गिल्ट फंड ऐसी म्युचुंअल फंड योजनाएं होती हैं जो सरकारी प्रतिभूतियों यानी जी-सेक में निवेश करती हैं। गिल्ट फंडों ने अप्रैल महीने में दिसंबर के बाद से पहली बार शानदार शुद्घ प्रवाह दर्ज किया। बाजार कारोबारियों का कहना है कि आरबीआई का अनुकूल रुख निवेशकों को इस श्रेणी के प्रति आकर्षित करने में मददगार रहा।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़े से पता चलता है कि गिल्ट फंडों को अप्रैल में 1,647 करोड़ रुपये का शुद्घ पूंजी प्रवाह हासिल हुआ। दिसंबर और मार्च के बीच की अवधि में, गिल्ट श्रेणी में करीब 4,000 करोड़ रुपये की निकासी दर्ज की गई थी।
मिरे एमएफ में मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) महेंद्र जाजू का कहना है, ‘अप्रैल में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वृद्घि की रफ्तार बरकरार रखने के लिए अनुकूल रुख लंबे समय तक बरकरार रखे जाने का निर्णय लिया था। केंद्रीय बैंक द्वारा जी-सेक खरीद कार्यक्रम की घोषणा ने भी गिल्ट फंडों को मजबूती प्रदान की है।’
मौजूदा समय में, 10 वर्षीय जी-सेक प्रतिफल करीब 6 प्रतिशत के आसपास है। गिल्ट फंड डेट श्रेणी में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले फंडों में शामिल हैं। इनकी परिपक्वता अवधि लंबी होती है जिससे वे ब्याज दरों में बदलाव को लेकर ज्यादा संवेदनशील होते हैं। जब ब्याज दरें नीचे जाती हैं, तो उन्हें ज्यादा फायदा मिलता है, वहीं दरें ऊपर चढऩे पर इनमें कमजोरी आती है। फंड प्रबंधकों को आने वाले महीनों में ब्याज दरों में ज्यादा वृद्घि की संभावना नहीं दिख रही है।
अक्सर, निर्धारित आय प्रतिभूतियों की कीमतें वर्तमान ब्याज दरों पर निर्भर होती हैं। ब्याज दरें और कीमतों का विपरीत संबंध है। जब ब्याज दरें घटती हैं, निर्धारित आय वाली प्रतिभूतियों के कीमतें बढ़ती हैं। इसी तरह, जब ब्याज दरें चढ़ती हैं, इन प्रतिभूतियों की कीमतें नीचे आ जाती हैं।
जाजू ने कहा, ‘दीर्घावधि के दौरान, गिल्ट फंडों ने आकर्षक प्रतिफल दिया है और यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं जो अल्पावधि अस्थिरता से चिंतित नहीं होना चाहिए।’ पिछले एक साल में, गिल्ट फंडों ने 4.33 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया है। हालांकि पांच वर्षीय और दस वर्षीय अवधि में इन फंडों ने 8.2 प्रतिशत और 8.7 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया।
हालांकि वित्तीय योजनाकारों का सुझाव है कि गिल्ट फंड सिर्फ उन्हीं निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो 10 साल से ज्यादा समय तक निवेश से जुड़े रहना चाहते हैं। यदि निवेशक कम निवेश अवधि तक जुड़े रहना चाहते हैं तो उन्हें इनके बजाय अल्पावधि और मध्यावधि फंडों जैसी अन्य डेट श्रेणियों में पैसा लगाना चाहिए।
लैडर-7 फाइनैंशियल एडवायजरीज के संस्थापक सुरेश सदगोपन ने कहा, ‘आप ऐसे गिल्ट फंडों में निवेश पर विचार कर सकते हैं जिनमें रणनीति डेट पत्रों की खरीदारी और उन्हें बनाए रखने पर केंद्रित हो।’
