डेरिवेटिव नुकसान और क्रेडिट असेसमेंट डाउनग्रेड की आशंकाओं के बीच इंडसइंड बैंक की उधारी लागत एक सप्ताह में 15 आधार अंक तक बढ़ गई। सोमवार को इंडसइंड बैंक ने विभिन्न परिपक्वता अवधियों के जमा पत्र (सीडी) जारी करके 11,000 करोड़ रुपये जुटाए जिनकी कूपन दरें 7.80 प्रतिशत से 7.90 प्रतिशत के बीच थीं। इसमें 7.9 फीसदी की दर से 12 महीने के सीडी के जरिए जुटाए गए 2000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) के आंकड़ों के अनुसार पिछले हफ्ते बैंक की ओर से अपने सीडी पर पेश दरों की तुलना में यह 15 आधार अंक की वृद्धि है। बैंक ने 10 मार्च को 7.75 फीसदी की कूपन दर से 12 महीने के सीडी जारी कर 1,890 करोड़ रुपये जुटाए थे।
दूसरी तरफ एचडीएफसी बैंक, आरबीएल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बैंकों की ओर से जारी सीडी पर दरें पूर्ववर्ती सप्ताह के मुकाबले अपरिवर्तित बनी रहीं। इंडियन बैंक ने 7.57 फीसदी की दर पर 12 महीने की परिपक्वता वाले सीडी जारी किए जबकि पिछले सप्ताह यह दर 7.61 फीसदी थी।
सीसीआईएल के आंकड़ों के अनुसार सोमवार को इंडसइंड बैंक की ओर से सीडी के माध्यम से जुटाई गई धनराशि उसी दिन सभी बैंकों की तरफ से जारी कुल 27,140 करोड़ रुपये के सीडी से 40 प्रतिशत से अधिक थी। बैंक द्वारा जमा पत्रों के जरिये पैसा जुटाने पर ऐसे समय में जोर दिया जा रहा है जब वह अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत बनाने की दिशा में सक्रियता से काम कर रहा है। 9 मार्च, 2025 तक बैंक का तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) 113 प्रतिशत तक गिर गया, जबकि दिसंबर के अंत में यह 118 प्रतिशत था। एलसीआर 100 प्रतिशत की नियामकीय जरूरत से ऊपर रहा।
जमाओं की लागत बढ़ने से चालू तिमाही में बैंक के शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) पर दबाव बढ़ गया। बैंक का एनआईएम चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के 4.25 फीसदी से घटकर दूसरी तिमाही में 4.08 फीसदी और तीसरी में 3.93 फीसदी रहा है। बर्न्सटीन की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘थोक जमाओं पर अत्यधिक निर्भरता के कारण बैंक को जमा राशि की तेज निकासी का खतरा है, जो लेखांकन समस्याओं की आशंका के कारण गहरा सकती है।’
शनिवार को आरबीआई ने एक बयान जारी कर जमाकर्ताओं से अपील की थी कि बैंक पर अटकलबाजी वाली रिपोर्टों पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है।