नकदी की किल्लत झेल रहे म्युचुअल फंडों को राहत देने के मकसद से रिजर्व बैंक की ओर से जो कदम उठाए गए, उसमें चंद बैंकों ने ही दिलचस्पी दिखाई।
रिजर्व बैंक की ओर से 14 दिनों के लिए कम रेपो दर 20,000 करोड़ रुपये मुहैया कराने के लिए जो नीलामी बुलाई गई थी, उसमें गिनती के तीन बैंकों ने ही भाग लिया। इसकी वजह से केवल 3,500 करोड़ रुपये की ही नीलामी हो सकी।
बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक, रिजर्व बैंक की ओर से मुहैया त्रण के लिए जिन बैंकों ने बोली लगाई, उनमें बैंक ऑफ इंडिया ने 14,00 करोड़ रुपये, जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा ने 600 करोड़ रुपये और यूनियन बैंक ने 700 करोड़ रुपये की मांग की। दरअसल, शीर्ष बैंक का मकसद इसके जरिए कंपनियों को ऋण मुहैया कराने के लिए बैंकों को पर्याप्त पूंजी उपलब्ध कराना था।
इस बारे में बैंकरों का कहना था कि रिजर्व बैंक की ओर से इसके लिए बहुत संक्षिप्त नोटिस पर लोन नीलामी के लिए बुलाया गया था। ऐसे में बैंकों को तैयारी और विचार करने का भी वक्त नहीं मिला। साथ ही बैंक को इस बात का भी पता नहीं चला कि किन म्युचुअल फंड कंपनियों को पूंजी की दरकार है।
यही वजह है कि इसमें काफी कम संख्या में बैंकरों में दिलचस्पी दिखाई।साथ ही बैंकरों का यह भी मानना है कि आने वाले दिनों में इससे भी कम दर पर पैसा उपलब्ध कराया जाएगा।बैंकरों को उम्मीद है कि रेपो दर में कम से कम 50 आधार अंकों की कटौती की जा सकती है।