इस महीने कई कंपनियों ने बाजार नियामक सेबी के पास विवरणिका का मसौदा जमा कराया है ताकि वह वित्तीय खुलासे को लेकर अहम समयसीमा का पालन सुनिश्चित कर सके। इसके अलावा आरंभिक सार्वजनिक निर्गम को लेकर बाजार के अनुकूल माहौल के कारण भी कंपनियां इस ओर तेजी से बढ़ रही हैं। सूचीबद्धता के लाभ के नजरिये से पिछला साल शानदार रहा है।
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, कुल मिलाकर 22,230 करोड़ रुपये जुटाने जा रही 12 कंपनियों ने इस महीने अपने-अपने दस्तावेज सेबी के पास जमा कराए हैं। रकम के लिहाज से यह अगस्त 2017 के बाद का सर्वोच्च आंकड़ा है जब नौ कंपनियों ने 34,434 करोड़ रुपये जुटाने के लिए डीआरएचपी जमा कराए थे। फाइलिंग की संख्या के लिहाज से यह मार्च 2018 के बाद का सर्वोच्च आंकड़ा है क्योंकि तब 12 कंपनियों ने 10,327 करोड़ रुपये जुटाने के लिए दस्तावेज जमा कराए थे।
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि डीआरएचपी में दर्ज वित्तीय आंकड़े 135 दिन से ज्यादा पुराने नहींं होने चाहिए और शायद इसी वजह से कंपनियों ने इस महीने तेजी से दस्तावेज जमा कराए, जो दिसंबर तिमाही के आंकड़ों के आधार पर दस्तावेज जमा कराना चाहती थी।
एलऐंडएल पार्टनर्स के प्रबंध सहायक मुर्तजा जूमकावाला ने कहा, अगर कंपनियों ने 14 मई की समयसीमा गंवा दी होगी तो उन्हें अपने पेशकश दस्तावेज में मार्च 2021 के वित्त्तीय आंकड़े शामिल करने होंगे या अंडरराइटर्स को ड््यू डिलिजेंस के तौर पर अंकेक्षकों से मिली जानकारी पर भरोसा करना होगा। अगर सही योजना बनी हो तो साल के आखिर के वित्तीय आंकड़े सैद्धांतिक तौर पर 45 दिन में तैयार होते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि आईपीओ के लिहाज से वित्तीय खुलासे के लिए तैयारी मुश्किल भरी प्रक्रिया है, ऐसे में कई कंपनियां समयसीमा से पहले डीआरएचपी दाखिल कर देती हैं।
व्हाइट ऐंड ब्रीफ एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के पार्टनर प्रशांत विक्रम राजपूत ने कहा, वित्तीय विवरण को दोबारा तैयार करने में समय लगता है और नया शेयर जारी करने वाली कंपनियों के लिए अहम होता है। इसी वजह से कंपनियां छह महीने का आंकड़ा आने से पहले ही पेशकश दस्तावेज जमा करा देती हैं। अन्यथा उनकी लक्षित समयसीमा में खास देर हो जाएगी। इसी वजह से अभी हमने इसमें कंपनियोंं को जल्दबाजी करते देखा है।
पिछले हफ्ते सेबी के पास दस्तावेज जमा कराने वाली कंपनियों में गो एयरलाइंस, देवयानी इंटरनैशनल, क्विक सर्विस रेस्टोरेंट कंपनी, एप्टस वैल्यू (दक्षिण भारत की मॉर्गेज हाउसिंग फाइनैंंस कंपनी), सुप्रिया लाइफसाइंसेज और कृष्णा डायग्नोस्टिक्स शामिल है।
मोटे तौर पर सेबी किसी डीआरएचपी की जांच मे दो से तीन महीने लगाता है, जिसके बाद कंपनी को आईपीओ पेश करने की मंजूरी मिलती है। विशेषज्ञों ने कहा कि हाल के हफ्तों में दस्तावेज जमा कराने वाली कंपनियां साल की तीसरी तिमाही में बाजार में आईपीओ पेश करने में सक्षम होंगी। 2019 व 2020 में हर महीने औसतन दो आईपीओ दस्तावेज जमा कराए गए। इस साल औसत सात दस्तावेजों का है। इस साल 62,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए 34 कंपनियों ने दस्तावेज जमा कराए हैं। साल 2020 में 15 आईपीओ के जरिए 26,611 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।