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रीट से आय पर अधिक कर देने के लिए बाध्य एफपीआई

Last Updated- December 12, 2022 | 3:31 AM IST

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट्स) में निवेश से अर्जित ब्याज आय पर कर देयता को लेकर असमंजस में हैं।
कई एफपीआई ने रूढि़वादी दृष्टिकोण अपनाते हुए ऐसी आय पर 20 फीसदी का उच्च कर देना शुरू कर दिया है। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि प्रतिभूति अनुबंध विनियमन अधिनियम में ‘प्रतिभूतियों’ की परिभाषा को संशोधित कर उसमें रीट के यूनिट को भी शामिल कर लिया गया है। यह संशोधन 1 अप्रैल, 2021 से प्रभावी है।
वर्तमान में स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध सभी तीन रीट्स में एफपीआई की सबसे अधिक संस्थागत होल्डिंग है। विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च कर के कारण रीट्स में निवेश हतोत्साहित हो सकता है। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे को स्पष्ट करने के लिए पहल करने की आवश्यकता है। यदि कोई रीट किसी विशेष उद्देशीय कंपनी (एसपीवी) से प्राप्त ब्याज आय का वितरण करता है तो यूनिटधारकों पास ब्याज आय के तौर पर वह कर योग्य होगा।
आयकर अधिनियम की धारा 115 एडी में एफपीआई के लिए प्रतिभूतियों से अर्जित आय पर कर देयता के बारे में बताया गया है। इसके तहत प्रतिभूतियों से होने वाली आय के संबंध में 20 फीसदी कर के साथ-साथ अधिभार एवं शिक्षा उपकर देयता निर्धारित की गई है।
कुछ कर संधियों के तहत कर की उच्च दर से राहत प्रदान की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई फंड उन संधियों के जरिये रियायत हासिल नहीं कर सकते क्योंकि वे जिस तरीके से स्थापित किए गए हैं उस पर संधियां लागू नहीं होती हैं। ऐसे में अधिकतर एफपीआई को घरेलू कर दरों का अनुपालन करना पड़ता है।
हालांकि, रीट्स द्वारा अन्य अनिवासी यूनिटधारकों को ब्याज आय का वितरण अनुभाग 194एलबीए की धारा 115ए द्वारा शासित है। इसके तहत 5 फीसदी कर और अधिभार एवं शिक्षा उपकर की देयता निर्धारित की गई है।
केपीएमजी इंडिया के पार्टनर एवं नैशनल लीडर (बीएफएसआई कर एवं नियामकीय) सुनील बडाला ने कहा, ‘एफपीआई कराधान को प्रशासित करने वाले अनुभाग के तहत बताया गया है कि प्रतिभूतियों पर 20 फीसदी कर देयता निर्धारित की जा सकती है और रीट्स की यूनिट से प्राप्त ब्याज के लिए 5 फीसदी तक कम कराधान का अपवाद न हो। यह उस अनुभाग के विपरीत है जो अनिवासी यूनिटधारकों के लिए कराधान को प्रशासित करता है। ऐसे में कर की रकम को लेकर निवेशकों के बीच भ्रम पैदा हो गया है।’
बडाला के अनुसार, निवेशकों को अधिक कर का भुगतान करना होगा और यदि उन्हें लगता है कि निवेश वाणिज्यिक तौर पर व्यवहार्य नहीं है तो वापस ले सकते हैं। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द ऐसे मामलों पर लागू कर की दर को स्पष्ट करना चाहिए।
एफपीआई से संबंधित एक अन्य व्यक्ति ने कहा, ‘इससे पहले एफपीआई की दलील यह होती थी कि चूंकि उनकी आय प्रतिभूतियों से से संबंधित नहीं है, इसलिए उस पर 20 फीसदी कर देयता लागू नहीं होती और वे 5 फीसदी कर का भुगतान कर सकते थे जिसका उल्लेख धारा 115ए में किया गया था।’
विशेषज्ञों के अनुसार, पेंशन फंड, सुपरएनुएशन फंड, सॉवरिन वेल्थ फंड और ओवरसीज म्युचुअल फंड जैसे एफपीआई के बीच रीट्स निवेश का एक प्रमुख साधन बन गए हैं क्योंकि इससे उन्हें अपने निवेश पर लगातार आय सुनिश्ति होगी है। रीट के तहत आमतौर पर करीब 90 फीसदी शुद्ध कर योग्य आय का वितरण यूनिटधारकों के बीच लाभांश एवं ब्याज के रूप में कर दिया जाता है।
जब कोई रियल एस्टेट फर्म रीट स्थापित करने का निर्णय लेती है तो वह उसका प्रायोजक बनती है और एक ट्रस्टी को नियुक्त करती है। ट्रस्टी अपनी ट्रस्टीशिप के तहत ट्रस्ट की रियल एस्टेट परिसंपत्तियों को रखता है और उसकी देखरेख एवं निवेश संबंधी निर्णय लेने के लिए एक प्रबंधक को नियुक्त करता है।
रीट अपनी रियल एस्टेट परिसंपत्तियों को सीधे तौर पर अथवा एक विशेष उद्देशीय कंपनी (एसपीवी) के जरिये नियंत्रित करता है। यह एसपीवी एक घरेलू कंपनी होती है।

First Published - June 18, 2021 | 11:21 PM IST

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