सितंबर 2008 की तिमाही में आइडिया सेल्यूलर का प्रदर्शन अपेक्षाकृ त कमजोर रहा है।
कंपनी का शुध्द मुनाफे में 45 प्रतिशत की गिरावट आई जिसका कि कारण ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन कम रहना है। ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में 700 आधार अंकों की गिरावट आई और यह 26 प्रतिशत के स्तर पर रहा।
हालांकि यह बहुत ही आश्यर्चजनक है कि बिरला प्रोमोटेड इस कंपनी के क ीमतों में लचीलापन नहीं दिख रहा है और इसका राजस्व सिर्फ 5 प्रतिशत की उछाल के साथ 2,303 करोड रुपये रहा। जून की तिमाही में राजस्व में 10 प्रतिशत जबकि मार्च की तिमाही में राजस्व में 15 प्रतिशत की बढाेतरी हुई थी।
इन तिमाहियों में कम टैरिफ और मिनट ऑप यूजेस (एमओयू)में बढ़ोतरी होने से आइडिया सेल्यूलर को फायदा पहुंचा था। जहां तक सितंबर तिमाही की बात है तो न सिर्फ प्रति उभोक्ता राजस्व गिरावट केसाथ 278 रुपये से 261 रुपये पहुंच गया बल्कि एमओयू भी 2.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ 417 करोड़ रुपये केस्तर पर पहुंच गया।
मार्जिन पर सबसे ज्यादा असर नेटवर्क ऑपरेटिंग कॉस्ट के कारण हुआ जोकि जून की तिमाही के15 और मार्च की तिमाही के 12 प्रतिशत की तुलना में 19 प्रतिशत ऊपर चला गया। सितंबर तिमाही के दौरान कंपनी ने मुंबई में अपना परिचालन शुरू किया और यह उन क्षेत्रों में तेजी से सेल साइट खोल रही है जहां कि इसने अपना परिचालन पहले ही शुरू कर दिया है।
पिछले छह महीनों में आइडिया सेल्यूलर ने अपनी उपस्थिति में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। उपभोक्ता के अधिग्रहण और विज्ञापनों पर खर्च में 300 आधार अंकों की तेज बढ़ोतरी हुई है और यह 14.2 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया।
हालांकि आइडिया की विस्तार योजनाएं तो समझ में आती है लेकिन कपंनी के लिए जरूरी है कि इससे टॉपलाइन ग्रोथ में फायदा जरूर हो। सितंबर तिमाही के अंत में आइडिया सेल्यूलर के उपभोक्ताओं की संख्या 30.38 मिलियन थी लेकिन राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में कपंनी को अभी फायदा नहीं हो रहा है।
अल्ट्राटेक : र्इंधन की मार
अल्ट्राटेक सीमेंट के प्रबंधन का कहना है कि रियल एस्टेट और विनिर्माण क्षेत्र में स्पष्ट रूप से गिरावट के संकेत हैं जिससे सीमेंट की मांगों में कमी आ सकती है।
इन क्षेत्रों का कंपनी के कुल राजस्व में योगदान 85 प्रतिशत का होता है। पहले हालांकि मांगों में 9 से 10 प्रतिशत की तेजी आने की संभावना व्यक्त की गई थी लेकिन अब इसके और गिरकर 7 प्रतिशत तक आने की संभावना है।
हालांकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में पहले ही अतिरिक्त 1.6 करोड़ टन की आपूर्ति बाजार में हुई थी और मौजूदा साल के समाप्त होने से पहले कुछ और अतिरिक्त आपूर्ति होने की संभावना बन रही है। इसके चलते उद्योग पर नजर रखनेवाले 1 करोड़ के सरप्लस का अनुमान लगा रहे हैं।
जब तक कि रियल एस्टेट की परियोजनाओं में तेजी नहीं आती और अन्य क्षेत्रों में ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं होती जब तक सीमेंट निर्माताओं को न सिर्फ कम कीमतों बल्कि अपेक्षाकृत कमजोर वॉल्यूम से भी जूझना पड़ेगा।
इधर जबकि तेल की कीमतों में कमी आने और आयातित कोयले की कीमतों के 200 डॉलर प्रति टन से गिरकर 120 डॉलर प्रति टन आने से कुछ राहत की गुंजाइश जगी है लेकिन इसका सकारात्कम प्रभाव 2009 की मार्च तिमाही में ही देखने को मिलेगा क्योंकि निर्माताओं ने दिसंबर 2008 की तिमाही तक केलिए पहले ही इसका भंडारण कर चुके होंगे।
इसी कारण से अल्ट्रसटे्रक का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन सितंबर 2008 की तिमाही में साल-दर-साल के हिसाब से 710 आधार अंक घटकर 21.3 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया जिससे कि कंपनी का शुध्द मुनाफा 12 प्रतिशत घटकर 164 करोड़ रुपये के आसपास रहा। यह दूर्भाग्यपूर्ण है कि कंपनी केराजस्व में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने केबावजूद यह अपने बॉटमलाइन को बरकरार नहीं रख सकी।
हालांकि अगले साल की शुरूआत से चीजों में सुधार आनी चाहिए क्योंकि तब तकअल्ट्राटेक केपास अधिक पावर कपैसिटी होगी जिससे कि कंपनी को खर्च में कटौती करने में मदद मिलेगी।
सीमेंट की कीमत अभी तक यहां तक कि पश्चिमी और दक्षिणी भाग में भी स्थिर रही है।
हालांकि जैसा कि कंपनी प्रबंधन कह रही है कि मांग में कमी आ सकती है, कीमतों में 5 से 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। फिलहाल 368 रुपये केमौजूदा मूल्य पर कंपनी के शेयरों का कारोबार वित्त वर्ष 2009 के अनुमानित 60 रुपये के अनुमानित अर्निंग्स के 6 गुना केस्तर पर हो रहा है।