उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 3 तिमाहियों के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी इक्विटी निवेश की आवक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 15 प्रतिशत घटकर 36.75 अरब डॉलर रह गई है।
कुल एफडीआई में गैर निगमित निकायों की इक्विटी पूंजी, पुनर्निवेश से कमाई और अन्य पूंजी शामिल होती है। यह अप्रैल-दिसंबर के दौरान 55 अरब डॉलर रही है, जो एक साल पहले 60.4 प्रतिशत थी। इसमें 8 प्रतिशत की गिरावट आई है।
इस साल की शुरुआत से ही एफडीआई का प्रवाह घट रहा है। प्रमुख बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी जैसे बाहरी वजहों से ऐसा हुआ है। साल की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान यह संकुचन 14 प्रतिशत था। पिछले वित्त वर्ष के दौरान एफडीआई इक्विटी प्रवाह 1 प्रतिशत कम हुआ था। उसके पहले वित्त वर्ष 21 और वित्त वर्ष 20 में क्रमशः 19 प्रतिशत और 13 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई थी।
DPIIT द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक सिंगापुर सबसे बड़ा निवेशक देश बनकर उभरा है, जहां से अप्रैल-दिसंबर के दौरान 13.07 अरब डॉलर इक्विटी प्रवाह आया है। इसके बाद अमेरिका (4.95 अरब डॉलर), मॉरीशस (4.73 अरब डॉलर) संयुक्त अरब अमीरात (3.1 अरब डॉलर), नीदरलैंड्स (2.16 अरब डॉलर), ब्रिटेन (1.61 अरब डॉलर), जापान (1.43 अरब डॉलर), साइप्रस (1.15 अरब डॉलर), केमैन आइलैंड (62.2 करोड़ डॉलर), जर्मनी (35 करोड़ डॉलर) शीर्ष 10 निवेशक देशों में शामिल हैं।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर विनिर्माण में सबसे ज्यादा 8.07 अरब डॉलर एफडीआई आया है। इसके बाद सेवा क्षेत्र में 6.56 अरब डॉलर आया है, जिसमें वित्तीय, बैंकिंग, बीमा और आउटसोर्सिंग आदि शामिल हैं।