facebookmetapixel
Vodafone Idea को कैबिनेट से मिली बड़ी राहत: ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर लगी रोकYear Ender: SIP और खुदरा निवेशकों की ताकत से MF इंडस्ट्री ने 2025 में जोड़े रिकॉर्ड ₹14 लाख करोड़मुंबई में 14 साल में सबसे अधिक संपत्ति रजिस्ट्रेशन, 2025 में 1.5 लाख से ज्यादा यूनिट्स दर्जसर्वे का खुलासा: डर के कारण अमेरिका में 27% प्रवासी, ग्रीन कार्ड धारक भी यात्रा से दूरBank Holiday: 31 दिसंबर और 1 जनवरी को जानें कहां-कहां बंद रहेंगे बैंक; चेक करें हॉलिडे लिस्टStock Market Holiday New Year 2026: निवेशकों के लिए जरूरी खबर, क्या 1 जनवरी को NSE और BSE बंद रहेंगे? जानेंNew Year Eve: Swiggy, Zomato से आज नहीं कर सकेंगे ऑर्डर? 1.5 लाख डिलीवरी वर्कर्स हड़ताल परGold silver price today: साल के अंतिम दिन मुनाफावसूली से लुढ़के सोना चांदी, चेक करें ताजा भाव2026 के लिए पोर्टफोलियो में रखें ये 3 ‘धुरंधर’ शेयर, Choice Broking ने बनाया टॉप पिकWeather Update Today: उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड और घना कोहरा, जनजीवन अस्त-व्यस्त; मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी

अस्पतालों की सेहत बनी शेयर बाजार की ताकत, 2026 तक जारी रह सकती है तेजी

 स्वास्थ्य जांच करने वाली पैथलैब कंपनियों को चौथी तिमाही में सुस्त वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है।

Last Updated- April 20, 2025 | 10:02 PM IST
KIMS share
प्रतीकात्मक तस्वीर

फार्मास्युटिकल (फार्मा) कंपनियों को टैरिफ से जुड़ी अनि​श्चितताओं का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य जांच करने वाली पैथलैब कंपनियों को भी चौथी तिमाही में सुस्त वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन अस्पताल फर्में जनवरी-मार्च ​की अव​धि में मजबूत प्रदर्शन कर सकती हैं। जहां फार्मा और डायग्नॉ​स्टिक कंपनियों के लिए औसत वृद्धि सालाना आधार पर 11-12 फीसदी रहने का अनुमान है, वहीं अस्पताल फर्मों के लिए यह 16-19 फीसदी रह सकती है।

इस बेहतर प्रदर्शन के पीछे के कारणों को स्पष्ट करते हुए आईआईएफएल के विश्लेषक राहुल जीवानी ने हाल में बेड बढ़ने, अधिक दिन तक मरीजों के रुकने, प्रति ऑपरेटिंग बेड औसत राजस्व (एआरपीओबी) में सुधार का हवाला दिया है, जिनसे अस्पतालों के राजस्व में 19 प्रतिशत और परिचालन लाभ में 21 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।

कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (केआईएमएस) और ग्लोबल हेल्थ (मेदांता) इस श्रेणी में आगे रह सकती हैं और सालाना आधार पर 25 फीसदी का परिचालन मुनाफा वृद्धि दर्ज कर सकती हैं। इसकी वजह कंपनियों को पिछले वर्ष के निचले आधार से मदद मिलना हो सकता है।

2023-24 की चौथी तिमाही में केआईएमएस का मार्जिन एकमुश्त खर्च और मेदांता के लिए लखनऊ में बाजार से जुड़ी समस्याओं की वजह से प्रभावित हो सकता है। इस क्षेत्र में आईआईएफएल के पसंदीदा शेयर हैं केआईएमएस, अपोलो हॉ​स्पिटल्स एंटरप्राइज (अपोलो) और रेनबो चिल्ड्रंस मेडिकेयर (रेनबो)।

कोटक इंस्टीट्यूशनल इ​क्विटीज (केआईई) ने अपने कवरेज वाली अस्पताल कंपनियों के लिए चौथी तिमाही में सालाना आधार पर 16 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया है, जिसे इन कंपनियों को मौजूदा बेड के ज्यादा इस्तेमाल, नए बेड जुड़ने और एआरपीओबी में वृद्धि से मदद मिलेगी। जहां केआईएमएस और नारायण हृदयालय का एआरपीओबी सालाना आधार पर मजबूत रहने की संभावना है, वहीं अपोलो, मैक्स हेल्थकेयर और मेदांता जैसी कंपनियों के लिए एआरपीओबी वृद्धि प्रभावित हो सकती है, क्योंकि यह नए बेड जोड़ने और/या सेकंडरी केयर की ओर बदलाव से कम हो सकती है। इस क्षेत्र में कोटक की शीर्ष पसंद अपोलो और रेनबो हैं। यह मजबूती 2025-26 तक जारी रहने की उम्मीद है। बाजार वैल्यू के हिसाब से शीर्ष 10 सूचीबद्ध अस्पताल श्रृंखलाओं की राजस्व वृद्धि 21 प्रतिशत पर रहने की संभावना है जबकि परिचालन और शुद्ध लाभ में 23-23 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है। मार्जिन में भी सुधार का अनुमान है। शेयर के प्रदर्शन में यह उम्मीद झलकती है।

पिछले तीन महीनों के दौरान अस्पताल के शेयरों ने औसत 12 प्रतिशत का रिटर्न दिया है जबकि निफ्टी फार्मा और निफ्टी हेल्थकेयर सूचकांकों में 2-3 फीसदी की गिरावट आई जो 15 फीसदी का अंतर है। इसी तरह के रुझान एक महीने, छह महीने और एक साल की अव​धि के दौरान दिखे हैं।   लार्जकैप कंपनियों में 3 और 6 महीने की अवधि के दौरान नारायण हृदयालय 42-45 फीसदी के लाभ के साथ सबसे ज्यादा चढ़ने वाला शेयर रहा है। इस दौरान दमदार प्रदर्शन करने वाले अन्य शेयरों में हेल्थकेयर ग्लोबल एंटरप्राइजेज, केआईएमएस और मेदांता रहे हैं जिन्होंने 19 से 35 फीसदी के बीच रिटर्न दिया।

पिछले दो वर्षों में नौ शीर्ष सूचीबद्ध अस्पतालों में से छह का मूल्य दोगुना हो जाने तथा औसत मूल्यांकन 52 गुना होने (जो निफ्टी हेल्थकेयर सूचकांक का दोगुना है) के बावजूद विश्लेषकों को उम्मीद है कि इनमें तेजी जारी रहेगी।

एमके रिसर्च के विश्लेषकों अंशुल अग्रवाल और अबिन बेन्नी ने अपनी पहले की रिपोर्ट में कहा कि ब्राउनफील्ड और संचालन/प्रबंधन-संचालित विस्तार रणनीतियों की ऊंची भागीदारी (60 प्रतिशत) क्रियान्वयन जोखिमों को कम करती है और रिटर्न अनुपात पर दबाव कम करती है, जिसका श्रेय ऑक्यूपेंसी में तेज सुधार और मुनाफे में वृद्धि को जाता है।

उन्होंने कहा कि राजस्व संभावनाओं में सुधार, बेड क्षमता में विस्तार, बड़े पैमाने पर पूंजीगत व्यय की तीव्रता में कमी तथा क्षमता विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ इस क्षेत्र का मूल्यांकन मजबूत रहने की संभावना है।

First Published - April 20, 2025 | 10:02 PM IST

संबंधित पोस्ट