नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की शीर्ष 500 कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का निवेश कम होकर 19.5 प्रतिशत रह गया है। यह पिछले तीन वर्षों का सबसे निचला स्तर है। बोफ ा सिक्योरिटीज ने कुछ दिनों पहले प्रकाशित अपने आकलन में यह बात कही है। बोफ ा के अनुसार मार्च छठा महीना रहा है जब एफआईआई ने भारतीय शेयरों की बिक्री की है। मार्च 2020 के बाद यह उनके द्वारा की गई सबसे भीषण बिकवाली है। भू-राजनीतिक घटनाक्रम, ऊंची महंगाई और जिंसों की बढ़ती कीमतें इसका मुख्य कारण रहे हैं।
हालांकि अप्रैल में अब तक एफआईआई ने बिकवाली थोड़ी कम की है जो कुछ हद तक विदेशी निवेशकों के रुख में बदलाव का संकेत दे रहा है। कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक एफआईआई ने 15.7 अरब डॉलर मूल्य के शेयरों की बिक्री की है। दूसरी तरफ घरेलू संस्थागत निवेशक बाजार में संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों का निवेश 6 अरब डॉलर के ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। महीना-दर-महीना आधार पर यह करीब 19 प्रतिशत अधिक हो गया है। बोफ ा ने कहा कि लगातार दूसरे महीने घरेलू संस्थागत निवेशकों का निवेश 5 अरब डॉलर स्तर को पार कर गया है।
दुनिया में कच्चे तेल के दाम में उछाल, बॉन्ड पर प्रतिफल में तेजी और महंगाई में बेतहाशा वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए हालात मुश्किल बना देंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में मांग कम रहने का नकारात्मक असर हो होगा ही। भारत में भी रकम जुटाना महंगा होता जा रहा है। केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में इजाफा करने से वित्तीय तंत्र में नकदी की उपलब्धता कम हो जाएगी। यह स्थिति वैश्विक एवं भारतीय शेयरों दोनों के लिए खतरनाक होगी। रूस और यूक्रेन में युद्ध से परिस्थ्थितियां और प्रतिकूल हो गई हैं और कई आवश्यक खाद्य एवं औद्योगिक वस्तुओं के दाम ऊंचे स्तरों पर पहुंच गए हैं। मगर कई चुनौतियां भी हैं जिसे देखते हुए बाजार में ऊंची महंगाई से कारोबार पर असर होगा और कई क्षेत्रों में कारोबार एवं मुनाफे पर असर होगा। बोफ ा में प्रमुख (भारत शोध) अमीश शाह ने हाल में प्रकाशित अपनी टिप्पणी में कहा, ‘इस वर्ष के अंत तक निफ्टी 17,000 के इर्द-गिर्द रहेगा और बढ़त की गुंजाइश कम है। इसे ध्यान में रखते हुए हम वित्तीय, औद्योगिक, आर्थिक हालात पर निर्भर, मूलभूत सेवाएं वाले क्षेत्रों सहित स्वास्थ्य क्षेत्रों पर दांव खेलने की सलाह देते हैं।’
2022 में अब तक ताइवान के बाद भारत में एफआईआई ने सर्वाधिक बिकवाली की है। दूसरी तरफ ब्राजील में निवेश 12.5 अरब डॉलर तक बढ़ा है। शाह ने कहा, ‘इमर्जिंग मार्केट फंडों ने चीन की तुलना (जनवरी 2021 में 42.2 प्रतिशत के मुकाबले मार्च 2022 में 19 प्रतिशत) में भारत में निवेश (जून 2021 के 13.3 प्रतिशत की तुलना में मार्च 22 में 19 प्रतिशत) बढ़ाया है मगर भारत को लेकर उत्साह इस समय कई वर्षों के निचले स्तर पर है।