी प्रक्रिया से बाहर निकलने तक उपलब्ध होगा, लिहाजा बाजार के भागीदार कंपनी की स्थिति को लेकर स्पष्ट तौर पर वाकिफ होंगे और उसमें ट्रेडिंग से पहले जांच परख करेंगे।
साथ ही एनएसई व बीएसई एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जहां एक दूसरे को सहयोग मिलेगा और यह कंपनी की तरफ से मौखिक सूचना या रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल की तरफ से खबर मिलने के बाद उशकी ट्रेडिंग तात्कालिक आधार पर निलंबित की जाएगी। यह उन मामलों में किया जाएगा जहां सूचीबद्ध प्रतिभूतियों की कीमत शून्य मानी जा रही है या जहां पूरी इक्विटी पूंजी समाप्त कर दी गर्ई और वह भी इक्विटी शेयरधारकों को भुगतान किए बिना। मौखिक आदेश और एनसीएलटी की तरफ से लिखित आदेश के बीच काफी वक्त होता है।