आईसीआईसीआई म्युचुअल फंड ने अपनी कुछ फिक्स्ड मेच्योरिटी स्कीमों (एफएमपी) में रिडम्पशन रोकने के लिए उनका एक्जिट लोड बढ़ा दिया है।
अब यह लोड दो फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी किया गया है। यह बदलाव नए निवेशकों पर ही लागू होगा। उद्योग के सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर डेट प्रबंधक आने वाले दिनों में एफएमपी से धन की भारी निकासी से बचने के लिए ऐसा ही कदम उठा सकते हैं।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के एमडी और सीईओ निमेश शाह के मुताबिक हमने लंबी अवधि के निवेशकों को ही अपनी स्कीमों में आकर्षित करने के लिए ऐसा किया है और मौजूदा निवेशक इससे सुरक्षित हैं। सेबी के मौजूदा नियमों के मुताबिक फंड हाउस समय से पहले यानी मेच्योरिटी से पहले पैसा निकालने वाले निवेशकों से छह फीसदी से ज्यादा नहीं वसूल सकते।
ज्यादातर फंडों ने एक्जिट लोड दो फीसदी रखा था। बाजार की नियामक भी एफएमपी से इस तरह की निकासी रोकने के लिए कदम उठा रही है। अक्टूबर में फंडों के डेट पोर्टफोलियो से धन की भारी निकासी होने के बाद ही यह कदम उठाया गया है।
अक्टूबर के आखिर में इन फंड हाउसों का एफएमपी स्कीमों में औसत असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 1,27,080 करोड़ था और यह सितंबर से 10,718 करोड़ कम था। म्युचुअल फंडों के कुल एयूएम का 25 फीसदी हिस्सा एफएमपी में ही होता है।
एक अन्य बड़े फंड मैनेजर के मुताबिक एक्जिट लोड काफी ज्यादा रखने से भारी निकासी से होने वाले नुकसान की भरपाई भी हो सकेगी। फंड मैनेजरों के लिए 5 फीसदी का एक्जिट लोड सही है ताकि वह सुनिश्चित कर सकें कि रिडम्पशन की दशा में कुछ पेपर (सेक्योरिटी) डिस्काउंट पर बेचने पर भी उनके मौजूदा निवेशकों को नुकसान न हो। जिन स्कीमों में लोड बढ़ाया गया है वह हैं, सालाना इंटरवल प्लान सीरीज-1, 2, 3 और 4, छमाही इंटरवल प्लान सीरीज-1 और 2 में भी लोड बढ़ा है।