साल 2021 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में नए शेयरों की हिस्सेदारी बढ़ी है। इससे एक साल पहले आईपीओ मेंं नए शेयरों की हिस्सेदारी न्यूनतम रही थी। साल 2021 में अब तक कंपनियों ने आईपीओ के जरिये 39,301 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जिसमें नए शेयरों की हिस्सेदारी 19,277 करोड़ रुपये की रही है, यानी आईपीओ के जरिए जुटाई गई कुल रकम का करीब 50 फीसदी। हालांकि आईपीओ से जुटाई गई रकम साल 2020 में दोगुनी से ज्यादा हो गई, लेकिन इसमें से ज्यादातर में मौजूदा शेयरधारकों, प्रवर्तकों व प्राइवेट इक्विटी निवेशकों को निकासी का रास्ता मुहैया कराया।
साल 2020 में आईपीओ के जरिये 26,612 करोड़ रुपये जुटाए गए थे, लेकिन इसमें नए शेयरों की हिस्सेदारी 3,531 करोड़ रुपये यानी महज 13 फीसदी थी, जो साल 1989 के बाद का निचला स्तर है। साल 2021 के आईपीओ में करीब 50 फीसदी नए शेयर मुख्य रूप से जोमैटो के आईपीओ के कारण है। जोमैटो के आईपीओ में 9,000 करोड़ रुपये के नए शेयर से जुटाए जाएंगे जबकि द्वितीयक बिक्री के जरिए 375 करोड़ रुपये। जोमैटो का नया शेयर देसी आईपीओ बाजार में तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। किसी आईपीओ में नए शेयरों के जरिए सबसे ज्यादा रकम साल 2008 में रिलायंस पावर ने जुटाए थे, जो 10,123 करोड़ रुपये का था, जिसके बाद रियल्टी कंपनी डीएलएफ का स्थान रहा, जिसने नए शेयरों के जरिए एक साल बाद 9,188 करोड़ रुपये जुटाए थे।
स्पार्क कैपिटल के प्रमुख (निवेश बैंंकिंग) स्कंद जयरामन ने कहा, यह मुख्य रूप से जोमैटो जैसी कंपनी के कारण है, जो पूंजी बाजार पहुंचना चाह रही है। टेक कंपनियों में काफी दिलचस्पी है।
लेकिन अगर हम जोमैटो के योगदान को छोड़ दें तो आईपीओ के जरिए जुटाई गई कुल रकम में नए शेयरों की हिस्सेदारी 34 फीसदी बैठती है, जो साल 2016 के बाद का सर्वोच्च स्तर है।
2017 से 2020 के बीच आईपीओ के जरिये जुटाई गई रकम में 75 फीसदी हिस्सेदारी द्वितीयक शेयर बिक्री की रही। बैंकरों ने कहा कि इस अवधि में बाजार में उतरने वाली ज्यादातर कंपनियां हल्की परिसंपत्ति कारोबार वाली थी, जिसे पीई निवेशकों का समर्थन था।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में बड़े आईपीओ वित्तीय क्षेत्र की इकाइयों की तरफ से आए। इस साल बहुत ज्यादा वित्तीय कंपनियां बाजार में नहींं उतरी और जो उतरी उनके आईपीओ का आकार काफी छोटा था। वित्तीय सेवा कंपनियों को बहुत ज्यादा पूंजी की दरकार नहीं होती। मुख्य मकसद प्राइवेट इक्विटी निवेशकों या प्रवर्तकों को निकासी का रास्ता मुहैया कराना होता है।
आईपीओ में द्वितीयक बिक्री की ज्यादा हिस्सेदारी नकारात्मक ही हो, यह जरूरी नहीं है। यह पीई निवेशकों को निकासी का रास्ता देता है, ऐसे में नई कंपनियों में निवेश के लिए पूंजी मुक्त करता है। इसके अतिरिक्त यह प्रवर्तकों को अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने और उन्हें सूचीबद्ध कराने के लिए प्रोत्साहित करता है। पीई निवेशक कंपनियों को शुरुआती जोखिम वाली पूंजी मुहैया कराते हैं और कंपनियां काफी बाद में प्राथमिक बाजार में उतरती हैं। हालांकि आईपीओ में द्वितीयक बिक्री का वर्चस्व भी चिंता का संकेत है। द्वितीयक शेयर बिक्री से इक्विटी स्वामित्व में बदलाव होता है। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से गहन पूंजी वाले क्षेत्रों की इकाइयां बाजार में उतर रही हैं।
