आम बजट में सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमियों (एमएसएमई) को कई सौगातें दी गई हैं। इन उद्यमियों को गारंटी के साथ कर्ज की उपलब्धता बढ़ाने से लेकर इनकी परिभाषा के लिए तय कारोबार व निवेश सीमा में वृद्धि की गई है। साथ ही सूक्ष्म उद्यमियों के लिए क्रेडिट कार्ड का ऐलान भी किया गया है। पहली बार के उद्यमियों के लिए भी बजट में प्रावधान किए गए हैं। वित्त वर्ष 2026 के बजट में एमएसएमई मंत्रालय के लिए 23,268 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो वित्त वर्ष 25 के संशोधित अनुमान 17,306 करोड़ रुपये से अधिक है।
सूक्ष्म व लघु उद्यमियों के लिए पहले क्रेडिट गारंटी कवर की सीमा 5 करोड़ रुपये थी, आम बजट में इसे बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने का प्रावधान किया गया है। क्रेडिट गारंटी कवर बढ़ने से सूक्ष्म व छोटे उद्यमियों को अगले 5 साल में 1.5 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध होगा। स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी कवर की सीमा 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये की गई है। आम बजट में सूक्ष्म उद्यमियों के लिए क्रेडिट कार्ड जारी करने का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि हम उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमियों को 5 लाख रुपये सीमा वाले विशेष क्रेडिट कार्ड शुरू करेंगे। पहले वर्ष में 10 लाख क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे।
आम बजट में पहली बार के उद्यमियों के लिए नई योजना का ऐलान किया गया है। बजट भाषण में कहा गया है कि 5 लाख महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए एक नई योजना शुरू की जाएगी। इससे अगले 5 वर्षों के दौरान 2 करोड़ रुपये तक का सावधि ऋण उपलब्ध होगा। उद्यमशीलता और प्रबंधकीय कौशलों के लिए ऑनलाइन क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। बजट में एमएसएमई के लिए निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ाने की घोषणा की गई है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि एमएसएमई को अधिक व्यापक पैमाने पर दक्षता, प्रौद्योगिकी उन्नयन और पूंजी तक बेहतर पहुंच की सुविधा पाने में उनकी सहायता करने के उद्देश्य से सभी एमएसएमई के लिए वर्गीकरण संबंधित निवेश व कारोबार की सीमाओं को क्रमश: 2.5 और 2 गुणा तक बढ़ाया गया है। सूक्ष्म उद्योग के लिए निवेश सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर 2.5 करोड़, लघु के लिए 10 करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ और मध्यम के लिए 50 करोड़ से बढ़ाकर 125 करोड़ रुपये की गई है।
आम बजट में कारोबार के मामले में सूक्ष्म के लिए यह सीमा 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़, लघु के लिए 50 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये और मध्यम के लिए 250 करोड़ से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है। उद्योग का मानना है कि निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ने से डिफॉल्टर खरीदारों से पैसे की वसूली में सुधार होगा। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एमएसएमई कमेटी के सह-अध्यक्ष डी पी गोयल ने कहा कि इस नए बदलाव का असर 2 करोड़ से अधिक एसएमई पर पड़ेगा। एमएसएमई अधिनियम 2006 सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को 45 दिनों के भीतर पैसे वसूलने का अधिकार देता है।
ऐसा न करने पर खरीदार को डिफॉल्ट अवधि के लिए बैंक ब्याज का 3 गुना भुगतान करना पड़ता है। सीमा बढ़ने से एसएमई में अधिक उद्योग शामिल हो सकेंगे। जिससे सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की वित्तीय सेहत में सुधार होगा। बजट में आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण 27 फोकस क्षेत्रों में ऋण के लिए गारंटी शुल्क को 1 प्रतिशत तक कम किया गया है।