Gold vs Equity Mutual Fund: भारत में जब भी निवेश की बात होती है, तो दो विकल्प सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं। सोना और म्युचुअल फंड। सोना भारतीय परंपरा और भावनाओं से जुड़ा निवेश माना जाता है, जबकि म्युचुअल फंड एक आधुनिक और स्मार्ट विकल्प है, जिसमें प्रोफेशनल मैनेजमेंट और डाइवर्सिफिकेशन का लाभ मिलता है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि लंबे समय में कौन-सा निवेश ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है। हमने इन दोनों एसेट क्लास को बारीकी से समझने के लिए दो एक्सपर्ट से बातचीत की है, तो आइए उनका नजरिया समझते हैं।
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि पिछले 10–15 सालों में सोने ने इक्विटी इंडेक्स जैसे सेंसेक्स की तुलना में बेहतर और स्थिर रिटर्न दिए हैं। 2010 में सोने की कीमत ₹18,230 थी, जो 2025 में बढ़कर ₹97,380 हो गई। यानी करीब 11.7% की सालाना ग्रोथ (CAGR)। वहीं सेंसेक्स 17,464 से 83,425 तक पहुंचा और लगभग 11.1% CAGR दिया। पिछले 10 सालों (2015–2025) में भी सोना आगे रहा, जहां उसने 13.5% CAGR दिया, जबकि सेंसेक्स ने 12.5% CAGR दिया।
अवधि (Period) | गोल्ड प्राइस (₹) | सेंसेक्स का लेवल | गोल्ड CAGR | सेंसेक्स CAGR |
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2010 → 2025 | 18,230 → 97,380 | 17,464 → 83,425 | 11.7% | 11.1% |
2015 → 2025 | 26,343 → 97,380 | 27,499 → 83,425 | 13.5% | 12.5% |
नोट: गोल्ड की कीमत रुपये प्रति 10 ग्राम, सेंसेक्स का लेवल अंक में |
केडिया का कहना है कि छोटे निवेशक के लिए सोना सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह बाजार की गिरावट में भी अपनी कीमत बनाए रखता है। इसके मुकाबले, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले होते हैं। जब शेयर बाजार गिरते हैं, अक्सर सोने की कीमत बढ़ जाती है, इसलिए यह मंदी और वैश्विक संकटों में सुरक्षा देता है।
Optima Money के फाउंडर और MD पंकज मठवाल की राय थोड़ी अलग है। उनका कहना है कि गोल्ड इक्विटी की तुलना में कम उतार-चढ़ाव वाला है, लेकिन लंबी अवधि में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स का पोटेंशियल ज्यादा है। मठवाल के अनुसार, अलग-अलग कैटेगरी जैसे लार्ज-कैप, मिड-कैप, स्मॉल-कैप और सेक्टोरल फंड्स ने गोल्ड को कई बार मात दी है।
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केडिया का कहना है कि सोना महंगाई से बचाव (inflation hedge) के लिए सबसे अच्छा है। 2008 की ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस और 2020 की कोविड महामारी में जब इक्विटी मार्केट्स धड़ाम हो गए, सोने ने निवेशकों की क्रय शक्ति (purchasing power) बचाए रखी और पॉजिटिव रिटर्न दिए।
वहीं मठवाल मानते हैं कि महंगाई से बचाने का काम दोनों कर सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि में इक्विटी की ग्रोथ पोटेंशियल सोने से अधिक है।
केडिया का कहना है कि शुरुआती निवेशकों को सिर्फ सोना या सिर्फ म्यूचुअल फंड चुनने के बजाय दोनों का मिश्रण करना चाहिए। सोना स्थिरता देगा और इक्विटी म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में ग्रोथ। मठवाल सुझाव देते हैं कि शुरुआत करने वालों के लिए मल्टी-एसेट अलोकेशन फंड्स अच्छे विकल्प हैं, क्योंकि इनमें इक्विटी, डेट और गोल्ड तीनों में निवेश होता है।
केडिया का कहना है कि एक आसान फॉर्मूला है – “अपनी उम्र में से 30 घटाकर उतना प्रतिशत सोने में निवेश करें।” जैसे, अगर आपकी उम्र 40 साल है, तो 10% गोल्ड में और 90% म्यूचुअल फंड्स में निवेश करें। उम्र बढ़ने के साथ सोने का हिस्सा 20–30% तक किया जा सकता है।
मठवाल की राय है कि निवेशक अपने लक्ष्य, समय और रिस्क प्रोफाइल के अनुसार 10–20% पोर्टफोलियो गोल्ड में रखें और बाकी इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में लगाएं।