देश की सबसे बड़ी बाइक निर्माता कंपनी हीरो होंडा सरपट दौड़ रही है। सितंबर 2008 में उसने नतीजे जोरदार रहे।
इसके ऑपरेटिंग मार्जिन में 1.2 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 13.6 फीसदी हो गया। इससे इसका ऑपरेटिंग प्रॉफिट 50 फीसदी बढ़ गया। हालांकि कंपनी के नतीजों में लो बेस का प्रभाव पड़ा। क्योंकि जून 2007 की तिमाही में कंपनी का वॉल्यूम सिर्फ 1.7 फीसदी ही बढ़ा था।
इसके बाद भी वर्तमान की कारोबारी परिस्थितियों को देखते हुए ये नतीजे अच्छे ही माने जाएंगे। सबसे अहम बात यह है कि ये नतीजे बाजार की उम्मीदों के विपरीत रहे हैं।इन नतीजों से हीरो होंडा प्रबंधन अति उत्साही नहीं है। इसे इस बात का अंदेशा है कि त्यौहारों के बाद बिक्री कमजोर पड़ सकती है। इसके साथ ब्याज दरें भी उसकी चिंता का प्रमुख कारण है। इन सबके चलते सितंबर की तिमाही वॉल्यूम में हुई 28 फीसदी की वृध्दि धीमी पड़ सकती है।
कर्ज के महंगे होने के बाद भी इस 10,332 करोड़ रुपये की कंपनी की सितंबर की तिमाही में बिक्री 36 फीसदी बढ़कर 3,202 करोड़ रुपये हो गई है। हालांकि हीरो होंडा अपने प्रतिद्वंद्वियों अलग बिना फाइनेंस योजना के ही अपनी बाइक बेचने में सक्षम है। इसके साथ ही उसकी ग्रामीण और शहरी दोनों में से किसी एक क्षेत्र पर निर्भरता नहीं है।
वह इन दोनों बाजारों में अधिक या कम बाइक बेच सकता है। उसकी इसी क्षमता के चलते इस समय इस सेगमेंट में उसका शेयर 51 फीसदी है। इस साल अगस्त में हीरो होंडा ने बढ़ती लागत के चलते अपने सभी मॉडलाें की कीमतों में बढ़ोतरी की थी। यह कदम उनकेहक में गया। उसने 600 रुपये से लेकर 1,500 रुपये तक अपने माडलों की कीमतों में इजाफा किया था।
कंपनी को वित्तीय वर्ष 2009 में अपना राजस्व 11,500 करोड़ रुपये और शुध्द लाभ 1,160 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। उसे प्रति शेयर होने वाली कमाई के भी 20 फीसदी बढ़ने के उम्मीद है। इसके शेयर ने 2008 की शुरुआत से ही सेंसेक्स की तुलना में अधिक जोरदार प्रदर्शन किया है।
826 रुपये के भाव पर कंपनी का शेयर वित्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आय की तुलना में 13 गुना है। अगर ब्याज दरों में कुछ कमी आती है तो मोटरसाइकिल की बिक्री बढ़ेगी और हीरो होंडा अपने प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर कारोबार करेगी। इसलिए इसके मूल्यांकन अभी भी महंगे नहीं है।
सेल: घटता मार्जिन
सेल का प्रबंधन कंपनी के निकट भविष्य में कंपनी के रियेलाइजेशन को लेकर खासा हतोत्साहित है। उसे इस पर खासा दबाव बनने की उम्मीद है। इस देश के सबसे बड़े स्टील निर्माता ने अक्टूबर अपने लांग और फ्लैट दोनों प्रॉडक्टों की कीमतों में कटौती की थी।
इसके चलते दिसंबर की तिमाही में जून 2008 से बेहतर रियेलाइजेशन की कोई संभावना नहीं है। इसके साथ ही इस 45,242 करोड़ रुपये की कंपनी की सितंबर 2008 में बिक्री धीमी हुई है। इस दौरान उसका राजस्व 34 फीसदी बढ़कर 12,121 करोड़ रुपये हो गया जबकि जून की तिमाही में कंपनी की बिक्री 37 फीसदी बढ़ती थी।
कंपनी को उपकरणों की कीमतों में कटौती का लाभ मिल सकता है जिससे कंपनी के पूंजी व्यय में कमी आ सकती है।सितंबर की तिमाही में अच्छे रियेलाइजेशन के बाद भी सेल का ऑपरेटिंग प्रॉफिट तीन फीसदी कम होकर 21.3 फीसदी रह गया।
कंपनी ने वेजेज के लिए 570 करोड़ रुपये अलग रखे थे यह गिरावट इसी कारण आई है। इसके व्यवस्थापन के बाद यह प्रॉफिट 26 फीसदी होता। जून की तिमाही में भी एक बड़ी राशि वेजेज, माल ढुलाई और फेरो एलॉय के कारण रखने के कारण इसके ऑपरेटिंग मॉर्जिन चार फीसदी घटकर 25 फीसदी रह गया था।
हालांकि सेल लौह अयस्क के मामले में सेल आत्मनिर्भर है। उसे कोयला खरीदना पड़ता है जिसे कोक में परिवर्तित किया जाता है। कंपनी ने इस साल की शुरुआत में कोयल की आपूर्ति के लिए लंबी अवधि केकरार किए थे।
उस समय कीमतें वर्तमान स्तर से काफी अधिक थीं। इसका असर आने वाले तिमाही में ऑपरेटिंग मार्जिन पर पड़ सकता है। वर्तमान में भारत चीन और सीआईएस देशों से कुछ मात्रा में स्टील आयात करता है।
इस कारण यहां पर कीमतें नियंत्रित रहती है या फिर स्टील निर्माताओं को इसे कम करने पर विवश होना पड़ता है। इस समय स्टील की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में घरेलू बाजार की तुलना में कम हैं जहां ये कीमतें लगातार नीचें आई हैं और अब 800 डॉलर की रैंज में आ गई हैं।
स्टील की कम होती मांग के चलते कई बड़ी कंपनियां अपने आउटपुट को भी कम कर रहीं हैं। हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े स्टील निर्माता आर्सेलर मित्तल ने कहा था कि कमजोर मांग के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए उसने अपना आउटपुट 15 फीसदी घटा लिया है।