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मुद्रास्फीति ने बाजार जोखिम के तौर पर कोविड को पीछे छोड़ा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:52 AM IST

मुद्रास्फीति में तेजी और कॉरपोरेट कराधान में वृद्घि ने निवेशकों के लिए सबसे बड़े जोखिम के तौर पर कोविड-19 को पीछे छोड़ दिया है। यह खुलासा बोफा द्वारा कराए गए वैश्विक फंड प्रबंधक सर्वे में किया गया है। ब्रोकरेज फर्म ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘एक साल पहले, कोविड-19 को 11 मार्च को वैश्विक महामारी का नाम दिया गया था। अब अप्रैल 2021 में, महज 15 प्रतिशत फंड प्रबंधक  ही कोविड-19 को सबसे बड़े जोखिम के तौर पर मान रहे हैं, जो 15 प्रतिशत पर ऊंचे करों के जाखिम के मुकाबले भी कम है। प्रोत्साहन पैकेजों में नरमी का जोखिम 32 प्रतिशत पर, जिसके बाद मुद्रास्फीति 27 प्रतिशत पर है।’
बोफा का यह सर्वे 6-12 अप्रैल के बीच कराया गया था जिसमें 553 अरब डॉलर की एयूएम के साथ 200 से ज्यादा फंड प्रबंधकों ने हिस्सा लिया था।
50 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिभागियों ने अर्थव्यवस्था में वी-आकार की रिकवरी का अनुमान जताया, जबकि मई 2020 में यह महज 10 प्रतिशत था। करीब 37 प्रतिशत का मानना है कि यह सुधार ‘यू’ या ‘डब्ल्यू’ आकार से संबंधित होगा।

डाबर का बाजार पूंजीकरण एक लाख करोड़ रुपये के पार
डाबर इंडिया का बाजार पूंजीकरण गुरुवार को कारोबारी सत्र के दौरान 1 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया। कंपनी का शेयर 2.2 फीसदी की बढ़त के साथ अब तक के सर्वोच्च स्तर 573 रुपये पर बंद हुआ, जिससे कंपनी का मूल्यांकन 1.01 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। एक महीने में डाबर का शेयर 9 फीसदी चढ़ा है जबकि इस अवधि में सेंसेक्स में 3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। अभी 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बाजार पूंजीकरण वाली करीब 41 सूचीबद्ध कंपनियां हैं। बीएस

First Published : April 15, 2021 | 11:37 PM IST