FPI Inflow: भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई यानी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का निवेश फरवरी में भी सुस्त बना रहा। इसका असर बाजार के प्रदर्शन पर नजर आया। बाजार पर नजर रखने वालों ने कहा कि भारत के महंगे मूल्यांकन के कारण वैश्विक फंडों को अन्य उभरते बाजार मसलन दक्षिण कोरिया, ताइवान और इंडोनेशिया को पसंद किया जहां मूल्यांकन भारत से कम है।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण कोरिया ने 8.4 अरब डॉलर का एफपीआई निवेश हासिल किया। इससे उसका बेंचमार्क कोस्पी जनवरी के अपने निचले स्तर से करीब 10 फीसदी बढ़ गया। इसी तरह ताइवान के बाजारों ने करीब 5 अरब डॉलर का निवेश हासिल किया जबकि इंडोनेशिया को 1.1 अरब डॉलर का विदेशी निवेश मिला।
लिहाजा, इन दोनों बाजारों ने फरवरी में भारत के मुकाबले उम्दा प्रदर्शन किया। विदेशी फंडों की करीब 3 अरब डॉलर की निकासी के बीच इस साल 1 जनवरी से अब तक घरेलू बेंचमार्क सूचकांकों में थोड़ा ही बदलाव हुआ है। एफपीआई ने कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान 21.4 अरब डॉलर की निकासी की थी। उसके बाद इस साल यह निकासी हुई है।
विशेषज्ञों ने कहा कि वैश्विक व देसी कारक भारत में एफपीआई के नए निवेश को प्रभावित कर रहे हैं। कुछ का मानना है कि वैश्विक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) उभरते बाजारों को लेकर चिंतित हो गए हैं, जिसका कारण चीन का लगातार कमजोर प्रदर्शन और भारत का महंगा मूल्यांकन है।
कोटक सिक्योरिटीज के कार्याधिकारी व उप-प्रमुख (संस्थागत इक्विटीज) प्रतीक गुप्ता ने कहा कि एफपीआई के लिए यह दुविधा की स्थिति है। आपने लगातार दो साल तक चीन पर दांव लगाया और नुकसान में रहे और अब अगर भारत में निवेश करते हैं और चीन दूसरी दिशा पकड़ लेता है और भारत में गिरावट आई तो उनकी गलती और बढ़ जाएगी। यही बात उनके दिमाग में है। साथ ही उभरते बाजारों के कुछ फंडों ने निवेश निकासी भी देखी है।
इसके अलावा दिसंबर तिमाही में एफपीआई के भारी निवेश वाली ब्लूचिप कंपनियों के नतीजों ने भी उनके निवेश पर असर डाल दिया। साल की शुरुआत में बड़ी कंपनियां मसलन एचडीएफसी बैंक, एचयूएल और बजाज फाइनैंस (जहां एफपीआई का बड़ा निवेश है) ने निराशाजनक आंकड़े पेश किए।
इस बीच, अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल के सख्त होने से चिंता बढ़ी है कि क्या अमेरिकी फेडरल रिजर्व उतनी ही रफ्तार से ब्याज दर घटाएगा, जितनी बाजार ने उम्मीद की है। दिसंबर में 3.86 फीसदी पर टिकने के बाद 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल अभी 4.3 फीसदी पर कारोबार कर रहा है, जिससे जोखिम वाली परिसंपत्तियों की कीमतें दोबारा तय हो रही है।
इसके अलावा विदेशी निवेशक मौजूदा मूल्यांकन पर ज्यादातर शेयरों पर दांव लगाने के इच्छुक नहीं हैं। गुप्ता ने कहा कि बाजार महंगे हैं और मार्च 2025 के 20.5 गुना पीई पर कारोबार कर रहे हैं, जो ऐ्तिहासिक औसत व ज्यादातर उभरते बाजारों के मुकाबले काफी ज्यादा है। अगर हम वित्त वर्ष 25 व वित्त वर्ष 26 में अनुमानित 11 फीसदी सीएजीआर के हिसाब से कम आय मानकर चलें तो यह खास तौर पर ज्यादा है। वित्त वर्ष 24 में यह 19 फीसदी रहा है।
हालिया उम्दा प्रदर्शन के बावजूद कोरिया, ताइवान और इंडोनेशिया के बाजार भारत के मुकाबले छूट पर कारोबार कर रहे हैं। बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से इस साल ब्याज दर में कटौती भारत में निवेश के लिहाज से सकारात्मक हो सकती है। कुछ विशेषज्ञों को कहना है कि मई के चुनावों के बाद नई खरीद आ सकती है।