विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय और अमेरिकी 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल (bond yields) के बीच अंतर घटकर करीब 14 वर्षों में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है, लेकिन यह लंबे समय तक इस स्तर के आसपास बना नहीं रह सकता और आगामी सप्ताहों में इसमें बदलाव आ सकता है।
भारत का बॉन्ड प्रतिफल पिछले कुछ दिनों से 7 प्रतिशत के आसपास बना हुआ है, और अमेरिकी प्रतिफल पिछले दो सप्ताहों में बढ़कर 3.75 प्रतिशत के आसपास रहा, जिससे अंतर घटकर 325 आधार अंक रह गया। इससे पहले यह स्तर अगस्त 2009 में दर्ज किया गया था।
एरेटे कैपिटल (Arete Capital) के उपाध्यक्ष माताप्रसाद पांडे ने कहा, ‘प्रतिफल के बीच मौजूदा अंतर टिकाऊ नहीं है। यह अंतर 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल कुछ समय से ऊपर बने रहने की वजह से दर्ज किया गया।’
पीएनबी गिल्ट्स (PNB Gilts) में वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष (senior executive vice president) विजय शर्मा ने कहा, ‘स्थानीय बॉन्ड प्रतिफल अपने निचले स्तर के नजदीक है और इसके सुधरकर 7.10-7.12 प्रतिशत के दायरे में पहुंचने का अनुमान है। प्रतिफल द्वारा फिर से नया निचला स्तर बनाए जाने की संभावना नहीं है और 6.95 प्रतिशत का स्तर चालू तिमाही के लिए मजबूत प्रतिरोध स्तर के तौर पर काम कर सकता है। ’
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अमेरिकी प्रतिफल पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ा है, क्योंकि डेट सीलिंग को लेकर बातचीत अभी चल रही है, जबकि फेड के अधिकारियों से सख्त प्रतिक्रिया की वजह से बॉन्ड बिकवाली को बढ़ावा मिला, जबकि स्थानीय बुनियादी आधार भारतीय सरकारी बॉन्डों के लिए अनुकूल रहा है, जिससे प्रमुख प्रतिफल 7 प्रतिशत से नीचे पहुंचने को बढ़ावा मिला।
ICICI Securities Primary Dealership में रिसर्च हेड ए प्रसन्ना ने कहा, ‘जब दोनों देशों में मुद्रास्फीति फिर से दीर्घावधि औसत के आसपास पहुंच जाएगी तो यह अंतर भी बढ़ सकता है।’