facebookmetapixel
₹6,900 लगाकर ₹11,795 तक कमाने का मौका! HDFC Securities ने सुझाई Bank Nifty पर Bear Spread स्ट्रैटेजीStock Market Today: लाल निशान के साथ खुले सेंसेक्स और निफ्टी; जानें टॉप लूजर और गेनरStocks to Watch today: स्विगी, रिलायंस और TCS के नतीजे करेंगे सेंटीमेंट तय – जानिए कौन से स्टॉक्स पर रहेंगी नजरेंLenskart ने IPO से पहले 147 एंकर निवेशकों से ₹3,268 करोड़ जुटाएBFSI Summit 2025: बीमा सेक्टर में दिख रहा अ​स्थिर संतुलन – अजय सेठरिलायंस और गूगल की बड़ी साझेदारी: जियो यूजर्स को 18 महीने फ्री मिलेगा एआई प्रो प्लानबीमा सुगम उद्योग को बदलने के लिए तैयार : विशेषज्ञअस्थिर, अनिश्चित, जटिल और अस्पष्ट दुनिया के लिए बना है भारत: अरुंधति भट्टाचार्यभारत की 4 कंपनियों को मिला चीन से ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ आयात लाइसेंस, वाहन उद्योग को मिलेगी राहतएआई से लैस उपकरण से बदला डिजिटल बैंकिंग

2023 में FPI ने 25.5 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड खरीदारी की

कैलेंडर वर्ष 2023 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 25.5 लाख करोड़ रुपये के सकल खरीदार रहे

Last Updated- December 26, 2023 | 12:02 AM IST
FPI-एफपीआई

मजबूत आय और ठोस आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ फेडरल रिजर्व की तरफ से 2023 के आखिर तक दरों में बढ़ोतरी का चक्र समाप्त करने की उम्मीद ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भारतीय इक्विटी का सकल खरीदार बना दिया और उनकी खरीद रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गई।

कैलेंडर वर्ष 2023 में FPI 25.5 लाख करोड़ रुपये के सकल खरीदार रहे, जो किसी कैलेंडर वर्ष की सबसे बड़ी खरीद है। FPI ने 23.9 लाख करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली भी की। शुद्ध आधार पर FPI 1.6 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे, जो साल 2020 के बाद का सर्वोच्च आंकड़ा है। साल 2022 में FPI 1.25 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे थे।

2023 के पहले दो महीने में FPI शुद्ध बिकवाल रहे थे लेकिन मूल्यांकन घटने के बीच मार्च में खरीदार बन गए। 1 दिसंबर 2022 और 24 मार्च 2023 के बीच भारतीय बाजारों में करीब 10 फीसदी की गिरावट आई। मार्च से अगस्त 2023 के बीच उनकी इक्विटी खरीद 1.7 लाख करोड़ रुपये की रही।

मूल्यांकन में नरमी के बीच FPI शुद्ध खरीदार बने, लेकिन कंपनियों की आय अनुमान के मुताबिक रहने और ठोस आर्थिक आंकड़े के बीच उन्होंने धीरे-धीरे अपनी खरीदारी बढ़ाई। अमेरिका में बैंकिंग संकट नरम होने और चीन की आर्थिक चिंता मं कमी से भी सेंटिमेंट को सहारा मिला।

वेलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक ज्योतिवर्धन जयपुरिया ने कहा, भारत की आय दुनिया भर में सबसे अच्छी रही है। पूरे साल हमारी आय में दो अंकों में वृद्धि होती रही। दोबारा खुलने के बाद चीन संघर्ष कर रहा है और चीन को जाने वाला कुछ निवेश भारत आ गया है।

हालांकि सितंबर में FPI की बिकवाली दोबारा शुरू हो गई। उन्होंने शुरू में मुनाफावसूली की खातिर बिकवाली शुरू की, लेकिन अमेरिकी बॉन्ड के बढ़ते प्रतिफल और दरों में बढ़ोतरी को लेकर अनिश्चितता के बीच बिकवाली में इजाफा किया। 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 23 अक्टूबर 2023 को कारोबारी सत्र के दौरान 5.01 फीसदी के उच्चस्तर को छू गया।

पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष को लेकर चिंता और हमास की तरफ से इजरायल पर अप्रत्याशित हमले के कारण कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने एक और अनिश्चितता पैदा कर दी, जिससे FPI जोखिम वाली परिसंपत्तियों से बाहर निकलने लगे।

विकसित दुनिया के केंद्रीय बैंकों, खास तौर से अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दरों की बढ़ोतरी के चक्र के आखिर में पहुंचने की उम्मीद के बीच इनकी खरीदारी नवंबर में लौटी। फेडरल रिजर्व ने दिसंबर की बैठक में संकेत दिया कि दरों में कटौती की शुरुआत जल्द हो सकती है और कुछ अधिकारियों ने अगले साल करीब 75 आधार अंकों की कटौती का अनुमान जताया।

बॉन्ड प्रतिफल नरम हुआ है और अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 3.9 फीसदी पर ट्रेड कर रहा है। दिसंबर में अब तक FPI 2.5 लाख करोड़ रुपये के सकल खरीदार रहे हैं, जो सकल खरीद के लिहाज से सबसे अच्छा दिसंबर रहा है।

हालांकि बाजारों की बढ़त और ऊंचे मूल्यांकन ने आगे बिकवाली को लेकर चिंता फिर से पैदा कर दी है। निफ्टी अभी एक साल आगे के पीई अनुपात 19.9 पर कारोबार कर रहा है जबकि पांच साल का औसत 19 है।

जयपुरिया ने कहा, हमने इस साल काफी बेहतर किया है और हमारा बाजार महंगा है। बाजार में कुछ स्तर पर मुनाफावसूली भी देखने को मिलेगी। लेकिन FPI भारत लौटेंगे। एकमात्र जोखिम अगले महीने में होने वाले चुनाव को लेकर कोई नकारात्मक नतीजा हो सकता है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि सूचकांक महंगे हैं, लेकिन कई लार्जकैप शेयरों का मूल्यांकन घटा है।

मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा, उभरते बाजार के भारतीय समकक्ष चीन व पश्चिम पर आश्रित हैं और उनमें से कोई भी आर्थिक रूप से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रहा। देसी केंद्रित अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत अगले साल मजबूत वृद्धि जारी रखेगा।

First Published - December 26, 2023 | 12:02 AM IST

संबंधित पोस्ट