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इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश बढ़ाने पर SEBI चेयरमैन का जोर, कहा: रिटेल और पेंशन फंड्स को इस सेक्टर में लाने की जरूरत

नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID) के वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश का दायरा काफी छोटा है

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- September 18, 2025 | 4:40 PM IST

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने गुरुवार को कहा कि देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड और रिटेल निवेशकों को इस सेक्टर में लाने की बात कही। उनका मानना है कि ज्यादा और अलग-अलग तरह के निवेशक आने से इन्फ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटीज में लिक्विडिटी यानी नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी।

नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID) के वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश का दायरा काफी छोटा है। ज्यादातर निवेश बड़े संस्थागत निवेशकों से आता है। रिटेल और विदेशी निवेशक अभी सतर्क हैं। उन्होंने बताया कि सेकेंडरी मार्केट में ट्रेडिंग कम होने की वजह से लिक्विडिटी भी कम है। इससे नए निवेशकों का आना मुश्किल हो रहा है।

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एसेट मोनेटाइजेशन पर जोर

SEBI चेयरमैन ने सड़क, रेलवे, बंदरगाह, हवाई अड्डे, ऊर्जा, पेट्रोलियम, गैस और लॉजिस्टिक्स जैसे सेक्टर्स में एसेट मोनेटाइजेशन को तेज करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों को छोड़कर ज्यादातर राज्य सरकारों ने अभी तक इस दिशा में ठोस योजनाएं नहीं बनाई हैं। इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बढ़ावा देने में कमी आ रही है। पांडे ने कहा कि इनविट्स (InvITs), रीट्स (REITs), पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) और सिक्योरिटाइजेशन जैसे कई तरीके मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल एसेट मोनेटाइजेशन के लिए किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि म्यूनिसिपल बॉन्ड्स, रीट्स और इनविट्स के जरिए पहले की तुलना में ज्यादा फंड जुटाए गए हैं। लेकिन भारत की जरूरतों के हिसाब से यह राशि बहुत कम है। 2017 से अब तक शहरी स्थानीय निकायों ने 21 म्यूनिसिपल बॉन्ड्स के जरिए करीब 3,134 करोड़ रुपये जुटाए हैं। फिर भी, कमजोर बैलेंस शीट और देरी से मिलने वाली मंजूरी जैसी समस्याएं बनी हुई हैं।

पांडे ने यह भी चेतावनी दी कि बैंकों और सरकारी बजट पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता जोखिम बढ़ा सकती है। इसके बजाय कॉरपोरेट बॉन्ड्स, इनविट्स, रीट्स और म्यूनिसिपल बॉन्ड्स जैसे मार्केट आधारित विकल्प जोखिम को कई हिस्सों में बांट सकते हैं। SEBI के पास रजिस्टर्ड 5 रीट्स और 23 इनविट्स ने पिछले पांच साल में 1.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। इनके पास मार्च 2025 तक 8.7 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी। इसके अलावा, जून 2025 तक इन्फ्रास्ट्रक्चर केंद्रित कैटेगरी-1 अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स ने 7,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है।

SEBI ने हाल ही में रीट्स को ‘इक्विटी’ के रूप में वर्गीकृत करने और रीट्स व इनविट्स के लिए ‘स्ट्रैटेजिक इनवेस्टर’ की परिभाषा को बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं। ये कदम कारोबारी सुगमता को बेहतर बनाने के लिए हैं।

First Published : September 18, 2025 | 4:23 PM IST