भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार का दिन गिरावट का रहा। सेंसेक्स और निफ्टी हालांकि थोड़ा गिरे, लेकिन छोटे और मध्यम आकार वाली कंपनियों के सूचकांकों में ज्यादा गिरावट देखने को मिली। स्मॉलकैप इंडेक्स में 2.4% और मिडकैप इंडेक्स में 3% तक की गिरावट आई।
ल्यूपिन कंपनी की कमाई उम्मीद से कम रहने के कारण उसके शेयर में 6.58% की भारी गिरावट आई। अरबिंदो फार्मा, टोरेंट पावर जैसी दूसरी कंपनियों के शेयरों में भी 4 से 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इनॉक्स विंड, रेनबो चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल और प्रेस्टीज ग्रुप जैसी कंपनियों के शेयरों में 7 से 8 फीसदी तक की गिरावट आई।
गिरावट के पीछे क्या है वजह?
विश्लेषकों के मुताबिक, इस गिरावट के पीछे कई वजह हो सकती हैं। पहली वजह ये है कि बाजार को कंपनियों की कमाई से ज्यादा उम्मीदें थीं, लेकिन असल में कमाई उम्मीद के मुताबिक नहीं रहीं। दूसरी वजह ये है कि कुछ कंपनियों के शेयरों की कीमतें उनकी कमाई के मुकाबले ज्यादा थीं, इसलिए निवेशकों ने मुनाफा कमाने का मौका देखा।
तीसरी वजह ये है कि बॉन्ड की ब्याज दरों के मुकाबले शेयर बाजार अभी महंगा लग रहा है, इसलिए कुछ निवेशकों ने अपना पैसा बॉन्ड में लगाना बेहतर समझा। हालांकि, कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का मानना है कि बड़ी और अच्छी कंपनियों वाले निफ्टी-50 में निवेश अभी भी फायदेमंद हो सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि अभी भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन काफी ज्यादा है। इसका मतलब है कि कंपनियों के शेयरों की कीमतें उनकी असल कमाई से कहीं ज्यादा हैं। वजह ये है कि शेयरों की कीमतें इतनी ज्यादा बढ़ गई हैं कि वो कंपनियों की असल कमाई को दिखा ही नहीं रहीं। वहीं, शेयरों की कीमतें सिर्फ भविष्य की अच्छी उम्मीदों और कहानियों पर आधारित होती हैं, ना कि कंपनी की असलियत पर।
‘कहानी-आधारित’ शेयरों में सावधान रहें
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने शेयर बाजार में निवेश करने वालों को आगाह किया है कि उन्हें ‘कहानी-आधारित’ शेयरों में सावधानी से पैसा लगाना चाहिए। ‘कहानी -आधारित’ शेयर वो होते हैं जिनकी कीमतें कंपनी की असल कमाई और स्थिति से ज्यादा भविष्य की उम्मीदों और कहानियों पर आधारित होती हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को कंपनियों के बिजनेस मॉडल को समझना चाहिए और उसी के आधार पर उनके शेयरों का मूल्यांकन करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें कंपनी की असलियत और उसके शेयरों की सही कीमत का पता चल सकेगा।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक चोक्कलिंगम जी का कहना है कि इन शेयरों का मूल्यांकन ‘अत्यधिक बढ़ा हुआ’ है। उनका मानना है कि पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ने के बाद अब स्मॉलकैप शेयरों की कीमतें काफी ऊंचाई पर पहुंच चुकी हैं।
इतिहास बताता है कि जब भी शेयर बाजार में तेजी दो-तीन साल से ज्यादा चलती है, तो उसके बाद बड़ी और छोटी कंपनियों के शेयरों की कीमतों के बीच का अंतर कम हो जाता है। फिलहाल स्मॉलकैप शेयर बड़े शेयरों (लार्ज कैप) के मुकाबले कहीं ज्यादा महंगे हैं।
मौजूदा समय में निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स 28.2 के प्राइस टू अर्निंग (पीई) पर कारोबार कर रहा है, जबकि बड़ी कंपनियों वाला निफ्टी 50 सिर्फ 21.8 के पीई पर है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि आम चुनावों से पहले FII आक्रामक रुख नहीं अपनाते।
इस बार भी वो चुनाव से पहले स्मॉलकैप शेयरों से पैसा निकाल रहे हैं। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक चोक्कलिंगम का कहना है कि फिलहाल निवेशकों को स्मॉलकैप शेयरों में गिरावट के दौरान खरीदारी से बचना चाहिए और बाजार में FII की वापसी का इंतजार करना चाहिए।