बाजार में कीमतों में खासा सुधार हुआ है, जिसकी वजह से शेयर भी खरीदारों के लिए माकूल हो गए हैं।
पिछले कुछ समय से घड़ी और आभूषण बनाने वाली कंपनी टाइटन इंडस्ट्रीज के शेयर 30 गुना तक चल रहे थे, लेकिन अब इनका मूल्यांकन चालू वित्त वर्ष की अर्निंग्स पर 17 गुना और वित्त वर्ष 2010 की अर्निंग्स पर 14 गुना हो रहा है। इसी वजह से कंपनी की रंगत वापस लौट रही है।
सितंबर के मध्य से लेकर अब तक कंपनी के शेयरों में 30 प्रतिशत की गिरावट आई लेकिन फिलहाल उनका कारोबार 830 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से हो रहा है। देश में लोगों की खर्च करने की क्षमता में बढाेतरी और कामकाजी महिलाओं की संख्या में इजाफा होने से घड़ियों की मांग में तेजी आई है और इसका फायदा टाइटन को स्पष्ट रूप से मिल रहा है।
इसके अलावा जून तिमाही में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन करने केबाद बेंगलुरु की इस कंपनी ने सितंबर की तिमाही में बेहतर प्रदर्शन किया है। बेहतर कारोबार करने के साथ ही कंपनी के सभी कारोबार में विकास की दर दोहरे अंकों में पहुंच गया और कंपनी की शुद्ध बिक्री में 53 फीसद का इजाफा हुआ।
आभूषण केकारोबार में भी जबरदस्त इजाफा हुआ और राजस्व में 71 प्रतिशत का उछाल देखा गया। कंपनी का मुनाफा 40 आधार अंकों की बढाेतरी के साथ 11.6 फीसद के स्तर पर पहुंच गया। सोने की कीमतों में बाजार में गिरावट आई है और यह पिछले साल के 1,000 डॉलर प्रति औंस के मुकाबले गिरकर 732 औंस प्रति डॉलर पहुंच गई हैं, जिससे आभूषणों की मांग में तेजी आने की गुंजाइश बंढी है।
घडियों के पांच और आभूषणों के दो ब्रांडों के साथ ही कंपनी अब आईवियर के कारोबार में भी कदम रख रही है। हाल ही में कंपनी ने युवाओं केलिए कुछ नए बांड मार्केट बाजार में उतारे हैं, हालांकि कंपनी का फोकस हाई-एंड घडियों पर कायम है। कंपनी की फिलहाल देश भर में विभिन्न उत्पादों के 430 आउटलेट हैं जिनमें वर्ल्ड ऑफ टाइटन, तनिष्क और गोल्ड प्लस शामिल हैं।
वोल्टास: कारोबार ठंडा
वोल्टास का कारोबार चालू वित्त वर्ष में ठंडा रहने का अंदेशा है। यह अंदेशा कंपनी के प्रबंध तंत्र ने ही जताया है।
इसकी वजह से कंपनी के राजस्व में इजाफा 25 फीसद पर ही सिमट सकता है। पिछले वित्त वर्ष में राजस्व में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 3,405 रुपये रहा था। लेकिन इस वित्त वर्ष के शुरुआती छह महीनों में कंपनी का राजस्व मात्र 25 प्रतिशत की रफ्तार से बढा। इलेक्ट्रो-मैकेनिकल परियोजनाओं में 32 प्रतिशत की तेजी के बाद भी यह स्थिति बनी रही।
इस क्षेत्र का कंपनी के राजस्व में योगदान 54 प्रतिशत का होता है और घरेलू बाजार की तरह ही दुबई के बाजार में कंपनी को अपने करोबार में अगली कुछ तिमाहियों में गिरावट का अंदेशा सता रहा है। दीर्घ अवधि की बात करें, तो प्रबंधन का मानना है कि इसमे समग्र रूप से 35-40 प्रतिशत तक विकास हो सकता है।
फिलहाल कंपनी के पास खासी संख्या में ठेके उपलब्ध हैं लेकिन उसके बावजूद कंपनी काफी सतर्क है। गौरतलब है कि पिछले साल की बिक्री की तुलना में कंपनी को मिला ठेका दो गुणा ज्यादा है। हालांकि इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि कंपनी इन ठेकों को समय पर पूरा क र पाती है या नहीं।
इस साल की पहली छमाही तक वोल्टास के दो अन्य कारोबार इंजीनियरिंग और उत्पाद सेवा एवं यूनिटरी कूलिंग डिवीजन में क्रमश: 22 और 16 प्रतिशत की तेजी आई है, हालांकि सितंबर 2008 की तिमाही में विकास की रफ्तार जरूर धीमी रही।
वस्त्र निर्माण क्षेत्र में गिरावट से कंपनी के इंजीनियरिंग कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। उल्लेखानीय है कि वोल्टास वस्त्र निर्माण से जुड़े संयंत्रों का निर्माण करती है और विकसित बाजार में वस्त्र उद्योग में आई गिरावट से इसकी मांग में काफी कमी आ सकती है।
निकट भविष्य में वस्त्र क्षेत्र में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं देखते हुए कंपनी का इंजीनियरिंग कारोबार दबाव में रह सकता है। सितंबर 2008 की तिमाही में पहले ही परिचालन मुनाफा मार्जिन में 7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा चुकी है।
वोल्टास के वातानुकूलित मशीनों के कारोबार में कम मुनाफा होने के कारण चालू वित्त वर्ष में मार्जिन अपेक्षाकृत कम रह सकता है। कपंनी का कर पूर्व मुनाफ ा इस साल कमजोर रह सकता है। पिछले साल इसमें 143 प्रतिशत की तेजी देखी गई थी।