हवाई सफर करने वालों की तादाद में आई कमी जीएमआर के लिए चिंता का सबब बन गई है।
इस साल जून से अक्टूबर के बीच विमान मुसाफिरों की संख्या में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले अच्छी खासी गिरावट आई है। इसका असर चालू वित्त वर्ष में कंपनी की कमाई पर भी पड़ने की आशंका है।
कारोबारी माहौल भी ठंडा पड़ा हुआ है। इसी वजह से जीएमआर कीमतों में बढ़ोतरी करने के लिए किसी तरह का मेलजोल करने की हालत में भी नहीं है। कंपनी के राजस्व पर इसका जबरदस्त असर पड़ेगा क्योंकि विमानन क्षेत्र का राजस्व में 40 फीसद के करीब योगदान होता है।
कंपनी दिल्ली और हैदराबाद हवाई अड्डे के रख-रखाव का काम देखती है। दिल्ली हवाईअड्डे के नजदीक भूमि के विकास में हीलाहवाली होने से भी कंपनी को परेशानी हो सकती है। दरअसल इस जमीन के लिए कंपनी को बोली लगाने वालों से लीज के रूप में राशि लेने के लिए कहा गया है।
जीएमआर की मुश्किलें यही समाप्त नहीं होतीं। इसके विद्युत संयंत्र को भी गैस की आधी-अधूरी आपूर्ति हो रही है। इस वजह से संयंत्र में भी ठीक तरीके से काम नहीं हो पा रहा है। कपंनी के राजस्व में बिजली के कारोबार का योगदान 51 प्रतिशत है।
कंपनी का सितंबर तिमाही में कारोबार इंटरजेन कंपनी से मिली आय को समायोजित करने के बाद बेहतर रहा था। गौरतलब है कि एक साल पूर्व जीएमआर ने इंटरजेन में करीब 50 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। फिलहाल जीएमआर तीन संयंत्र चला रही है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 790 मेगावाट है।
कंपनी के राजस्व में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान 99 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल जीएमआर का राजस्व 2,698 करोड़ रुपये था और कुछ समय पहले तक कंपनी की संभावनाएं काफी बेहतर लग रही थीं।
लेकिन कठिन कारोबारी माहौल को देखते हुए यह कहना मुश्किल लग रहा है कि इस साल साल कपंनी का राजस्व किस स्तर पर जा टिकेगा।
पीवीआर: हिट नहीं
इस साल मल्टीप्लेक्स ऑपरेटरों केलिए कारोबार करना उतना आसान नहीं रहा है। पहले आईपीएल ट्वेंटी 20 मैचों से होने वाला घाटा और उसकेबाद फिल्मों से होने वाला नुकसान इन ऑपरेटरों केलिए काफी भारी पड़ा है।
हालांकि अगले कुछ महीनों में कुछ बड़े प्रोडक्शन हाउसों की फिल्में रिलीज होने से हालात में कुछ सुधार हो सकता है। एक नजर में देखें तो सितंबर 2008 की तिमाही से पता चलता है कि पिछले साल अच्छा वक्त बीतने के बाद इस साल दर्शकों की संख्या में 18 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह आंकड़ा 36.7 प्रतिशत केस्तर पर पहुंच गया है।
इसकी प्रमुख वजह यह रही कि करीब आधा दर्जन फिल्में ही दर्शकों को अपनी तरफ खींचने में सफल रहीं और बाकी का प्रदर्शन काफी बुरा रहा। हालांकि पीवीआर ने खुद ही बनाई एक फिल्म इस साल रिलीज की और उसके सफल होने का कंपनी को काफी फायदा भी मिला।
मल्टीप्लेक्स ऑपरेटरों के राजस्व में सितंबर की तिमाही के दौरान 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का सबसे बड़ा कारण टिकटों की औसत कीमत अधिक रहना था। लेकिन मंदी के दौर में दर्शक इतनी ऊंची कीमत के टिकट खरीदना जारी रखेंगे या नहीं, यह देखना होगा।
फिलहाल पीवीआर के पास 101 स्क्रीन है और कंपनी लगातार इस संख्या में विस्तार कर रही है लेकिन इस पर आने वाली लागत कंपनी को खासा परेशान कर रही है। सितंबर 2008 की तिमाही में कंपनी के परिचालन मुनाफा मार्जिन में 250 आधार अंकों की गिरावट देखी गई।
हालांकि करों के कम होने के कारण कंपनी अपने मुनाफे में 27 प्रतिशत की बढाेतरी दर्ज कर पाने में सफल रही। पीवीआर ने फिल्मों का निर्माण जारी रखा है लेकिन विषय- वस्तु के लिए यह दूसरे निर्माताओं पर निर्भर रहेगी।
रियल एस्टेट की कीमतों में आई गिरावट से कंपनी को फायदा पहुंच सकता है लेकिन नई परियोजनाएं शुरू करने से कंपनी का परिचालन मुनाफा मार्जिन बिगड़ सकता है। पीवीआर केपास कारोबार का बेहतर ढांचा मौजूद है, जिसमें निर्माण, वितरण और प्रदर्शन शामिल हैं।